पूर्व नौकरशाहों ने लिखा कारपोरेट घरानों को खत, कहा- घृणा व नफरत फैलाने वाले चैनलों को विज्ञापन देना बंद करें

(समय के साथ सत्ता के संरक्षण में देश में चलायी जा रही नफरत और घृणा की आंधी के खिलाफ बारी-बारी से लोग खड़े होने लगे हैं। बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों तथा सिविल सोसाइटी के बाद अब कमान पूर्व नौकरशाहों ने संभाली है। भारतीय लोकतंत्र की अलग-अलग संस्थाओं में अलग-अलग समय पर काम करने वाले 100 से ज्यादा नौकरशाहों ने देश के कारपोरेट घरानों को खुला पत्र लिखा है। उन्होंने मीडिया और खासकर टीवी चैनलों द्वारा देश और समाज में लगातार फैलायी जा रही घृणा की कारपोरेट द्वारा अनदेखी किए जाने पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि अपने आखिरी नतीजे में यह सब कुछ उनके व्यवसाय और लाभ को भी नुकसान पहुंचाएगा। लिहाजा उन्हें ऐसे चैनलों के विज्ञापन पर तत्काल रोक लगा देनी चाहिए जो देश में दिन-रात नफरत और घृणा फैलाने में लगे हैं। पेश है उनका पूरा पत्र-संपादक) 

हमारा समूह, जिसे कॉन्स्टीटूशनल कन्डक्ट ग्रुप के नाम से जाना जाता है, अखिल भारतीय और केन्द्रीय सेवाओं के भूतपूर्व सिविल सेवकों का समूह है। हमने केन्द्रीय और प्रदेश सरकारों में विभिन्न पदों पर काम किया है। हमारा ग्रुप भारतीय संविधान के आदर्शों के लिये प्रतिबद्ध है, परंतु हम राजनीति में तटस्थ एवं निष्पक्ष हैं, और किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन नहीं करते हैं। हमने जब भी यह महसूस किया है कि संवैधानिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, तभी हमने सरकार और उन सभी महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक संस्थानों को उनके कर्तव्यों का स्मरण कराया है, जिन पर संविधान के आदर्शों को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी है।  

परंतु संविधान के सिद्धांतों का संरक्षण केवल सरकार का ही दायित्व नहीं हो सकता। एक नागरिक की हैसियत से, या विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, प्रोफेशनल या व्यावसायिक संगठनों के सदस्य के रूप में, हम सभी इसके लिये व्यक्तिगत रूप से उतने ही ज़िम्मेदार हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम अपने निजी जीवन तथा कार्यक्षेत्र में अपने आचरण से देश के संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाएं। दुर्भाग्य से इन दिनों हम अपने देशवासियों में वैमनस्य और अविश्वास की वृद्धि और जनतान्त्रिक मूल्यों का अनवरत ह्रास होते देख रहे हैं। हम सभी के लिए इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे।  

आज यह खुला पत्र हम सरकार को नहीं, बल्कि समाज के एक उतने ही महत्वपूर्ण वर्ग, यानी तमाम कम्पनियों, व्यावसायिक घरानों और कॉरपोरेट्स, को लिख रहे हैं, क्योंकि हमारी नज़र में देश में पूँजी निर्माण करने वाले ये संस्थान देश के संविधान में निरूपित अधिकारों और स्वतंत्रताओं को बनाए रखने में अपनी भूमिका बख़ूबी नहीं निभा रहे हैं। दुख की बात है कि यह धारणा बलवती होती जा रही है कि यह संस्थान देश में घृणा और फ़िरका परस्ती के उमड़ते सैलाब को, जिससे हमारे समाज की बुनियाद को ख़तरा है, नज़रन्दाज़ करना बेहतर समझते हैं।

अनेक प्रतिष्ठित कॉरपोरेट घरानों ने ऐसे मीडिया चैनलों पर अपने उत्पादों का विज्ञापन करने में कोई संकोच नहीं किया है, जो अपने टीआरपी बढ़ाने के लिए लगातार नफ़रत फैलाने, धर्म और जाति के आधार पर फूट पैदा करने, मनगढ़ंत ख़बरें दिखाने, और क़ानून के पाबंद सामान्य नागरिकों को अपराधी घोषित करने जैसे निन्दनीय साधनों का सहारा लेते आ रहे हैं। मुमकिन है कि इन कॉरपोरेट्स का इस पहलू पर ध्यान ही नहीं गया हो कि उनकी कार्य प्रणाली से उन ताक़तों को बल मिल रहा है, जो झूठे प्रचार के सहारे जान बूझ कर राष्ट्र को विभाजित करने का कार्य कर रही हैं।

जैसा कि हम जानते हैं, हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को उसके मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है। संविधान का अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, एवं जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है कि कई मीडिया चैनल नियमित रूप से इन मौलिक अधिकारों की ख़िलाफ़त करते हैं, और फिर भी उन्हें तमाम कंपनियों से विज्ञापन प्राप्त होते रहते हैं। कितने ही कॉरपोरेट्स उन चैनलों को भी बराबर अपने विज्ञापनों से नवाज़ रहे हैं, जो कोविद 19 के प्रसार का सांप्रदायीकरण करते हैं, लोक संघ सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर आरोप लगाते हैं कि उसने उच्च नागरिक सेवाओं में मुसलमानों की ‘घुसपैठ’ कराई है, और सांप्रदायिक सद्भाव के विषय को संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत करने वाले विज्ञापनों को ‘लव जिहाद’ की संज्ञा देते हैं। अपनी विज्ञापन नीति तय करने के लिए कॉर्पोरेट संगठन अक्सर प्रकटतः संदिग्ध टीआरपी नंबरों का सहारा लेते हैं। अब इन निरे तकनीकी पहलुओं से ऊपर उठने का समय आ गया है।

समाज में विभाजन को बढ़ावा देने वाले चैनलों को विज्ञापन देना नैतिकता के आधार पर तो ग़लत है ही, व्यापार के लिए भी हानिकारक है। अनेक अर्थशास्त्रियों और समाजशास्त्रियों का मत है कि जब समाज में अशांति होती है, तो व्यापार में निवेश रुक जाता है। इसमें दो राय नहीं कि आज भारत में हम यह होता हुआ देख रहे हैं। भारत का निवेश सितंबर 2011 में सकल घरेलू उत्पाद के 41.2 प्रतिशत से घटकर जून 2020 में 21.4 प्रतिशत रह गया है। विकास के कई अन्य मापदण्डों में भी गिरावट आ रही है। भय, अनिश्चितता और आपसी अविश्वास ने न केवल समाज के ताने-बाने को कमज़ोर किया है, अपितु अर्थ व्यवस्था को भी चोट पहुंचाई है ।

निराशा भरे इस वातावरण में कुछ कॉरपोरेट्स ने अपने उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार से एक नई आशा का संचार किया है। उन्होंने निर्णय किया है कि जो मीडिया चैनल घृणा और आपसी भेद-भाव फैलाते हैं, उन्हें वह अपने विज्ञापन नहीं देंगे। इस पहल और साहस के लिए वह प्रशंसा के पात्र हैं। हमारी उत्कट इच्छा है कि अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी उनका अनुसरण करें। सभी कंपनियों, व्यावसायिक घरानों और कॉरपोरेट निकायों से हम यही कहना चाहेंगे कि अनजाने में भी आपका कोई काम ऐसी शक्तियों की सहायता न करे जो देशवासियों में परस्पर वैमनस्य और दुर्भावना फैलाना चाहती हैं। हमारा देश और उसके नागरिक इससे कहीं बेहतर सलूक़ के हक़दार हैं। इस समय हम सबको अपने कार्यों से, चाहे वह सारभूत हों या प्रतीकात्मक, यह दिखाना है कि हम अपने संविधान और उसके आदर्शों के प्रति निष्ठावान हैं, और भारत के सभी नागरिकों की शांति और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं।


अनिता अग्निहोत्री IAS (सेवानिवृत्त),पूर्व सचिव, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग, भारत सरकार

सलाहुद्दीन अहमदIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव, राजस्थान

शफ़ी अहमदIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, भारत सरकार

के। सलीम अली IPS (सेवा निवृत्त)पूर्व विशेष निदेशक, सी बी आई, भारत सरकार

एस.पी. एम्ब्रोज़IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त सचिव, जहाज़रानी और परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार

जी बालाचंद्रनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव,  पश्चिम बंगाल

वप्पला बालचंद्रन IPS (सेवानिवृत्त)पूर्व विशेष सचिव, कैबिनेट सचिवालय, भारत सरकार

गोपालन बालगोपाल IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व विशेष सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार

चंद्रशेखर बालकृष्णनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, कोयला, भारत सरकार

टी के बनर्जी IAS(सेवा निवृत्त)पूर्व सदस्य, संघ लोक सेवा आयोग

शरद बेहारIAS (सेवानिवृत्त) पूर्व मुख्य सचिव,  मध्य प्रदेश

औरोबिंदो बेहेराIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सदस्य, राजस्व बोर्ड,  ओडिशा
मधु भादुड़ीIFS (सेवानिवृत्त)पुर्तगाल में पूर्व राजदूत

प्रदीप भट्टाचार्य IAS (सेवा निवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, विकास , योजना और प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान,  पश्चिम बंगाल

रवि बुधिराजाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, भारत सरकार

सुंदर बुर्राIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव,  महाराष्ट्र सरकार

आर चंद्रमोहनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रमुख सचिव, परिवहन और शहरी विकास,  एन.सी.टी. दिल्ली सरकार

राकेल चटर्जीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व विशेष मुख्य सचिव, कृषि,  आंध्र प्रदेश सरकार

ऐना दानीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार

विभा पुरी दासIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, जनजातीय मामलों का  मंत्रालय, भारत सरकार

पी आर दासगुप्ताIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, भारतीय खाद्य निगम, भारत सरकार

नरेश्वर दयालIFS (सेवानिवृत्त) पूर्व सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार  और यूनाइटेड किंगडम में  पूर्व उच्चायुक्त

प्रदीप के देबIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव,खेल मंत्रालय, भारत सरकार

नितिन देसाईIES (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार

केशव देसिराजूIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व स्वास्थ्य सचिव, भारत सरकार

एम जी देवसहायमIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, हरियाणा सरकार

सुशील दुबेIFS (सेवानिवृत्त)स्वीडन में पूर्व राजदूत

के पी फ़ेबियन IFS (सेवानिवृत्त)इटली में पूर्व राजदूत

आरिफ़ घौरीIRS(सेवा निवृत्त)पूर्व सलाहकार प्रशासन, डी एफ़ आई डी, यू. के. सरकार (प्रतिनियुक्ति पर)

गौरीशंकर घोषIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मिशन निदेशक, राष्ट्रीय पेयजल मिशन, भारत सरकार

सुरेश के गोयलIFS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, भारत सरकार

एस के गुहाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, भारत सरकार

एच एस गुजरालIFoS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक,  पंजाब सरकार

मीना गुप्ता IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार

रवि वीर गुप्ता IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व डिप्टी गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक

वजाहत हबीबुल्लाह IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, भारत सरकार और मुख्य सूचना आयुक्त

सज्जाद हसन IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व आयुक्त (योजना), मणिपुर सरकार

सिराज हुसैनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व कृषि सचिव, भारत सरकार

कमल जसवालIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार

नजीब जंगIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व उपराज्यपाल, दिल्ली

राहुल खुल्लरIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण

अजय कुमारIFoS(सेवानिवृत्त)पूर्व निदेशक, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार

बृजेश कुमारIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार

पी के लाहिरी IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व ई डी, एशियन डेवलपमेंट बैंक: पूर्व राजस्व सचिव, भारत सरकार

आलोक बी लालIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक (अभियोजन), उत्तराखंड सरकार

सुबोध लालIPoS (Resigned)पूर्व उपमहानिदेशक, संचार मंत्रालय, भारत सरकार

बी बी महाजन IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व खाद्य सचिव, भारत सरकार

हर्ष मंदरIAS (सेवानिवृत्त)मध्य प्रदेश सरकार

अदिति मेहताIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार

सोनालिनी मीरचंदानीIFS (Resigned)

नूर मोहम्मदIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार

अविनाश मोहननयIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व पुलिस महानिदेशक, सिक्किम

देब मुखर्जीIFS (सेवानिवृत्त)बांग्लादेश में पूर्व उच्चायुक्त और नेपाल में पूर्व राजदूत

शिव शंकर मुखर्जीIFS (सेवानिवृत्त)यूनाइटेड किंगडम में पूर्व उच्चायुक्त

प्रणब एस मुखोपाध्यायIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ पोर्ट मैनेजमेंट, भारत सरकार

नागलस्वामी IA&AS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रमुख महालेखाकार , तमिल नाडु व केरल

शोभा नम्बिसन IPS (सेवानिवृत्त)पूर्व पुलिस महानिदेशक, गुजरात

पी जी जे नम्पूदिरीIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व पुलिस महानिदेशक, गुजरात

पी जॉय ऊम्मेनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़

एस के पचौरी IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद , भारत सरकार

अमिताभ पांडेIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, अंतर-राज्य परिषद, भारत सरकार

मीरा पांडेIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त, पश्चिम बंगाल

निरंजन पंतIA&AS (सेवानिवृत्त)पूर्व उप नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, भारत सरकार

आलोक परतीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार

आर पूर्णलिंगमIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार

वी पी राजाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष,  महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग

के सुजाता रावIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व स्वास्थ्य सचिव, भारत सरकार

एम वाई राव IAS (सेवानिवृत्त)

विजय लता रेड्डीIFS (सेवानिवृत्त)पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, भारत सरकार

जूलियो रिबेरोIPS (सेवानिवृत्त)राज्यपाल पंजाब के पूर्व सलाहकार और रोमानिया में पूर्व राजदूत

अरुणा रॉयIAS (त्यागपत्र)

ए के सामंतIPS (सेवानिवृत्त)पूर्व पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस), पश्चिम बंगाल सरकार

दीपकसाननIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रधान सलाहकार (एआर), मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश

जी शंकरनIC&CES (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सोना (नियंत्रण) अपीलीय न्यायाधिकरण

एन सी सक्सेनाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, योजना आयोग, भारत सरकार

ए सेलवाराज IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य आयुक्त, आयकर, चेन्नई

अर्धेंदु सेनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल

अभिजीत सेनगुप्ताIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार

आफ़ताब सेठIFS (सेवानिवृत्त)जापान में पूर्व राजदूत

अशोक कुमार शर्माIFoS (सेवानिवृत्त)पूर्व एमडी, राज्य वन विकास निगम, गुजरात सरकार

अशोक कुमार शर्माIFS (सेवानिवृत्)फिनलैंड और एस्टोनिया में पूर्व राजदूत

नवरेखा शर्माIFS (सेवानिवृत्त)इंडोनेशिया में पूर्व राजदूत

राजू  शर्मा IAS (सेवानिवृत्)पूर्व सदस्य ,राजस्व परिषद ,उत्तर प्रदेसश

तिरलोचन सिंहIAS (सेवानिवृत्)पूर्व सचिव, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, भारत सरकार

नरेंद्र सिसोदियाIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार

ए के श्रीवास्तव IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व प्रशासनिक सदस्य, मध्य प्रदेश प्रशासनिक अधिकरण

संजीवी सुंदर IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व सचिव, भूतल परिवहन मंत्रालय, भारत सरकार

परवीन ताल्हा IRS(सेवा निवृत्त)पूर्व सदस्य, संघ लोक सेवा आयोग

थैंक्सी थेक्केराIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, अल्पसंख्यक विकास, महाराष्ट्र सरकार

पी एस एस थॉमसIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व महासचिव, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

गीता थूपलIRAS (सेवानिवृत्त)पूर्व महाप्रबंधक, मेट्रो रेलवे, कोलकाता

हिंदल तैयबजीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सचिव स्तर, जम्मू और कश्मीर सरकार

जावेद उस्मानी IAS (सेवानिवृत्त)पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त, उत्तर प्रदेश

अशोक वाजपेयीIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व अध्यक्ष, ललित कला अकादमी

रमणी वेंकटेशनIAS (सेवानिवृत्त)पूर्व महानिदेशक, याशदा, महाराष्ट्र सरकार
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