गवर्नर मलिक की नसीहत-मोदी जी! सिखों से पंगा मत लीजिए, वो 300 सालों तक नहीं भूलते अपमान

किसान आंदोलन के मुद्दे पर भाजपा के भीतरखाने में फूट और असहमति के स्वर पहले दबे में सुनाई पड़ते थे लेकिन अब ये असहमति सार्वजनिक मंचों पर भी नज़र आने लगी है। यह घटना इस तथ्य के बावजूद हो रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुद से पंगा लेने वालों को पार्टी के भीतर ही किनारे लगा देने का एक अच्छा खास रिकॉर्ड है।

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक सार्वजनिक मंच से कहा है कि “मैं अभी एक वरिष्ठ पत्रकार से मिला जो PM नरेंद्र मोदी का करीबी दोस्त है, मैंने उनसे कहा कि मैं तो कोशिश कर चुका हूं, अब तुम उन्हें समझाओ कि किसानों का अपमान करना और उन पर दबाव डालना गलत कदम है। अब किसान दिल्ली से वापस नहीं जाएंगे और इसको 300 साल तक नहीं भूलेंगे।” 

सत्यपाल मलिक इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि “आमतौर पर गवर्नर चुप रहते हैं लेकिन मुझे किसी भी मुद्दे पर बोलने की आदत है। अभी किसानों को लेकर जो हो रहा है उस पर मैंने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी बात की। मैंने दोनों लोगों से दो आग्रह किया। पहला ये कि किसानों को दिल्ली से खाली मत भेजना क्योंकि सिख लोग 300 सालों तक किसी चीज को नहीं भूलते हैं। दूसरा इन लोगों पर कभी बल प्रयोग मत करना। इसलिए जिस दिन टिकैत पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही थी तो मैंने 11 बजे रात को फ़ोन करके उनकी गिरफ़्तारी रुकवाई।”

किसान आंदोलन से भाजपा को नुकसान पहुंचने पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने आगे कहा कि “अगर ये आंदोलन ज्यादा चलता रहा तो नुकसान बहुत होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं सिखों को जानता हूं। जब इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार किया था तो एक महीने तक उन्होंने अपने फार्म हाउस पर महामृत्युंजय जाप करवाया था। 

उन्होंने दावा किया कि उन्हें ये जानकारी अरुण नेहरू ने दी थी। जब अरुण नेहरू ने उनसे जाप करवाने का कारण पूछा तो इंदिरा गांधी ने कहा कि मैंने सिखों का अकाल तख़्त तोड़ा है ये मुझे छोड़ेंगे नहीं। इंदिरा गांधी को इस बात का इल्म पहले ही था। इन लोगों ने तो जनरल वैद्य को पूना में जाकर मारा था।

उन्होंने मेघालय में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा ” कल मैं एक वरिष्ठ पत्रकार से मिलकर आया हूं जो प्रधानमंत्री के बहुत अच्छे दोस्त हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं तो कोशिश कर चुका हूं लेकिन अब तुम उन्हें समझाओ कि ये गलत रास्ता है। किसानों को दबाकर और अपमानित करके दिल्ली से भेजना गलत कदम है। आगे उन्होंने कहा कि पहले तो किसान दिल्ली से जाएंगे नहीं, क्योंकि ये जाने के लिए नहीं आए हैं। अगर ये चले गए तो 300 वर्ष तक नहीं भूलेंगे। अगर सरकार एमएसपी को क़ानूनी मान्यता दे देती है तो मैं अपनी जिम्मेवारी लेकर सारे मामले को निपटा दूंगा।”

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