कोरोना मामले में दाह संस्कारों ने निभायी सुपर स्प्रेडर की भूमिका: आईसीएमआर की रिपोर्ट

नई दिल्ली। इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर द्वारा उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके में किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। जरनल में प्रकाशित होने के लिए तैयार इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के दाह संस्कार ने महामारी को फैलाने में सुपर स्प्रेडर का काम किया है।

इस अध्ययन में स्पर्श के जरिये कोरोना के बहुत तेजी से बढ़ने की चेतावनी दी गयी है। इसलिए संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए मरीज के संपर्क में आए लोगों को खोजना और फिर उन्हें क्वारंटाइन करना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।

आईसीएमआर का यह अध्ययन यूपी के बस्ती में किया गया है। यह गोरखपुर के पास स्थित है। यहां कोविड-19 से पहली मौत 30 मार्च को हुई थी। मृतक 25 साल का नौजवान था। उसके बाद 12-31 मई तक वैज्ञानिकों ने उसके व्यक्तिगत संपर्क में आए लोगों, रिश्तेदारों, साथियों और साथ ही जिन लोगों ने उसके दाह संस्कार में हिस्सा लिया था उन सभी से पूछताछ की।

वायरस की मौजूदगी की जांच के लिहाज से इन सभी का सैंपल लिया गया। इसके साथ ही परिवार के सदस्यों की केस हिस्ट्री ली गयी। जिनकी जिला प्रशासन द्वारा टेस्टिंग की गयी थी।

मृतक ने अपने सात लोगों के परिवार में तीन को संक्रमित किया था। और उसके दाह संस्कार में शामिल 50 लोगों में सात लोग पॉजिटिव पाए गए। वैज्ञानिक संक्रमण के श्रृंखला की कड़ियों को ठीक-ठीक स्थापित नहीं कर सके। मतलब यह कि दूसरों ने दूसरे कितने लोगों को संक्रमित किया। लेकिन वे ऐसे लोगों को ज़रूर खोज निकाले जिनकी मौत हो गयी थी।

दो के अलावा ज्यादातर मामले स्पर्श के थे, जिनमें कुछ लक्षण मिले थे। यह रिपोर्ट अभी ऑनलाइन आ चुकी है। और जल्द ही प्रिंट के तौर पर जरनल में भी प्रकाशित होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दूसरों में संक्रमण के लिहाज से अंतिम संस्कार ने सुपर स्प्रेडर का काम किया है। संपर्कों की सक्रिय खोज और संपर्कों में संक्रमण की पुष्टि पॉजिटिव को आइसोलेशन में ले जाने की प्रक्रिया है। इस तरह से बीमारी के फैलाव को सीमित किया जा सकता है।

(द हिंदू की रिपोर्ट से साभार लिया गया है।)

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