लोकसभा और राज्यसभा में कृषि कानून निरसन बिल पास

लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी कृषि क़ानून निरसन बिल पास हो गया है। विपक्ष के गतिरोध के बीच इस बिल को मंजूरी मिली है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही कानूनों की वापसी की औपचारिकता पूरी हो जाएगी।

लोकसभा ने विपक्ष द्वारा चर्चा की मांग के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को बिना चर्चा के ही मंजूरी दे दी। इसके साथ ही कृषि कानून वापसी बिल संसद के निचले सदन लोकसभा से पास हो गया।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सदन में विधेयक पर चर्चा की मांग की थी। कांग्रेस की तरफ से उठाए गए सवाल पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि सदन में व्यवस्था नहीं है और इस हालात में चर्चा कैसे करायी जा सकती है। आप (विपक्षी सदस्य) व्यवस्था बनायें तब चर्चा करायी जा सकती है। इसके बाद सदन ने शोर शराबे में भी ही बिना चर्चा के कृषि विधि निरसन विधेयक 2021 को मंजूरी दे दी।

लोकसभा अध्यक्ष ने जैसे ही प्रश्नकाल की कार्यवाही शुरू करने को कहा, वैसे ही कांग्रेस सहित कुछ दलों के सदस्य अपने स्थान से शोर शराबा करने लगे। शोर शराबे के बीच ही एक प्रश्न को लिया गया । विपक्षी सदस्य ‘किसानों को न्याय दो’के नारे लगा रहे थे । इस दौरान अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से शांत रहने की अपील करते हुए कहा कि देश की जनता चाहती है कि सदन की कार्यवाही चले, ऐसे में जनता की भावना और सदन की मर्यादा का ध्यान रखें ।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखे जाने की बात कही गई लेकिन इस पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है।

वहीं कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कृषि बिल वापसी पर कहा कि, आज कृषि क़ानून निरसन विधेयक बिना चर्चा के लोकसभा में पास किया गया है। हम उसे सपोर्ट करते हैं लेकिन हम चाहते थे कि बिल वापसी पर चर्चा हो कि आखिर इसे वापस लेने में क्यों इतनी देर हुई और दूसरे मुद्दे भी हैं जिन पर चर्चा हो, लेकिन उन्होंने टालने की कोशिश की।
संसद के शीतकालीन संत्र से पहले कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, “आज संसद में अन्नदाता के नाम का सूरज उगाना है।”
वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘आज सड़कों पर हमारे अन्नदाताओं द्वारा किए संघर्ष की जीत की गूंज संसद में होगी। आज एक बार फिर किसान आंदोलन में शहीद हुए 700 किसानों की, लखीमपुर के किसानों की शहादत को याद करने का दिन है। आज जब संसद में तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएंगे तब पूरा देश एक साथ ‘जय किसान’ बोलेगा और अन्नदाताओं को नमन करेगा।’’

कृषि कानूनों की वापसी पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “जिन 700 किसानों की मृत्यु हुई उनको ही इस बिल के वापस होने का श्रेय जाता है। MSP भी एक बीमारी है। सरकार व्यापारियों को फसलों की लूट की छूट देना चाहती है। आंदोलन जारी रहेगा।”

इससे पहले कांग्रेस सांसदों ने संसद में किसानों के मुद्दे को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया। संसद भवन परिसर में प्रदर्शन के दौरान सरकार विरोधी नारे भी लगाए गये। इस मौके पर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे। कांग्रेस सांसदों ने तीनों कानूनों को तत्काल निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की मांग की।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि भविष्य में संसद को कैसा चलाया, कितना अच्छा योगदान रहा इस तराजू में तोला जाए न कि किसने कितना जोर लगाकर संसद के सत्र को रोक दिया। मानदंड ये होगा कि संसद में कितने घंटे काम हुआ कितना सकारात्मक काम हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज़ादी के अमृत महोत्सव में हम ये भी चाहेंगे कि संसद में सवाल भी हों, संसद में शांति भी हो। सरकार की नीतियों के खिलाफ जितनी आवाज़ प्रखर होनी चाहिए हो परन्तु संसद की गरिमा, अध्यक्ष की गरिमा के विषय में हम वो आचरण करें जो आने वाले दिनों में देश की युवा पीढ़ी के काम आए।”

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के सत्र की शुरुआत से पहले संसद भवन परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है, खुली चर्चा करने के लिए तैयार है। सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि संसद देश हित में चर्चाएं करे, देश की प्रगति के लिए रास्ते खोजे, इसके लिए ये सत्र विचारों की समृद्धि वाला, दूरगामी प्रभाव पैदा करने वाले सकारात्मक निर्णयों वाला बनें।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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