ख़ास रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में कैसे खड़ा हुआ कांग्रेस का संगठन?

पिछले तीन दशक में उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस पार्टी पिछले दो साल से यूपी कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी और यूपी कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में लगातार तमाम मुद्दों और जनसंकट में सबसे आगे आकर मोर्चा संभालती नज़र आयी है। विधानसभा संख्याबल के हिसाब से चौथे नंबर पर है। तमाम राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार लगातार यूपी कांग्रेस के संगठन के स्तर पर कमजोर होने पर सवाल उठाते आ रहे हैं। लेकिन 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रदेश में अपने संगठन का नया ढांचा खड़ा कर दिया है। कब, कैसे और किस तरह इस पर विस्तार से जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव को बता रहे हैं कांग्रेस प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव ।

जिम्मेदारी-जवाबदेही तय करने के लिये कमेटी की गई छोटी

कांग्रेस प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव बताते हैं कि “हमारा पुराना जो संगठन था वो बहुत बड़ा था। 500 लोगों की कांग्रेस प्रदेश कमेटी थी। न किसी की जिम्मेदारी तय थी न किसी की जवाबदेही थी। तो सबसे पहला काम हमने ये किया कि जो शुरुआत की कमेटी बनाई वो दस गुना छोटी कमेटी बनाई। सिर्फ़ 50 लोगों की कमेटी। अभी तो ख़ैर विस्तार करके कमेटी 127 लोगों की हो गई है। कमेटी छोटी बनाने का मक़सद था कि लोगों की जिम्मेदारी जवाबदेही तय हो। उदाहरण के तौर पर मान लीजिये कि अनिल यादव को यदि जिला मेरठ की जिम्मेदारी दी गई तो उनसे सिर्फ़ मेरठ की जिम्मेदारी की रिपोर्ट मांगी जायेगी पूरे प्रदेश की नहीं मांगी जायेगी”।

प्रदेश के सामाजिक समीकरण को रिफ्लेक्ट करने वाली कमेटी बनाई गई

अनिल यादव आगे बताते हैं कि “संगठन में दूसरा बदलाव यह हुआ है कि उत्तर प्रदेश का जो सामाजिक समीकरण है नई पीसीसी उसको रिफ्लेक्ट करती है। पहले की पीसीसी में बहुत सारे सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं था। बहुत सारी जातियां बहुत सारे लोग ऐसे थे जिनको जगह नहीं थी। लेकिन महासचिव प्रियंका गांधी ने ये कहा कि एक तरह का समावेशी जातीय समीकरण बनाइये। जिसकी जितनी आबादी है उसी अनुपात में और जिन क्षेत्रों में जिनका प्रभाव है उनको उस हिसाब से रखिये। तो जो प्रदेश का सामाजिक समीकरण था उसी के मुताबिक प्रदेश की कमेटी बनाई गई”।

उसमें बहुत सारे ऐसे लोगों को जगह मिली जो किसी आंदोलन से आये थे। जो छात्र राजनीति से आये थे, तो ऐसे नौजवान लोगों को जगह मिली। जो लड़ने भिड़ने वाले लोग थे। तो प्रदेश स्तर की जो हमारी कमेटी है उसमें इस तरह का रद्दोबदल हुआ।

जिलों को 8 भागों में बांटा गया

संगठन के विभिन्न स्तरों के गठन पर बात करते हुये संगठन सचिव अनिल यादव आगे जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर बात करते हैं और बताते हैं, “जिलों को 8 भागों में बांटा गया। जब नये जिलाध्यक्ष बनाये जा रहे थे। एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिवों और कुछ अन्य लोगों को जिम्मेदारी दी गई कि ये सभी जिलों में नये जिलाध्यक्ष नियुक्त करने हैं तो इसके लिये आप लोग हर जिले से 10 नाम दीजिये। ये सीधे प्रियंका गांधी जी का दिशानिर्देश था कि हर जिले से न्यूनतम 10 लोगों का नाम आप बताओ कि कौन लोग बेहतर जिलाध्यक्ष हो सकते हैं”।

अनिल यादव आगे बताते हैं कि “हर जिले से 10 नाम जाने के बाद कांग्रेस महासचिव ने हर जिले के उन दसों लोगों को दिल्ली बुलाया। इस तरह उत्तर प्रदेश के हर जिले से क़रीब 800-850 लोगों से महासचिव जी ने व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात की कि कौन बेहतर हो सकता है”।

अनिल यादव की मानें तो – फिर एक रिपोर्ट बनी, जिसमें 3-4 लोगों का नाम छंटकर आया जो दो लोगों की कोर टीम जिसमें मैं भी शामिल था, को सौंपा गया। और कहा गया कि 3-4 नाम आप पकड़ो और बताओ कि जिले में इनकी क्या स्थिति है। तो हम लोगों ने जिले में जाकर, न्यूट्रल लोगों से, पत्रकारों से बात करके एक रिपोर्ट तैयार की। फिर महासचिव ने सीनियर नेताओं से भी विचार-विमर्श किया और तब जाकर हमारे जिलाध्यक्ष बनाये गये। फिर यही प्रक्रिया शहर अध्यक्षों में भी अपनाई गई। जिला और शहर अध्यक्ष दोनों बनाने की प्रक्रिया में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने खुद व्यक्तिगत तौर पर 1500 लोगों से मुलाकात की।

जिला संगठन बना

कांग्रेस प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव जिला संगठन कमेटी के गठन पर बताते हैं कि “फिर जिला संगठन बनना शुरू हुआ। पहले जिला संगठन में भी डेढ़ सौ लोगों की कमेटी थी। लेकिन हम लोगों ने एक मॉडल बनाया कि कितने लोग जिला कमेटी में हो सकते हैं। मॉडल ये है कि जिले में एक जिलाध्यक्ष होगा, एक कोषाध्यक्ष होगा, एक जिला प्रवक्ता होगा, पांच उपाध्यक्ष होंगे। उस जिले में जितनी विधानसभायें आती हैं उतने महासचिव होंगे। और जितने ब्लॉक हैं उतने सचिव होंगे।

उसमें शर्त ये रखी गई कि कोई भी आदमी अपने विधानसभा का महासचिव नहीं हो सकता, कोई भी सचिव अपने ब्लॉक का प्रभारी नहीं हो सकता है। जैसे मैं आजमंगढ़ के पहली ब्लॉक का रहने वाला हूँ तो मैं पहली ब्लॉक का सचिव नहीं हो सकता। या मैं आजमगढ़ की निजाबामाद विधानसभा का निवासी हूँ तो मैं उसका प्रभारी महासचिव नहीं हो सकता।

अनिल यादव आगे बताते हैं कि “एक ठोस मॉडल हमने अपनाया। और इसी तरह से फिर हमने जिम्मेदारियां भी बांटी। आपको विधानसभा देखना है, आपको ब्लॉक देखना है, ये पांच उपाध्यक्ष हैं तो किसी को सदस्यता देखनी है, किसी को अनुशासन देखना है। किसी को कार्यालय देखना है। किसी को जनशिक़ायत देखना है। ऐसे करके सबका काम बांट दिया गया”।

ब्लॉक स्तर के संगठन का गठन

कांग्रेस के ब्लॉक स्तर के संगठन पर बात करते हुये कांग्रेस प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव बताते हैं कि “ये सब होने के बाद लगा कि एक ढांचा बन गया है। इसके आगे अब आप क्या करोगे कैसे करोगे। फिर हमने संगठन सीजन के नाम से एक अभियान शुरु किया संगठन बनाने का। जिसमें हमने ब्लॉक अध्यक्ष बनाने शुरु किये”।

संगठन सचिव अनिल यादव ज़ोर देकर बताते हैं कि “उत्तर प्रदेश में 30 साल बाद पूरे प्रदेश में एक साथ हम लोगों ने ब्लॉक अध्यक्ष बदले। नये ब्लॉक अध्यक्ष बनाये। 831 ब्लॉकों में हमने नये ब्लॉक अध्यक्ष बनाये। जिसके बनाने की प्रक्रिया में हम लोगों ने हर ब्लॉक में दो-दो ओपेन मीटिंग रखवायी। कार्यकर्ताओं को सामान्य लोगों को जो उस इलाके को थोड़ा जानते समझते थे, जो न्यूट्रल लोग थे, सामाजिक लोगों को उन सबको बुलाया कि भैय्या तीन नाम बताइये कि इस ब्लॉक को कौन अच्छा चला सकता है। इस तरह हमारे पास लगभग 2500 नाम आये पीसीसी के पास। उस समय मैं प्रदेश संगठन सचिव बनाया गया। और उन 2500 लोगों में से हमें ब्लॉक अध्यक्ष चुनना था। फिर उसके लिये हमने जोन-वाइज उपाध्यक्षों को, महासचिवों को, सचिवों को जिलाध्यक्षों को बुलाया। उनको टेबल पर बैठाया, हर ब्लॉक से तीन नाम सुनाकर पूछा कि ये ये नाम आपके ब्लॉक से आये हैं बताइये किसे ब्लॉक अध्यक्ष बनाया जाये। फिर उन लोगों ने एक आम समझ बनायी कि इन इन लोगों को बना दो”।

ब्लॉक अध्यक्षों के चुनाव में वर्गीय और जातीय सामाजिक समीकरण को कितना महत्व दिया गया इसे रेखांकित करते हुये कांग्रेस प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव कहते हैं, “हमने एक और एक्सरसाइज की कि ऐसा न हो जाये कि हम किसी दलित बाहुल्य ब्लॉक का अध्यक्ष किसी सवर्ण को बना दें। या किसी अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाके का अध्यक्ष बहुसंख्यक को बना दें। तो फिर हम लोगों ने एक सामाजिक समीकरण को देखते हुये संगठन को बनाया। और ब्लॉक अध्यक्षों में भी कोशिश की कि नौजवान लोगों को जिम्मेदारी दी जाये। हमने फोकस किया कि नये लोग होंगे तो बेहतर होगा”।

ब्लॉक कमेटी का गठन और वेरीफिकेशन

कांग्रेस प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव आगे बताते हैं कि “इस तरह हम लोगों ने 831 ब्लॉक अध्यक्ष बनाये और उन्हें निर्देश दिया कि भैय्या आप ब्लॉक की कमेटी बनाओ। जिसमें 3 उपाध्यक्ष होंगे। जितनी न्याय पंचायत हैं उतने सचिव होंगे और हर दो न्याय पंचायत पर एक महासचिव होंगे। इस तरीके से लगभग 16 हजार कार्यकर्ताओं का एक नई दूसरी टीम हमने ब्लॉक स्तर पर बनायी। और फिर पीसीसी के जरिये सारे लोगों का वैरीफिकेशन हुआ”।

अनिल यादव आगे बताते हैं कि “इस तरह उत्तर प्रदेश में न्याय पंचायत स्तर पर गठन की प्रक्रिया शुरु हुयी। 8134 न्याय पंचायतें हैं। तो हम लोगों ने जैसी ब्लॉक की कमेटी बनी वैसे ही न्याय पंचायत अध्यक्ष बनाये। न्याय पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिये भी वही प्रकिया अपनाई। हम लोगों ने कोशिश की कि जो लोग न्याय पंचायत का चुनाव लड़ते हैं, या कोई सामाजिक संगठन चलाते हैं, छात्र राजनीति में थोड़ा सक्रिय हैं, या फिर कोई समूह वगैरह चलाते हैं। ऐसे लोगों को हम लोगों ने टारगेट बनाया और उत्तर प्रदेश में 8134 न्याय पंचायत अध्यक्षों का गठन किया। उनका वेरिफिकेशन किया। और फिर घोषणा किया कि ये हमारे 8134 न्याय पंचायत अध्यक्ष हैं। और अब उनकी 21-21 लोगों की कमेटी भी हमें मिल गई हैं। इस तरह लगभग 1 लाख 60 हजार कार्यकर्ताओं की एक न्यायपंचायत स्तरीय एक फौज तैयार हो गई है हमारी।

ग्रामसभा अध्यक्ष और उनकी कमेटियों का गठन

कांग्रेस प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव आगे बताते हैं कि “अब संगठन श्री जनअभियान तीसरे चरण में प्रवेश कर चुका है। जिसके तहत हम लोग ग्राम सभा अध्यक्ष बना रहे हैं। आज की तारीख में हमारे लगभग 37 हजार के आस पास हमारे ग्रामसभा अध्यक्ष और इनकी कमेटियां बन गई हैं। जिनका वेरिफिकेशन अब शुरु हो चुका है। अब तक हम लोगों ने लगभग 28 हजार ग्राम पंचायत अध्यक्षों का वेरिफिकेशन ग्रामसभा के स्तर पर किया है”।

मॉनिटरिंग का सिस्टम

वो आगे बताते हैं कि “मॉनिटरिंग के लिये हमने एक अलग से सेटअप बनाया है। कॉल सेंटर लगाया है। जब हमारे यहां नया संगठन सीजन अभियान चलता है, जैसे कि न्याय पंचायत स्तर का करेंगे या ग्राम सभा स्तर का तो हम सर्कुलर जारी करते हैं कि फला तारीख से फला तारीख तक प्रदेश सचिव अपने संरक्षण का जो उनका प्रभार क्षेत्र होगा वो उसमें 20 दिन या 25 दिन का जो कैंपेन होगा उस दौरान वो अपने प्रभार क्षेत्र में रहेंगे। इसी तरह हम महासचिवों का भी 3-4 जिला है। तो हम उनके लिये भी कैलेंडर जारी करते हैं कि आप पांच दिन इस जिले में रहेंगे पांच दिन उस जिले में। इस तीरेक से मॉनिटरिंग का अच्छा सिस्टम है हमारे पास”।

वेरिफिकेशन के तरीके को और बारीकी से समझाते हुये अनिल यादव बताते हैं कि- “वेरिफिकेशन हम कैसे करते हैं उसे दो कहानियों से समझिये। बनारस के रोहनिया विधानसभा के एक न्याय पंचायत अध्यक्ष बनाया गया। उसके लिये बाकायदा मीटिंग होती थी। और यह शर्त थी कि आप मीटिंग में नहीं आओगे तो आपको न्याय पंचायत अध्यक्ष नहीं बनाया जायेगा। तो हमने कुछ प्रोफेशनल लोग रखे हैं और उन्हें कुछ सवालों की लिस्ट सौंपी है कि आप उनसे सवाल पूछिये। तो एक न्याय पंचायत अध्यक्ष को फोन करके पूछा गया कि आप न्याय पंचायत अध्यक्ष हैं तो उसने कहा कि हाँ मैं हूँ। फिर उससे पूछा गया कि आप उस मीटिंग में आये थे। तो उसने मना कर दिया कि नहीं मैं तो नहीं आया था।

फिर ये रिपोर्ट मेरे सामने आयी कि बिना मीटिंग में गये उसे न्याय पंचायत अध्यक्ष बना दिया गया। फिर मैंने जिलाअध्यक्ष, प्रदेश सचिव, महासचिव को लाइन पर लिया कि ऐसी दिक्कत कैसे आ गयी। तो मामला ये था कि वो पहले से बहुत सक्रिय था। लेकिन जिस दिन मीटिंग थी ठीक उसके एक दिन पहले उसकी आँख का ऑपरेशन हुआ था तो वो उस दिन मीटिंग में नहीं आ सका। बाद में ये स्पष्ट हुआ कि वो हमारा सक्रिय कार्यकर्ता है और पूरी मेहनत से लगा हुआ है। आंख के ऑपरेशन के चलते मीटिंग में नहीं गया। तो हम इस स्तर तक मॉनिटरिंग करते हैं”।

अनिल यादव आगे बताते हैं कि मॉनिटरिंग की एक दूसरी कहानी है कि चंदौली में चकिया के एक न्याय पंचायत में लक्ष्मी विश्वकर्मा हमारे न्याय पंचायत अध्यक्ष हैं। बहुत सक्रिय कार्यकर्ता। उनको हमारे पीसीसी से फोन गया। कॉल सेंटर से कोई लड़की कॉल करके पूछी कि आप फलाने बोल रहे हैं तो बोले हां बोल रहे हैं। उसने पूछा कि आप कांग्रेस पार्टी के नेता हैं। तो बेचारे डर गये बोले नहीं नहीं मैं नेता नहीं हूँ। और फोन काट दिया। उनका मामला भी मेरे सामने आया। तो हमने पाया कि थोड़े कम पढ़े लिखे और आउटर क्षेत्र के हैं। तो वो लड़की का टोन नहीं समझ पाये कि वो पूछना क्या चाहती है। फिर जब मैंने उन्हें फोन करके उनकी टोन में बात की तो उन्होंने सहज बात की। मैंने उनसे पूछा कि किसी लड़की का फोन आया था क्या। तो बोले हां भैय्या एक लड़की का फोन आया था बहुत रुखियाय, रुखियाय के बोलत रही”।

अनिल यादव बताते हैं कि 8134 न्यायपंचायतों के वेरीफिकेशन में ऐसे 80 मामले सामने आये। तो हम ऐसे वेरिफिकेशन करते हैं।

प्रशिक्षण से पराक्रम महाप्रशिक्षण अभियान

कांग्रेस प्रदेश संगठन सचिव अनिल यादव आगे प्रशिक्षण कार्यक्रम पर बताते हैं कि “‘प्रशिक्षण से पराक्रम’महाप्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हम अपने 2 लाख कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे। पहले चरण में हमने जिले के पदाधिकारी, शहर के पदाधिकारी लोगों की ट्रेनिंग पूरा किया। दूसरे चरण में हमने ब्लॉक और न्याय पंचायत के पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया।

फिर दूसरा चरण हमारा विधानसभा स्तरीय रहा है। जिसमें न्याय पंचायत अध्यक्ष और न्याय पंचायत कमेटी। फिर इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष और बूथ स्तर की होगी। इसे हम नवंबर के आखिर तक पूरा कर लेंगे। 2 लाख कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण पूरा होगा। संगठन स्तर पर हमने इस तरह से काम किया है।

अनिल यादव आगे बताते हैं कि- मॉनिटरिंग की प्रक्रिया हमारी सतत प्रक्रिया है। जो लगातार चलती रहती है। मान लीजिये कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम है। गांव स्तर का। तो गांव के संगठन को हम लखनऊ से हैंडल कर सकते हैं। हम डिपेंड नहीं हैं कि कि हमारा प्रदेश का सचिव बतायेगा। तो गांव के संगठन या मुद्दे को पता करना होगा तो हम पता कर लेंगे तुरंत। क्योंकि हमारे पास सबके मोबाइल नंबर, वॉट्सअप नंबर, उनके बारे में जो भी पर्सनल जानकारी है वो सारा बनाकर रखा हुआ है।

संगठन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये प्रयासरत

प्रदेश संगठन में महिलाओं की 40 प्रतिशत भागीदारी के सवाल पर संगठन सचिव अनिल यादव कहते हैं कि –“संगठन का निर्माण करते समय हम चाह रहे थे कि महिलाओं का 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व संगठन में हो। लेकिन संगठन का निर्माण करते समय ये समस्या बार बार आयी कि महिलाओं में झिझक है। लेकिन जब हमने 40 प्रतिशत टिकट देने का वादा किया है। तो हम उन 40 प्रतिशत महिलाओं को संगठन में ले आयेंगे”।

वो आगे बताते हैं कि “हमने ग्रामसभा कमेटियों में, संगठन में एक अनिवार्यता रखी है कि जिले की कमेटी में एक महिला उपाध्यक्ष ज़रूर हो। इसी तरह ब्लॉक स्तर पर भी एक महिला उपाध्यक्ष अनिवार्य है। इसी तरह बूथ की कमेटियों में भी 35-40 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी हम सुनिश्चित करना चाहते हैं। एक राजनीतिक अरुचि और सामाजिक रुढ़ियों के चलते इतनी महिलायें नहीं मिल सकीं कि हम संगठन में 40 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कर सकें। लेकिन हमारा पूरा प्रयास है कि संगठन में 40 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी पूरी हो।

प्रियंका गांधी की वजह से खड़ा हुआ नया संगठन

कांग्रेस संगठन सचिव अनिल यादव आखिर में कहते हैं जो लोग क़रीबी नज़र रखते आ रहे हैं कांग्रेस पर। वो जानते हैं कि हमने संगठन का नया ढांचा खड़ा कर दिया है। हम दावा कर सकते हैं यदि उत्तर प्रदेश में हमें संगठन के लिहाज से आंका जायेगा तो संगठन के ढांचे, उसके सत्यापन में मजबूती में हम भाजपा से किसी भी मामले में कमजोर नहीं हैं। वो बताते हैं कि बनारस की रैली हमने संगठन के दम पर की। वो संगठन की रैली थी। हमने यूपी के किसी नेता को नहीं कहा कि आप भीड़ लेकर आओ। वो हमारे कार्यकर्ताओं की अनुशासित रैली थी। प्रशासन ने बैरिकेड्स लगाकार आजमगढ़ और ग़ाज़ीपुर से आने वाली गाड़ियों को सात किमी दूर रोक दिया था। उसके बावजूद कार्यकर्ता पैदल चलकर रैली तक पहुंचे। ये चीजें हो रही हैं। ज़मीन का संगठन खड़ा हुआ है।

ये पिछले 3 दशकों में नई चीज है जो प्रियंका गांधी के आने के बाद हुआ है। ये किसी एक आदमी का नहीं बल्कि पार्टी का संगठन है। और प्रियंका गांधी रुचि लेकर लगातार मॉनिटरिंग करती रही हैं। नया सुझाव, नये आईडियाज देती रहीं। संगठन सीजन अभियान जब तक चला है सप्ताह में तीन मीटिंग महासचिव सचिव के साथ वो जूम पर लगातार करती थीं। सोमवार, बुधवार और शनिवार को अनिवार्य मीटिंग होती थी। वो रोज रिपोर्ट लेतीं कि फला जिले में इतनी न्याय पंचायत है तो संगठन कितना प्रतिशत बन गया या 15 प्रतिशत बाकी है तो क्यों बाक़ी है इसका कोई कारण होगा। इस तरीके की मॉनिटरिंग थी उनकी। अनिल यादव बताते हैं कि ग्रामसभा स्तर के संगठन बनाने तक में महासचिव प्रियंका गांधी का इतना इंट्रेस्ट रहा है कि वहां पार्टी का संगठन बने।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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