नौजवानों के बाद अब किसानों की बारी, 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान

नई दिल्ली। नौजवानों के बेरोजगार दिवस की सफलता से अब किसानों के भी हौसले बुलंद हो गए हैं। और उन्होंने अपने सवालों को सरकार तक पहुंचाने के लिए 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान कर दिया है। इस बात का फैसला कल किसानों के आंदोलन को संचालित करने के लिए बने एआईकेएससीसी की वर्किंग ग्रुप की बैठक में लिया गया।

इसमें तय किया गया कि सरकार द्वारा 5 जून को लाए गये खेती के तीन अध्यादेश जो लोकसभा से पारित हो चुके हैं और राज्यसभा में पेश किए जाने को हैं, का पुरजोर विरोध किया जाएगा। बंद से पहले एआईकेएससीसी ने इन नए कानूनों के खिलाफ व्यापक प्रतिरोध संगठित करने का फैसला किया है। 

इसके साथ ही 27 सितंबर को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के 114वें जन्मदिन के अवसर पर भी विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। मुद्दों में इन तीन कानूनों के अलावा नया बिजली बिल, 2020 तथा डीजल व पेट्रोल के दाम में वृद्धि को भी शामिल किया गया है। किसान नेताओं का कहना है कि ये तीनों कानून पूरी तरह से फसलों की सरकारी खरीद पर रोक लगा देंगे, जिससे फसलों के दाम की सुरक्षा समाप्त हो जाएगी। क्योंकि निजी मंडियां बनाए जाने के बाद और आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से अनाज, दलहन, तिलहन, आलू, प्याज हटाए जाने के बाद इन वस्तुओं के दाम व व्यापार पर सरकार का नियमन समाप्त हो जाएगा।

नेताओं ने कहा कि नड्डा का यह आश्वासन कि न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रहेगा, धोखाधड़ी और झूठ है, क्योंकि भाजपा सरकार द्वारा बनाए गये शान्ता कुमार आयोग ने साफ-साफ संस्तुति की थी कि केवल 6 फीसदी किसान एमएसपी का लाभ उठाते हैं, इसे समाप्त कर देना चाहिए। एफसीआई और नैफेड द्वारा खरीद बंद कर देना चाहिए और राशन में अनाज देना समाप्त कर देना चाहिए।

नेताओं ने कहा कि दुनिया के सभी देशों में, कोई देश अपवाद नहीं है, किसानों की फसल के दाम की सुरक्षा केवल सरकारें देती हैं, कम्पनियां नहीं। कम्पनियां केवल सस्ते में खरीद कर महंगा बेचती हैं और मुनाफा कमाती हैं। एक बार फसल पैदा हो जाती है तो उसे तुरंत बेचना आवश्यक होता है, वरना वह नष्ट हो जाएगी और उसका मूल्य गिरेगा।

भाजपा ने दावा किया है कि भारत में अनाज उत्पादन बढ़ गया है। ज्यादा अनाज के लिए ज्यादा सरकारी खरीद की जरूरत है, जिसके बिना उसके दाम और घट जाएंगे। भाजपा सरकार कारपोरेट मुनाफे के लिए कार्य कर रही है और सारी खाद्यान्न श्रृंखला को उसके बाजार के लिए खोल रही है।

भाजपा शासन में किसानों की कर्जदारी बढ़ी है और लागत के दाम के बढ़ाए जाने से, जिसमें बिजली व डीजल के दाम सरकार बढ़ा रही है और बाकी सामान कम्पनियां बेच रही हैं, यह कर्जदारी और बढ़ रही है। अब ठेका खेती में किसानों की जमीन को शामिल करके कम्पनियां नए कानून के अनुसार उन्हें और महंगे दाम पर खाद बीज खरीदने के लिए मजबूर करेंगी।

नेताओं का कहना है कि भारत में किसान और भूमिहीन बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं, लगभग हर घंटे पर 2 किसान मर रहे हैं और सरकार नारा तो आत्मनिर्भरता का दे रही है, पर किसान के हितों को बड़ी कम्पनियों के हवाले कर रही है।

एआईकेएससीसी ने सभी देशभक्त ताकतों से अपील की है कि वे इन नए कानूनों का विरोध करें और एआईकेएससीसी द्वारा प्रस्तावित “कर्जामुक्ति, पूरा दाम“ पर आधारित दोनों कानून पास कराने के लिए उसे मजबूर करें।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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