ग्राउंड रिपोर्ट: भ्रष्टाचार की पटकथा लिख रहा ‘प्रधानमंत्री अमृत सरोवर’ योजना का निर्माण कार्य

सोनभद्र। “यह भ्रष्टाचार-कमीशनखोरी ही है ना? भला ऐसे भी कार्य होता है यह कितने दिन तक टिकेगा? बरसात में तो यह बह कर समाप्त हो जायेगा?” अजय कुमार पाठक यह बताते हुए सवाल दर सवालों की झड़ी लगाते जाते हैं। वह आगे भी बोलते हुए कहते हैं “यह (सिंदुरिया गांव में ‘प्रधानमंत्री अमृत सरोवर’ योजना का निर्माण कार्य) तो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार की पटकथा लिखने को आमादा नजर आ रहा है।” अमृत सरोवर के निर्माण में प्रयुक्त दोयम दर्जे के ईंट, बालू की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करते हुए अजय कुमार पाठक के शब्दों में भले ही आक्रोश नज़र आता हो, लेकिन उनका आक्रोश और विरोध जताया जाना दोनों ही जायज दिखलाई देता है। यह आरोप और आक्रोश सिर्फ अजय कुमार पाठक के ही नहीं हैं, कई अन्य ग्रामीणों के भी है। फर्क सिर्फ इतना ही है कि ग्रामीण खुलकर बोलने का साहस नहीं जुटा पाते हैं। 

सोनभद्र जिले के विकास खंड चोपन के सिंदुरिया गांव में प्रधानमंत्री अमृत सरोवर योजना के तहत निर्माण कार्य कराया जा रहा है जो विवादों में घिर गया है। आश्चर्य यह की तमाम शिकायतों और जांच पड़ताल के बाद कार्रवाई के बजाए जिम्मेदार विभागीय मुलाजिमों ने जुबां पर ताला जड़ मामले को मानों ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि कुछ ग्रामीणों और समाजसेवी अजय कुमार पाठक “जनचौक” को बताते हैं कि जब तक सही ढंग से जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई और सरकारी धन के हुए दुरूपयोग की रिकवरी नहीं होती है तब तक वह लोग खामोश होकर बैठने वाले नहीं हैं।

योजना का यह रहा उद्देश्य

केन्द्र सरकार ने 24 अप्रैल, 2022 को स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष पर “आजादी का अमृत महोत्सव” समारोह के हिस्से के रूप में मिशन अमृत सरोवर योजना को अमल में लाया था। इसका लक्ष्य था ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट की समस्या को दूर करने के लिये भारत के प्रत्येक ज़िले में कम-से-कम 75 अमृत सरोवरों का निर्माण, पुनरुद्धार करना। योजना के तहत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़े तालाब-पोखरों को चिन्हित कर जीर्णोद्धार की कवायद शुरू की गई थी। यह अभियान जोर-शोर से चला।

अतिक्रमण और वजूद खोते तालाबों के भी दिन बहुरने की उम्मीद जगी। पूरा प्रशासनिक अमला गांवों की ओर रूख कर लिया था। कागजों में दर्ज और धरातल पर अस्तित्व खो चुके तालाबों को भी ढूंढने की कवायद शुरू हुई। जल संरक्षण को बढ़ावा देने की गरज से प्रारंभ में यह योजना ग्रामीणों को भाने भी लगी थी, लेकिन भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के दीमक ने इस योजना को भी अपनी चपेट में ले लिया।

अमृत सरोवर के निर्माण और सौन्दर्यीकरण के नाम पर घटिया किस्म के ईंट बालू इत्यादि का जमकर प्रयोग किया जा रहा है। रंग-रोगन और साफ-सफाई होने के कुछ महीने बाद तालाबों की दशा फिर उसी तरह से हो गई है जिस हाल में पहले वह थे। बाउंड्री वॉल, बैठने के लिए बनाए गए चबूतरे, आने-जाने के लिए बिछाए गए ईंट इत्यादि नदारद हो दुर्व्यवस्था और उदासीनता को दर्शाते हैं।

पहाड़ी क्षेत्र में जमकर हुआ है खेल

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में अमृत सरोवर योजना में जमकर भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं। सोनभद्र जिले में कुल 10 विकास खण्ड (ब्लॉक) हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत शुरू हुए अभियान के तहत सोनभद्र जिले में 105 नए अमृत सरोवर के लिए निर्माण कार्य आरंभ कराया गया था। राज्यमंत्री, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों व जिले के अधिकारियों ने भूमि पूजन कर कार्य आरंभ कराया। सभी अमृत सरोवरों को बरसात से पहले पूर्ण करने की हिदायत दी गई थी, ताकि इसमें वर्षा के जल का संचयन हो सके।

अमृत सरोवरों को नहरों से जोड़ने की भी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए गए थे। जोर-शोर से शुरू हुए अमृत सरोवर योजना की गुणवत्ता को लेकर शुरुआती दौर में अधिकारी भी संजीदा नजर आ रहा है थे, लेकिन समय बीतने के साथ ही अधिकारी भी इसकी गुणवत्ता को लेकर उदासीन नजर आने लगे थे। परिणामस्वरूप यह योजना पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।

सोनभद्र के योग गुरु आचार्य अजय कुमार पाठक ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को पत्र भेज कर बताया है कि जिले में हो रहे अमृत सरोवर योजना कार्य में खुलकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है। जिसे तुरन्त रोका जाए और भ्रष्टाचारियों पर भी बुलडोजर चलाया जाए। वह चोपन ब्लाक के सिंदुरिया गांव के सरोवर का हवाला देते हुए कहते हैं कि “आजादी के बाद से ही उक्त सरोवर पर आधा दर्जन प्रधानों एवं विभागीय अधिकारियों ने कार्य कराया है। अब तक करोड़ों का बंदरबाट हो चुका है, लेकिन तालाब की न तो दशा बदली है और ना ही सौंदर्यीकरण नजर आता है।”

गुणवत्ता को रखा ताक पर

सिंदुरिया गांव में प्रधानमंत्री अमृत सरोवर योजना के अन्तर्गत हो रहे कार्य को मौके पर जाकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर गुणवत्ता को ताक पर रखकर कार्य किया गया है। ग्रामीण बताते हैं कि बिना पिचिंग किये गिट्टी डाली जा रही। कमजोर ईट का इस्तेमाल और बालू का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया गया है। अमृत सरोवर निर्माण कार्य में तालाब से ही खनन का काम हो रहा है।

तालाब तक जाने के बनाए जा रहे मार्ग में जिन ईंटों का प्रयोग किया गया है वह पूरी तरह से दोयम दर्जे के हैं जो आपस में टकराते ही टूट कर बिखरने लगते हैं। कहने को तो मनरेगा योजना अंतर्गत सिंदुरिया गांव के प्रधानमंत्री अमृत सरोवर निर्माण कार्य को तकनीकी सहायक की निगरानी में कराया जा रहा है।

“जनचौक” को जानकारी देते हुए अजय कुमार पाठक कहते हैं “उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर शिकायत दर्ज कराई गई है जल्द से जल्द कार्य में सुधार न हुआ तो ग्राम प्रधान और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए बाध्य होना पड़ेगा।”

सिंदुरिया गांव में प्रधानमंत्री अमृत सरोवर योजना में व्यापक पैमाने पर घोटाले की बात करते हुए सरोवर के अंदर से ही बालू निकाल कर स्थानीय अधिकारियों के माध्यम से राजस्व की चोरी का आरोप लगाते हुए अजय कुमार पाठक खुले तौर पर कहते हैं, चार नम्बर के ईंट का प्रयोग करते हुए अधिकांश जगह बालू की जगह भस्सी का प्रयोग किया गया है। टेक्निकल अधिकारी के जांच कराते हुए इस कार्य में संलिप्त सभी भ्रष्ट अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए।

(सोनभद्र से संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट)

संतोष देव गिरी

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  • Uttarprades govt ko sabhi 75 district mein iski jaanch karake desh mein example set karna chahiye .

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संतोष देव गिरी