कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार कांग्रेस में शामिल, टिकट कटने से थे नाराज

नई दिल्ली। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज भाजपा नेता जगदीश शेट्टार ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। आज यानि सोमवार सुबह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें कांग्रेस में शामिल किया। शेट्टार ने रविवार को भाजपा विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह कदम हुबली-धारवाड़ मध्य निर्वाचन क्षेत्र से टिकट न मिलने पर उठाया। शेट्टार का कहना है कि यदि पार्टी हाईकमान पहले उन्हें चुनाव न लड़ने को कहती तो वह तैयार हो जाते, लेकिन चुनाव प्रचार शुरू करने के बाद और नामांकन की तिथि नजदीक आ जाने पर उन्हें टिकट के लिए मना किया गया। यह मेरा अपमान है।

प्रमुख लिंगायत नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लंबे समय से सदस्य रहे शेट्टार ने कहा कि जब उन्हें हुबली-धारवाड़ मध्य निर्वाचन क्षेत्र से टिकट नहीं दिया गया तो भाजपा नेतृत्व द्वारा उनके साथ किए गए व्यवहार से वह अपमानित हुए। छह बार के विधायक पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद हाल के दिनों में जगदीश शेट्टार भाजपा छोड़ने वाले दूसरे प्रमुख लिंगायत चेहरे हैं।

खड़गे ने कहा कि शेट्टार के शामिल होने से कांग्रेस को चुनाव में 150 सीटें जीतने का आश्वासन मिला है। इसका मतलब यह हुआ कि भाजपा हमारे खेमे को तोड़कर सरकार नहीं बना सकती। इसलिए, हमारा लक्ष्य अधिक से अधिक सीटें (10 मई को होने वाले चुनाव में) जीतना है।

सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, शेट्टार ने कहा कि वह “उन लोगों में से थे जिन्होंने विशेष रूप से उत्तर कर्नाटक क्षेत्र में पार्टी को स्थापित किया और आगे बढ़ाया। भाजपा ने मुझे पूरा सम्मान और पद दिया है। बदले में, मैं एक निष्ठावान कार्यकर्ता था जिसने अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से पूरा किया।”

हालांकि वह इस बात से नाखुश हैं कि “पार्टी ने एक वरिष्ठ नेता के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। 11 अप्रैल को मुझे सूचित किया गया कि मेरे और (पूर्व मंत्री) के एस ईश्वरप्पा के लिए कोई टिकट नहीं है, जैसे कि वे एक छोटे लड़के या पहली बार के विधायक को बता रहे थे। अगर उन्होंने मुझे एक सप्ताह पहले बताया होता और मुझे अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कहा होता, तो मैं सहमत होता। ”

शेट्टार ने आरोप लगाया कि पार्टी को कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था और उन्हें उस घर से बाहर किया जा रहा था जिसे उन्होंने बनाने में मदद की थी। “जब मुझे उस घर से बाहर कर दिया जाता है जिसे मैंने बनाने में मदद की थी, तो मेरे लिए कोई विकल्प नहीं बचा है … हमने यह कहते हुए भाजपा का निर्माण किया कि पार्टी महत्वपूर्ण है न कि व्यक्ति। आज पार्टी इस तरह से चल रही है कि पूरी पार्टी पर चंद लोगों का नियंत्रण है। मैं पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह या पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की आलोचना नहीं कर रहा हूं। हो सकता है कि उन्हें राज्य इकाई के घटनाक्रम की जानकारी न हो।”

भाजपा से सिर्फ जगदीश शेट्टार औऱ लक्ष्मण सावदी ही नाराज नहीं है बल्कि कई लिंगायत नेताओं का टिकट काट दिया गया है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी जुलाई में चुनावी राजनीति से अलग होने की घोषणा किये थे। लेकिन उनकी यह चाल अपने पुत्र को भाजपा का टिकट दिलाने और पार्टी में अन्य लिंगायत नेताओं को ठिकाने लगाने के लिए पार्टी हाईकमान पर दबाव बनाने की रणनीति थी।

जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी के कांग्रेस में आ जाने से लिंगायत मतों का कांग्रेस के पक्ष में आने की उम्मीद की जा रही है, जिससे सीधे-सीधे कांग्रेस को फायदा पहुंचने की संभावना है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी कर्नाटक में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, हिंदुस्तान में अगर पहली बार किसी ने लोकतंत्र का रास्ता दिखाया तो वह बसवन्ना जी थे। आज पूरे हिंदुस्तान में संघ-भाजपा के लोग लोकतंत्र पर आक्रमण कर रहे हैं। संघ-भाजपा (RSS-BJP) के लोग हिंदुस्तान में नफरत और हिंसा फैलाकर, बसवन्ना जी की सोच पर आक्रमण कर रहे हैं।

कर्नाटक के बीदर में एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, कांग्रेस जो भी वादा करेगी उसे पूरा करेगी। भाजपा की तरह झूठे वादे नहीं करेगी।

कौन हैं बासवन्ना?

गौरतलब है कि बासवन्ना लिंगायत समुदाय के आदि पुरुष है। बासवन्ना एक महान समाज सुधारक 12 वीं शताब्दी के एक महान संत और धार्मिक शिक्षक थे। वे कर्नाटक के बीजापुर जिले में बागवाड़ी के नाम से एक गांव में रहते थे। बास्वन्ना ने खुद ब्राह्मण होते हुए भी जाति व्यवस्था को नकार दिया। वह समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, धर्म से जुड़ी प्रचलित कुप्रथाओं और रिवाजों को कभी पसंद नहीं करते थे। इस प्रकार बासवन्ना बहुत जल्द एक महान धार्मिक नेता बन गए। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने वीरशैव की शुरुआत की। लेकिन, कुछ अन्य लोगों का मानना ​​है कि वीरशैव की बहुत प्राचीन उत्पत्ति है और बसवन्ना ने ही इसे पुनर्जीवित किया। वह एक सर्वोच्च देवता के प्रति एकनिष्ठ भक्ति में विश्वास करते थे। इस आस्था को लिंगायत कहा जाता है।

बासवन्ना सरल जीवन जीने में विश्वास करते थे और उन्होंने किसी भी प्रकार की बुरी प्रथाओं को नापसंद किया। उन्होंने स्वच्छ जीवन की वकालत की और अपने अनुयायियों को नियमित रूप से स्नान करने के लिए कहा। उन्होंने सत्य और अहिंसा का पालन करने के लिए कहा। राजा बिज्जल, जो जैन धर्म के महान अनुयायी थे, ने बासवन्ना को अपना प्रधान मंत्री बनाया। बसवन्ना की शादी राजा की बहन के साथ हुई।

प्रदीप सिंह
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