मुल्लों, मैंने 3 लोगों को पहले भी मारा है कहने वाले जुनैद की हत्या के आरोपी फरीदाबाद थाने के पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज

पुन्हाना (मेवात)। सुलगते मेवात के घावों पर मरहम लगाने और भारी जनदबाव की वजह से निर्दोष जुनैद की मौत के मामले में फरीदाबाद की साइबर थाना पुलिस के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। हरियाणा के मेवात इलाके में हुई इस घटना से हरियाणा सरकार की खासी किरकिरी हो रही है। फरीदाबाद पुलिस ने शनिवार को बयान जारी कर जुनैद (21 वर्षीय) को किडनी का रोगी बताकर और इस वजह से हुई मौत का मामला बताकर इस मामले को पलटने की कोशिश की थी। लेकिन उनकी कोशिश नाकाम हो गई। इस घटना को लेकर पुन्हाना में कल काफी हिंसा हुई थी, जिसमें पुलिस की गाड़ियां तोड़ दी गईं थीं और एक गाड़ी को फूंक दिया गया था। 

70 हजार लिए, फिर दो और भाइयों को पकड़ा

जुनैद की विधवा मां खतीजा की शिकायत पर मेवात के बिछोर थाने में धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), धारा 302 (हत्या) और धारा 34 (कई लोगों का आपराधिक इरादे से एक जैसा कृत्य) में केस दर्ज किया गया है। एफआईआर में दर्ज घटना के मुताबिक साइबर थाना फरीदाबाद के 10-12 पुलिस वाले जो तीन गाड़ियों में थे, 31 मई को शाम 6 बजे सुनेहड़ा गांव के पास जुनैद और नदीम को रोक लिया और गाड़ी में बैठा लिया। तभी इन पुलिस वालों को एक वैन्यू कार आती दिखी। उसमें बैठे युवक राजस्थान से एक शादी करके लौट रहे थे। पुलिस वालों ने उस कार को रोका और उसमें बैठे चारों युवकों को जबरन अपनी गाड़ी में डाल लिया और सीधे साइबर थाना फरीदाबाद ले आए। 

अगले दिन 1 जून को जुनैद का भाई इरशाद गांव के अन्य लोगों के साथ साइबर पुलिस स्टेशन फरीदाबाद पहुंचा। दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि साइबर थाना पुलिस ने जुनैद को 70 हजार रुपये की रिश्वत लेकर छोड़ दिया। बाकियों को भी पैसे लेकर छोड़ दिया गया।  जुनैद को छोड़ते समय पुलिस वालों ने कई सादे कागजों पर जुनैद और उसके भाई इरशाद से हस्ताक्षर कराए। इन लोगों ने जुनैद और इरशाद से कहा कि अगर उन्होंने कहीं शिकायत की या जुनैद का मेडिकल कराया तो पूरे परिवार की जिन्दगी बर्बाद कर दी जाएगी। 

पुलिस कस्टडी से जुनैद जब इरशाद पास आया तो उसने देखा कि उसके छोटे भाई के शरीर पर कई जगह चोटों के काफी निशान थे। इरशाद जब अपने भाई जुनैद को लेकर घर आ गया तो उसकी हालत बिगड़ने लगी। जुनैद ने अपनी पिटाई की पूरी दास्तान और उस पर थाने में जो बीता, अपनी मां को बताई। 2 जून को जुनैद की हालत काफी बिगड़ तो मां खतीजा पहले पुन्हाना में सरकारी अस्पताल इलाज के लिए ले गई। वहां कोई फायदा नहीं हुआ तो प्राइवेट डॉक्टर के पास इलाज के लिए ले गई, वहां भी जुनैद को आराम नहीं मिला। फिर परिवार ने तय किया कि निकट होडल शहर में किसी बड़े डॉक्टर को दिखाया जाए। जब वे जुनैद को होडल ले जाने लगे लगे लेकिन 11 जून को जुनैद की मौत हो गई।

विधवा मां की फरियाद नहीं सुनी 

थाना विछोर में दर्ज एफआईआर में जुनैद की मां खतीजा के हवाले से लिखा गया है कि सब इंस्पेक्टर राजेश ने जुनैद की पिटाई करते हुए कहा था – मुल्लों, मैंने इसी तरह पहले भी तीन लोगों को जान से मार दिया है। इसी तरह तुम्हें भी मार दूंगा। जुनैद की मां खतीजा ने बताया कि जुनैद और बाकी युवकों को पुलिस वाले शिफ्टों में आकर पीटते थे। उनसे कहा जाता था कि तुम्हारी जिन्दगी बर्बाद कर देंगे।

परिवार ने आरोप लगाया है कि 1 जून को 70 हजार रुपये मिलने के बाद भी साइबर थाना फरीदाबाद पूरे परिवार के अगले कदम पर नजर रख रही थी। कोरे कागजों पर हस्ताक्षर उनके पास पहले से ही थे। इस बीच उन्हें पता चल चुका था कि जुनैद की तबियत लगातार खराब हो रही है। खतीजा ने बताया कि 5 जून को साइबर थाना फरीदाबाद की पुलिस फिर उनके घर जमालगढ़ आई और उनके दो अन्य बेटों इरशाद और आजाद को उठा ले गईं। खतीजा ने पुलिस वालों के पैर पकड़ लिए और कहा कि जुनैद को उन्होंने वैसे ही अधमरा कर दिया है, इन दोनों बेटों को न ल जाए। इस पर पुलिस वालों ने फरीदाबाद आकर बात करने को कहा। खतीजा ने उनसे यह भी कहा कि अगर उन्हें पैसे चाहिए तो वो इंतजाम करके और पैसे दे देगी। लेकिन पुलिस वाले नहीं माने और जबरन दोनों को ले गए। इस समाचार के लिखे जाने तक इरशाद और आजाद फरीदाबाद साइबर थाने की कस्टडी में ही हैं। फरीदाबाद पुलिस ने कल अपने बयान पर इस पूरे अनपढ़ परिवार पर साइबर ठगी का आरोप लगाया था। साथ ही यह भी कहा था कि जुनैद निर्दोष था, इसलिए छोड़ दिया गया था। वह किडनी की बीमारी से ग्रसित था, इसलिए उसकी मौत हुई है। 

जुनैद की मां खतीजा ने जिन पुलिस वालों को एफआईआर में नामजद किया है, उसमें सब इंस्पेक्टर राजेश, सुरजीत, हेड कॉन्स्टेबल नरेश, दलबीर, एएसआई नरेन्द्र, जावेद, एसएचओ बसंत, अन्य 4-5 अज्ञात शामिल हैं। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि मुलजिमों के नाम क्रमानुसार हैं यानी एफआईआर में सबसे पहले सब इंस्पेक्टर राजेश और सबसे अंत में एसएचओ बसंत का नाम है। यानी इन्हें आरोपी इसी क्रम में बनाया गया है। इसी क्रम में धाराएं भी लगाई गईं हैं यानी हत्या के आरोप की धारा 302 दूसरे नंबर पर है।

गांव जमालगढ़ के लोगों ने साइबर थाना पुलिस फरीदाबाद के आरोपों को आज भी गलत बताया। इन लोगों ने कल भी कहा था कि जुनैद किडनी रोगी था, यह बात फरीदाबाद पुलिस को कैसे मालूम हुई। सच्चाई तो यह है कि साइबर पुलिस शिकार की तलाश में निकली थी। इन्हें सुनेहड़ा गांव के पास जो भी सॉफ्ट टारगेट दिखा, उसे उन्होंने पकड़ लिया। अगर जुनैद निर्दोष था तो उसके परिवार से 70 हजार रुपये क्याें लिए गए। इसी तरह बाकी युवकों को भी छोड़ने के एवज में पैसे लिए गए।

फरीदाबाद पुलिस को यह पता चल गया कि जुनैद का परिवार अभी और पैसे दे सकता है तो उसके दो भाइयों को भी 5 जून को घर से उठाकर ले आए। अगर दोनों भाई अपराधी थे तो क्या उन्होंने जमालगढ़, पुन्हाना या विछोर में मेवात पुलिस को सूचित किया था। गांव वालों का कहना है कि खतीजा के पति रुद्दर का बहुत पहले निधन हो चुका है। विधवा मां ने इन बच्चों को बहुत जतन से पाला है। सभी भाई कोई न कोई मेहनत का काम करते थे और इसी के सहारे परिवार की गाड़ी चल रही थी। जुनैद पेंटर का काम करता था। बाकी भाई भी कोई न कोई काम करते थे। पूरा परिवार अनपढ़ था, ये लोग साइबर क्राइम में कैसे संलिप्त हो सकते हैं, फरीदाबाद पुलिस का यह आरोप फर्जी है।

किस वजह से हुई एफआईआर

पुलिस हिरासत में या बाद में मौत होने पर पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना बहुत मुश्किल होता है। समझा जाता है कि मेवात के सभी राजनीति नेताओं के एक होने और डीजीपी मनोज यादव के निर्देश पर यह एफआईआर दर्ज हुई है। जुनैद की मौत औऱ लोगों के गुस्से की वजह से सारे राजनीतिक दलों के नेताओं ने पुलिस अफसरों से बात करके इसमें एक्शन लेने का दबाव डाला। एमएलए मोहम्मद इलियास खान ने कल ही कह दिया था कि चाहे उन्हें हथकड़ी लग जाए, वो एक बेकसूर की मौत के मामले में पुलिस वालों को आसानी से नहीं छोड़ेंगे। ऐसे तमाम मामलों की वजह से फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। उनके मातहत काम करने वाले पुलिसकर्मी किसी न किसी संगीन केस में फंसते हुए नजर आते हैं। हाल ही में एक शराब ठेके पर पुलिस कार्रवाई से भी खासी किरकिरी हुई थी। इसमें शराब ठेकेदार ने पुलिस वालों पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। ठेकेदार का आरोप था कि जब उसने रिश्वत नहीं दी तो उसका ठेका पुलिस वालों ने लूट लिया। इस घटना पर हरियाणा आबकारी विभाग ने भी पुलिस वालों पर कड़ी नाराजगी जताई थी।

एफआईआर पर सवाल

मेवात में थाना विछोर में आज दर्ज की गई एफआईआऱ भी सवाल उठे हैं। जुनैद के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का जिक्र एफआईआऱ में नहीं है। नियमानुसार जुनैद की मां खतीजा की लिखित शिकायत के बाद मेवात पुलिस को जुनैद की मौत की जो वजह पोस्टमॉर्टम में बताई गई है, उसे लिखना चाहिए था। यह पुलिस का काम था। खतीजा ने अपने आरोप में अपने बेटे के मौत की वजह साइबर पुलिस वालों की पिटाई को ही बताया है लेकिन जब जुनैद का पोस्टमॉर्टम हो चुका है तो उसमें जो कहा गया है, पुलिस ने उसका जिक्र नहीं किया। इस तरह इस एफआईआर में कानूनी तौर पर यह आरोप नहीं लग सका है कि मां की शिकायत और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के तथ्यों में तालमेल है। अदालत में पुलिस अपना पक्ष इस वजह से मजबूत कर सकती है।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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यूसुफ किरमानी
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