एमएसपी की क़ानूनी गारंटी, मंत्री टेनी की बर्खास्तगी और अग्निपथ के निरस्तीकरण की मांग लेकर किसानों का रेल जाम

नई दिल्ली। आज हरियाली तीज मनाने के बजाय पंजाब समेत देश के किसानों ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरकर चक्का जाम किया। पिछले साल कृषि विरोधी कानूनों के विरोध के दौरान किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज़ मामलों को वापस लेने, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवज़ा और रक्षा बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना को वापस लेने की मांग को लेकर किसान आज रेल की पटरियों पर उतरे। गौरतलब है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की क़ानूनी गारंटी समेत किसानों की अन्य लंबित मांगें पूरी न होने से किसान सरकार से नाराज़ हैं। नाराज़ किसानों ने आज संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले सड़कों पर उतरकर चार घंटे के लिये चक्का जाम किया। 

प्रदर्शनकारी किसान जालंधर, फिल्लौर, फिरोजपुर और बठिंडा समेत कई जगहों पर रेल पटरियों पर बैठे। शहीद भगत सिंह भारतीय किसान यूनियन व मान ग्रुप के किसानों ने आज सुबह शंभू बॉर्डर पर धरना दिया। शंभू बॉर्डर पर किसान सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक टोल फ्री किया और प्रधानमंत्री का पुतला फूंका। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के बैनर तले किसान रविवार सुबह 11 बजे रेलवे ट्रैकों पर धरना देकर बैठे और उन्होंने लगातार केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और जमकर नारे लगाये। दिल्ली-जम्मूतवी रेल सेक्शन पर पठानकोट कैंट रेलवे स्टेशन के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे फाटक पर किसानों ने धरना दिया।

वहीं फिरोज़पुर रेलवे स्टेशन के पास किसान ट्रैक पर उतरे और जालंधर से फिरोजपुर और अहमदाबाद एक्सप्रेस ट्रेन को मक्खू रेलवे स्टेशन के पास रोक कर रखा। मुक्तसर में भी बड़ी संख्या में किसानों ने आज रेलवे प्लेटफार्म पर धरना दिया और सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाजी की। इसके चलते रेवाड़ी-दिल्ली ट्रेन को फाजिल्का में ही रोक कर रखा गया। फिल्लौर रेलवे स्टेशन पर धरना प्रदर्शन में शामिल भारतीय किसान यूनियन (कादियान) के अध्यक्ष हरमीत सिंह कादियान ने कहा है कि एसकेएम के आह्वान पर आज किसानों ने धरना दिया है। 

इस दौरान पुलिस प्रशासन के कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। एसपी बलबीर सिंह ने मीडिया को बताया कि किसानों के आंदोलन के चलते भारी पुलिस दल तैनात किया गया है। तथा किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड का प्रबंध भी किया गया है। ड्रोन के जरिए भी किसानों के धरना प्रदर्शनों पर नज़र रखी गयी। भाकियू डकौदा के जिला अध्यक्ष परमिंदर सिंह उड़ांग, जगराज सिंह रंधावा, गुरमीत सिंह समेत बड़ी संख्या में किसानों ने लखीमपुर खीरी के किसानों के हत्यारों को सजा दिलाने, तथा दिल्ली में आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज़ हुए केस रद्द करने समेत अन्य मांगों को लेकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ गुस्सा जताया।

भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने मीडिया से कहा कि पंजाब में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक रेलगाड़ियों की आवाजाही बंद करने का आयोजन सफ़ल रहा। चार घंटे के विरोध प्रदर्शन से राज्य में ट्रेन की आवाजाही बाधित रही, जिससे यात्रियों को असुविधा हुई।केंद्र द्वारा हाल ही में बनाए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पैनल के बारे में, लखोवाल ने मीडिया से कहा कि सरकार ने समिति के अधिकारियों और किसानों को शामिल किया जो अब निरस्त कृषि कानूनों के पक्ष में थे।

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में किसानों की मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और न्याय दिलाने की मांग शामिल है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले साल तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे किसानों पर प्रायोजित हमले में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा आरोपी है और फिलहाल जेल में बंद है। वहीं किसान उक्त घटना के मुख्य सूत्रधार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।

किसानों की नई मांग में अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग शामिल है। 24 जून को तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर, राष्ट्रपति को लिखे पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा ने महामहिम से कहा था – ” अग्निपथ” नामक योजना से देश, जवान और किसान के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। सरकार ने अग्निपथ योजना लाकर सैनिकों का मजाक़ बनाकर रख दिया है।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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