कॉरपोरेट ने पूरी कर ली है मंडियों और खेती पर कब्जे की तैयारी, अडानी ने पानीपत में खरीदी 100 एकड़ जमीन

कोई भी क़ानून ऐसे रातों-रात नहीं बन जाता बिना किसी योजना या प्रॉपर तैयारी के। किसानों के खेत और फसल कार्पोरेट के हाथों पर सौंपने का खाका बहुत पहले ही खींचा जा चुका था। कार्पोरेट इसके लिए अपनी तैयारी पूरी कर चुका था इसके बाद ही केंद्र की आरएसएस-भाजपा सरकार ने किसान विरोधी कृषि क़ानून बनाये।

इस बात की पुष्टि भाजपा शासित हरियाणा के पानीपत जिले के नौल्था गांव में 100 एकड़ ज़मीन में बन रहे अडानी के कृषि गोदाम से होती है। इसे इस तरह समझिये कि सरकार ने असम में पहले डिटेंशन कैंप बनवाया फिर एनआरसी करवाया। इसी तरह देश भर में बन रहे तमाम डिटेंशन कैंप देश में एनआरसी होने की आहट देते हैं। ऐसे ही अडानी द्वारा कृषि गोदाम बनाना इस संदेह को बल देता है कि कृषि कानून कार्पोरेट के लिये ही लाया गया है।

पानीपत जिला के इसराना तहसील के गांव नौल्था में अडानी ग्रुप ने 100 एकड़ से ज्यादा जमीन 2 साल पहले खरीदी हुई है, जहां अब रेलवे ट्रैक, सड़क व मंडी का कार्य जारी है। गोहाना के गांव मुंडलाना व कैथल में भी ऐसे ही जमीन अडानी ग्रुप द्वारा खरीदी गई है ऐसी सूचना है।

ग्रामीणों को धोखे में रखकर ली गई ज़मीन

नौल्था के पूर्व सरपंच ईश्वर सिंह का कहना है कि करीब एक साल पहले हमारे गांव की ज़मीन यह कहकर अधिग्रहीत की गई कि गांव में रेलवे के डिब्बे (कोच) बनाने का कारखाना बनेगा। शाहपुर गांव से उस समय प्रेम सिंह नामक एक डीलर आया था। उसने 35 लाख प्रति एकड़ के हिसाब से ज़मीनों के दाम निर्धारित किये। गांव वालों को लगा कि सरकार ज़मीन ले रही है तो ज़ो दे रही है ले लो नहीं तो वो ज़मीन तो वैसे भी छीन लेगी। एक तरह से लोगों को अपनी ज़मीन देने के लिए दबाव बनाया गया।  

लेकिन स्थानीय विधायक से लेकर सांसद तक किसी ने इसे अपनी उपलब्धि नहीं बताया तो लोगों को संदेह हुआ। 40-50 एकड़ ज़मीन अधिग्रहीत होने के बाद लोगों को मालूम चला कि उनकी ज़मीनें अडानी ग्रुप ले रहा है। तो लोगों ने अपनी ज़मीनें देने से मना कर दिया। अब जिन किसानों ने अपनी ज़मीन रोक दी उन्हें डेढ़ करोड़, 2 करोड़ देकर उनकी ज़मीनें खरीद ली गईं।

पूर्व सरपंच बताते हैं कि माजरा मोड़ से दो रास्ते जाते थे दोनों रास्तों को इन्होंने कवर कर लिया है। यानि ये सारी ज़मीनें उनकी योजना में शामिल हैं और वो किसी न किसी तरह अब ये सारी ज़मीनें ले ही लेंगे। अभी तक इन्होंने 100 एकड़ ज़मीन अधिग्रहीत कर लिया है। 100 एकड़ और ज़मीन अभी उन्हें चाहिए।

गेहूं और जीरा का गोदाम

अडानी ग्रुप अपना गोदाम बना रही है, और गोदाम तक रेलवे लाइन बिछा रही है। उनके गोदाम से माल लदकर सीधे दूसरे राज्यों और विदेशों में जाएगा।

नौल्था गांव के लोगों का कहना है कि सरकार ने पूर्वयोजना के तहत ज़मीनें कार्पोरेट अधिग्रहीत करवा दी और अब कृषि कानून बनाकर कार्पोरेट को अपनी मंडियां बनाने की मंजूरी दे दी।

नौल्था गांव को डाला गया स्पेशल इकोनॉमिक जोन में

सरपंच आगे बताते हैं कि हमारे गांव में मिट्टी खोदना या फैक्ट्री लगाने की आज्ञा नहीं है। उसके बावजूद ये सारा काम हुआ है।  

स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाया गया है। इसका अर्थ है कि यहां केंद्र और राज्य सरकार के कानून लागू नहीं होते। यानि कि पूरा इलाका अडानी को दिया जाना है। इसलिए पहले क़ानून लगा दिया कि कोई यहां आकर बोल न सके। सारे रास्ते बंद कर दिये गये। न कोई शिकायत होगी, न कोई बात होगी। 

सोनीपत जिले में मोड़लाना गांव है वहां पर भी यही हो रहा है।

इलाके में निजी मंडी बनाने की बातें

नफे सिंह नामक बुजुर्ग स्थानीय निवासी बताते हैं कि ज़मीन किसानों को धोखे में रखकर ली गयी। लोगों का कहना है कि लगभग 100 एकड़ ज़मीन अधिग्रहीत करने के बाद उस पर निर्माण कार्य तेजी से चालू कर दिया गया है। जबकि लगभग 100 एकड़ और ज़मीन की तलाश की जा रही है। ऐसे में ग्रामीणों में सुगबुगाहट है कि अडानी समूह नौल्था गांव में निजी मंडी बनाने जा रहा है। इसी सिलसिले में अभी 100 एकड़ ज़मीनें और खरीदने की बात चल रही है। जीटी रोड पानीपत रोहतक से ये गांव कनेक्ट है। बिल्कुल सामने रेलवे लाइन है।

कंपनी अधिकारी नहीं बोल रहे कुछ

ज़मीन पर अडानी इनीशिएटिव का बोर्ड लगा है। लेकिन कंपनी का कोई अधिकारी बात नहीं कर रहा। सिविल ड्राइंड उनके पास है लेकिन उनकी बात नहीं हो रही है। इस इलाके में अडानी ग्रुप के इस प्रोजेक्ट के लिए हजारों पेड़ काटे हैं लेकिन प्रशासन चुप है।

नौल्था व जोंधन कलान में लैंडयूज बदलवाया गया

पानीपत जिले के इसराना तहसील की नौल्था और जोंधन कलान में अधिग्रहीत जमीन का लैंड-यूज बदल कर गोदाम (कृषि उत्पाद) स्थापित करने की परमिशन अडानी एग्री लॉजिस्टिक (पानीपत) द्वारा मांगी गई थी। और ये परमिशन 7 मई, 2020 को प्रदान कर दिया गया। इस आशय का एक आदेश पत्र डायरेक्टर ऑफ टाउन एंड कंट्री प्लांनिग हरियाणा द्वारा जारी किया गया। जिसमें कुछ औपचारिक शर्तों के साथ लैंडयूज बदलने की आज्ञा दी गई है। और इसके लिए 27,00,469 रुपये चार्ज किया गया है। और इस आदेश पत्र पर डायरेक्टर मकरंद पांडुरंग के हस्ताक्षर हैं।

चावल मिल लगाने के लिये कहकर खरीदी थी ज़मीन

अडानी ग्रुप ने पानीपत-रोहतक हाईवे पर नौल्था गांव के नजदीक 40-50 एकड़ ज़मीन साल 2018 में खरीदी थी। इस ज़मीन में चावल मिल लगाने की तैयारी थी। दरअसल उसी साल यानि साल 2018 में ईरान की सबसे बड़ी चावल कंपनी मोहसिन को अडानी ग्रुप ने वहां की शिरिनसाल कंपनी संग मिलकर 550 लाख डॉलर में खरीदा था। मोहसिन कंपनी भारत का सबसे ज्यादा बासमती चावल खरीदती थी। हरियाणा से लगभग 40 हजार करोड़ से अधिक का चावल निर्यात होता है। इसमें से ज्यादातर बासमती चावल ईरान जाता है। इस सौदे के चावल निर्यातकों का मोहसिन कंपनी पर 400 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। इस सौदे में अडानी ग्रुप ने मोहसिन ब्रांड की लायबिलिटी भी ली थी। उसी समय अडानी समूह ने 35-40 एकड़ ज़मीन नौल्था में खरीदा था। जिसमें राइस मिल लगाने का अनुमान था।

जियो मार्ट खुलने के बाद कृषि कानून

ऐसा लगता है कि मोदी सरकार जो भी कर रही है सिर्फ़ औऱ सिर्फ़ अडानी-अंबानी के लिए कर रही है। फिर कर्ज़ में डूबे अनिल अंबानी को नई कंपनी खुलवाकर उसे राफेल के रख-रखाव का टेंडर दिलवाना हो या डिजिटल इंडिया के बैनर तले मुकेश अंबानी का जियो इन्फोकॉम लिमिटेड लांच करवाना और खुद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उसका ब्रांड अंबेसडर बनकर करना और जियो को बीएसएनएल का बाज़ार टेकओवर करने के लिए बीएसएनएल को ‘4G’ सेवा से दूर रखकर जियो को टैक्स में छूट देना। जैसे कई उदाहरण हैं।

अब दिसंबर, 2019 में रिलायंस समूह का ‘जियो मार्ट’ लांच होने के बाद मोदी सरकार ने अक्तूबर 2020 में कृषि कानून बनाकर नये धंधे में उनकी मदद करने का बीड़ा उठाया है।    

बता दें कि जियो मार्ट एक शॉपिंग पोर्टल है जो ऑनलाइन किराना डिलिवरी सेवा देता है। ग्राहक अपने घर के ज़रूरी सामान जियो मार्ट से मंगवा सकेंगे। फिलहाल 15 हजार किराना स्टोर डिजिटाइज हुए हैं। और 30 लाख किराना स्टोर को इस साल के अंत तक जियो मार्ट से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। जियो मार्ट आपके नजदीकी किराना दुकान से करार करके आपको अपने दाम पर किराना सामान देगा अपने लोगो व ब्रांड के साथ। फ्लिपकार्ट की तर्ज फर मुकेश अंबानी द्वारा शुरु किया गया है। जो किराने का सामान बेचेगा।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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