किसानों ने किया संसद कूच का ऐलान, 19 जुलाई से शुरू होगा संसद सत्र

संयुक्त किसान मोर्चा ने 22 जुलाई से संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन और सांसदों के आवास घेरने का आह्वान किया‌ है।  200 किसान, 5-5 के जत्थे में जाएंगे और संसद के बाहर गाड़ी खड़ी कर 10 से 12 बजे तक हॉर्न बजाकर विरोध दर्ज़ करेंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत ने पिछले दिनों कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया था। अब संयुक्त किसान मोर्चा ने इसका ऐलान भी कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि 22 जुलाई से मानसून सत्र की समाप्ति तक हर रोज संसद के बाहर 200 प्रदर्शनकारी प्रदर्शन करेंगे। इसमें हर किसान संगठन की तरफ से पांच सदस्य शामिल होंगे। 

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि 17 जुलाई से सभी विपक्षी दलों को एक चेतावनी पत्र भी भेजा जाएगा। आगामी संसद सत्र में विपक्षी दलों को किसान आंदोलन की सफलता के लिए काम करने की चेतावनी दी जाएगी।  संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि हमने सरकार को पहले ही बता दिया है कि किसान नए कानून निरस्त करने से कम पर नहीं मानेंगे। यह निर्णय सिंघु बॉर्डर पर एसकेएम की बैठक में लिया गया। 

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि किसान जानते हैं कि कानूनों को जीवित रखने से विभिन्न तरीकों से किसानों की कीमत पर कॉरपोरेट्स का समर्थन करने के उद्देश्य के लिए कार्यकारी शक्ति का दुरुपयोग होगा। किसान संगठन की ओर से कहा गया है कि जब एक क़ानून का उद्देश्य ही गलत हो गया है और यह किसानों के ख़िलाफ़ है तो यह स्पष्ट है कि कानून के अधिकांश खंड उन गलत उद्देश्यों को पूरा करने के लिए होंगे। सिर्फ़ इधर-उधर छेड़छाड़ करने से काम नहीं चलेगा। किसानों ने यह भी कहा है कि इन कानूनों को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीके से लाया गया है। केंद्र सरकार ने उन क्षेत्रों में कदम रखा है जहां उसके पास कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। 

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि केंद्र सरकार ने देश के किसानों पर कानून थोपने के लिए अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनायी। यह अस्वीकार्य है। किसान इन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अडिग हैं। दूसरी ओर सरकार ने अब तक एक भी कारण नहीं बताया है कि इन कानूनों को निरस्त क्यों नहीं किया जा सकता है। हम केवल यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक चुनी हुई सरकार अपने नागरिकों के सबसे बड़े वर्ग- किसानों के साथ अहंकार का खेल खेल रही है और देश के अन्नदाता के ऊपर पूंजीपतियों के हितों को चुनना पसंद कर रही है। 

मिल्खा सिंह की स्मृति में हुआ मैराथन

दिवंगत धावक मिल्खा सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिये कल 4 जुलाई को ‘किसान मजदूर मैराथन दौड़’ का आयोजन किया गया। इस मौके पर भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा- “बुलंद हौसलों और मजबूत इरादों के साथ किसानों के हकों के लिए बीकेयू की दौड़ सात माह से चल रही है और यही जीत की दौड़ उड़न सिख मिल्खा सिंह के लिए आज सच्ची श्रद्धांजलि है।” 

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बुलंदशहर जिले के मदनपुर गांव के 101 साल के किसान स्वर्ण सिंह करीब सात महीने से किसान आंदोलन का हिस्सा हैं । स्वर्ण सिंह ने मैराथन दौड़ में हिस्सा लेते हुये कहा कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की खेती की रक्षा करने करने के ज़ज्बे को सलाम करने आते हैं।

 पीलीभीत से बड़ी ट्रैक्टर रैली की योजना

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सभी सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को मजबूत स्थानीय समर्थन मिला है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से एक बड़ी ट्रैक्टर रैली की योजना बनाई जा रही है। अधिक किसान विरोध स्थलों पर पहुंच रहे हैं। जींद से ग्रामीणों से भारी मात्रा में गेहूं प्राप्त हुआ है। इसमें सिर्फ़ किसान ही शामिल नहीं हो रहे हैं, बल्कि ट्रेड यूनियन, छात्र, वकील और अन्य एक्टिविस्ट भी शामिल हो रहे हैं। पंजाब के विभिन्न शहरों में युवाओं की ओर से शाम को यातायात चौराहों पर आयोजित किए जा रहे एकजुटता विरोध नियमित रूप से जारी है। 

( सुशील मानव जनचौक के विशेष संवाददाता हैं।)

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