चुनावी बॉन्ड ने चुनावी दौर में विपक्ष को दिया नया मौका

अमृतकाल और भक्तिकाल के इस दौर में जब सब कुछ बीजेपी के हवाले है और देश की बड़ी आबादी बीजेपी के साथ खड़ी है ऐसे दौर में बीजेपी जैसी पार्टी का चुनावी बांड के नाम पर लूटतंत्र की जो कहानी सामने आयी है अगर इस खेल को जनता तक पहुंचाने में विपक्ष कमजोर पड़ता है तो संभव है कि आने वाले समय में विपक्ष का नामोनिशान ही मिट जाए। ऐसे में भारतीय लोकतंत्र में अगर विपक्ष की भूमिका ज़रूरी है तो पूरी ताकत के साथ इंडिया गठबंधन को इसे जनता तक पहुंचाने की जरूरत है ताकि बीजेपी जैसी ‘चरित्रवान’ पार्टी की सच्चाई को जनता जान और समझ जाए। 

चुनावी बॉन्ड को लेकर जो खुलासे सामने आ रहे हैं और मोदी की सरकार जिस तरह से चुनावी बॉन्ड को लेकर घिरती जा रही है उससे साफ़ है कि विपक्ष को बीजेपी पर हमला करने का एक और बड़ा हथियार मिल गया है। यह ऐसा हथियार है जिसे अगर जनता के बीच सही तरीके से रख दिया गया और जनता इस खेल को समझ गई तो बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

लेकिन बड़ा सवाल तो यही है कि क्या पूरा विपक्ष जो इंडिया गठबंधन के नाम पर राजनीति को आगे बढ़ाता दिख रहा है बीजेपी के खिलाफ माहौल को खड़ा कर सकने में सक्षम है? अगर इंडिया गठबंधन सक्षम हो जाता है तो बीजेपी की राह को बाधित किया जा सकता है और ऐसा नहीं हुआ तो खेल बड़ा ही ख़राब होगा। विपक्ष की राजनीति जमींदोज हो सकती है और कांग्रेस की हालत फिर क्या होगी यह तो समय ही बता सकता है। इसलिए आज यही बड़ा सवाल है कि चुनावी बॉन्ड की लूट को किस तरह से इंडिया गठबंधन के नेता जनता के पास ले जाते हैं। 

चुनावी बाॉन्ड का खेल कोई मामूली नहीं है। यह ऐसा खेल है जिसमें लूट की कहानी भी है और डाका डालने से लेकर एक्सटॉर्शन करने का भी मामला बनता है। यह चंदा उगाहने का ऐसा धंधा है जिसमें विपक्ष को भी घेर लिया है। यह वही बात है कि संगठित लूट की इस कहानी में बड़ा हिस्सा बीजेपी खाती है और विपक्षी दलों को भी एक टुकड़ा फेंक दिया जाता है। ऊपरी तौर पर यह कहा जा सकता है कि लूट की यह कहानी सभी राजनीतिक दलों को बेनकाब तो करती है लेकिन चूंकि इस खेल की शुरुआत बीजेपी की तरफ से की गई थी इसलिए इस खेल के लिए पूर्ण दोषी भी बीजेपी को ही ठहराया जा सकता है। आगे बीजेपी इस खेल के खुलासे पर क्या कुछ तर्क देती है सबकी निगाहें उसी पर टिकी हैं। 

चुनावी बॉन्ड की कहानी अभी पूरी नहीं हुई है। एसबीआई ने अभी तक पूरी जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दिया है। पूरे चुनावी बॉन्ड की जानकारी भी अभी चुनाव आयोग को नहीं मिली है। इसके साथ ही जो जानकारी चुनाव आयोग को दी गयी है उसमें इस बात की जानकारी भी अभी तक सामने नहीं आयी है कि किस बॉन्ड खरीदार ने किस पार्टी को चंदा दिया है। जाहिर है यह सब तब ही पता चलेगा जब एसबीआई यूनिक कोड नंबर जारी करेगा।

बड़ा सवाल यही है कि अभी तक बैंक ने यह कोड क्यों नहीं जारी किया? अब सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इस कोड की मांग की है और जब यह कोड सामने आएगा तब सब कुछ साफ़ हो जाएगा। खेल इसके विलग कुछ और भी है। चुनावी बॉन्ड के जो आंकड़े अभी सामने आये हैं उनमें से करीब तीन हजार बॉन्ड की जानकारी अभी तक छुपाई गई है। जानकार कह रहे हैं कि इसी तीन हजार वाले बॉन्ड में कई और रहस्य छुपे हुए हैं।

देश के बड़े कारोबारियों का खेल इसी बॉन्ड से मिल सकते हैं। खेल यह भी है कि जो जानकारी अभी तक सामने आयी है उसमे 2019 से लेकर फरवरी 2024 तक के ही आंकड़े शामिल किये गए हैं जबकि इन आंकड़ों में 2018 से जुड़े बॉन्ड की कहानी नहीं है। जानकार यह भी कहते हैं कि 2018 में जितने बांड ख़रीदे गए उसके अधिकांश लाभ बीजेपी को ही मिले हैं। उसका भी खुलासा होना चाहिए। 

इधर चुनावी बॉन्ड की कहानी सामने आने के बाद आज ही चुनाव आयोग ने चुनावी तारीखों का ऐलान कर दिया। अप्रैल से जून महीने तक चुनावों की तारीख तय की गई। 19 अप्रैल से चुनाव की शुरुआत होगी तो यह सब एक जून तक चलता ही रहेगा। चार जून को मतगणना होगी। कुल सात चरणों में चुनाव कराने की तारीख तय की गई है। आज से ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इस संहिता के लागू होते ही अब किसी योजना की शुरुआत नहीं हो सकती। कोई बड़ा ऐलान नहीं किया जा सकता। लेकिन इसकी जरूरत ही अब क्या है। पीएम मोदी को जो कुछ भी करना था वह सब कर चुके हैं। 

आज के बाद अब बीजेपी के सामने एक ही नारा होगा कि कैसे विपक्ष को बदनाम किया जाए। बदनाम करने का खेल तो काफी पहले से किया जा रहा है। विपक्ष को परिवारवादी पार्टी कहने का आरोप तो पहले से ही पीएम मोदी लगा रहे हैं। लेकिन अब पहली बार विपक्ष को चुनावी बॉन्ड की लूट की कहानी हाथ लगी है। कहानी तो और भी हो सकती है लेकिन यह कहानी ऐसे समय में सामने आयी है जिससे बीजेपी की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।

कहने को बीजेपी जो कुछ भी कह ले और जैसा भी तर्क गढ़ ले लेकिन जिस अंदाज में चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा का धंधा किया गया है और कालेधन को सफ़ेद करने का खेल रचा गया है, शायद ही इससे पहले इस देश में देखा गया हो। यही वजह है कि राहुल गांधी ने आजाद भारत का इसे सबसे बड़ा स्कैम कहा है।

यह ऐसा स्कैम है जिसकी गूंज दुनिया भर में सुनाई पड़ रही है। अगर इस स्कैम की सच्चाई को विपक्ष देश की जनता के सामने रखने में समर्थ हो जाता है तो बीजेपी के बढ़ते कदम को रोका जा सकता है और ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में न तो इस देश का लोकतंत्र बचेगा और न ही कोई पार्टी। सबसे बुरा हाल तो उस कांग्रेस का हो सकता है जहां हर रोज टूट की संभावना बनी रहती है। 

ऐसे में अब पृथ्वीराज चौहान के सखा और उनके मंत्री चंद बरदाई की वह कविता याद आती है जिसमें उन्होंने कहा था कि ”चार बांस चौबीस गज, अष्ट अंगुल मानो प्रमाण, तेते पर सुल्तान है मत चूको चौहान”। जाहिर है इस बार अगर विपक्ष चूक गया तो संभव है कि विपक्षी राजनीति की पूरी कहानी ही ध्वस्त हो जाएगी।

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

अखिलेश अखिल
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