कच्चाथीवु पर श्रीलंका के पूर्व राजनयिक: अगर भारत समुद्री सीमा पार करता है तो इसे संप्रभुता का उल्लंघन माना जाएगा

नई दिल्ली। आखिर जिस बात की आशंका थी वही हुआ। श्रीलंका के एक पूर्व राजनयिक ने कच्चाथीवु मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। भारत में श्रीलंका के उच्चायुक्त रहे आस्टिन फर्नेंडो ने कहा कि बीजेपी भले ही इसे वोट खींचने के मुद्दे के तौर पर देख रही है लेकिन चुनाव बाद भारत सरकार के लिए इससे पीछे हटना मुश्किल होगा जो एक समस्या है।

यह बात फर्नेंडो ने इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार श्रीलंकाई अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा को पार करती है तो यह श्रीलंका की संप्रभुता का उल्लंघन माना जाएगा। इस सिलसिले में उन्होंने श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानासिंघे प्रेमदासा के 1980 के दशक के आखिरी दिनों में आईपीएकेएफ के संबंध में दिए गए बयान को याद किया।

2018 से 2020 के बीच भारत में श्रीलंका के उच्चायुक्त रहे फर्नेंडो ने कहा कि अगर पाकिस्तान गोवा के पास इस तरह के समुद्री अतिक्रमण का प्रस्ताव देता है तो क्या भारत बर्दाश्त करेगा? या फिर बांग्लादेश बंगाल की खाड़ी में ऐसा कुछ करता है तो भारत की उस पर क्या प्रतिक्रिया होगी? 

भारत ने कच्चाथीवु के इस छोटे द्वीप को 1974 में श्रीलंका को दे दिया था। अब तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार पर बेपरवाही से उसे श्रीलंका को दे देने का आरोप लगाया है।

फर्नेंडो ने कहा कि बीजेपी की तमिलनाडु में तुलनात्मक तौर पर ज्यादा पकड़ नहीं है। इसलिए इसने इसे वोट खींचने के लिए इस्तेमाल किया है।

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ऐसा लगता है कि यह केवल चुनाव के लिए एक जुमला है। लेकिन एक बार वो इस तरह का कुछ कहते हैं तो सरकार के लिए चुनाव बाद उससे बाहर आना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि बीजेपी चुनाव जीतेगी। यही समस्या है। उन्हें और हमें दोनों को इस पर सोचना चाहिए।

श्रीलंका में रक्षा सचिव के तौर पर भी काम कर चुके फर्नेंडो ने कहा कि तमिलनाडु के मतदाताओं को संतुष्ट करने के लिए विदेश मंत्री जयशंकर भले ही यह कह सकते हैं कि निश्चित तौर पर कच्चाथीवु इलाके में हमें मछली मारने का अधिकार है। लेकिन प्रभावी तौर पर ऐसा किया जा सकता है या नहीं एक दूसरा मुद्दा है। किसी भी मुद्दे को कौन नियंत्रित करेगा? कृपया हमें यह मत बताइये कि यह काम भारतीय तट रक्षक बल करेगा।

अगर श्रीलंकाई सरकार इसको छोड़ देती है तो वह उत्तरी मछुआरों के बहुमत मतदाताओं का विश्वास खो देगी।

81 वर्षीय फर्नेंडो श्रीलंका सरकार में कई उच्च पदों पर रह चुके हैं। जिसमें श्रीलंकाई राष्ट्रपति के सचिव से लेकर उत्तरी प्राविंस के गवर्नर, श्रीलंकाई पीएम का सलाहकार, रक्षा सचिव और गृह सचिव का पद शामिल है। छह दशकों के अपने लंबे कैरियर में वह श्रीलंकाई राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के साथ कई स्तरों पर काम कर चुके हैं।

भारत द्वारा श्रीलंका को दी गयी आर्थिक सहायता पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीलंका की आर्थिक कठिनाइयों के दौरान भारत द्वारा श्रीलंका को दिए गए 4 बिलियन डालर की आर्थिक सहायता और आईएमएफ में उसके समर्थन की बात से मैं अवगत हूं। हमारी सरकार इसके बारे में ज़रूर सोच रही होगी। इन्हीं कृपाओं के चलते शायद उसने कूटनीतिक तौर पर चुप्पी साध रखी है। मौजूदा दौर में हमारे देश की कठिन परिस्थितियों और भारत में चुनावी माहौल के चलते मैं सोचता हूं कि इसे नहीं उठाया जाना चाहिए। लेकिन मैं इस बात को समझता हूं कि बीजेपी के लिए यह सबसे बेहतरीन अवसर हो सकता है।     

भारत की श्रीलंका में मौजूदगी के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यहां विपक्ष भारत को लेकर आलोचनात्मक है और यह बात उस आलोचना की आग में घी का काम करेगी। जो एक और कठिन राजनीतिक माहौल को पैदा करेगी।

पूर्व भारतीय और श्रीलंकाई राजनयिकों ने इंडियन एक्सप्रेस को मंगलवार को बताया था कि 1970 के दशक में सरकारों ने समझौते को एक विश्वास के माहौल में संपन्न किया जहां दोनों पक्षों ने ‘कुछ जीता’ और ‘कुछ खोया’। पिछले सालों में श्रीलंका से डील करने वाले पूर्व भारतीय राजनयिकों ने भी इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में इस बात को चिन्हित किया था कि दिल्ली वाज बैंक और उसके समृद्ध संसाधनों तक पहुंचने में सफल हो गया था।  

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