स्टेन स्वामी की मौत सांस्थानिक हत्या! पटना में नागरिकों ने मार्च निकाल कर दी श्रद्धांजिल

पटना। 84 वर्षीय जेश़ूइट सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की कस्टडी में की गई सांस्थानिक हत्या के खिलाफ आज पटना के नागरिकों ने ‘हम पटना के लोग’ बैनर से प्रतिवाद दर्ज किया और उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। पटना के नागरिकों ने एक स्वर में कहा कि सत्ता की ताकतों ने स्टेन स्वामी की हत्या की है, यह साधारण मौत नहीं है। ऐसी मौत के जरिये सत्ता-सरकार हमें डराने की कोशिश कर रही है। इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा और लोकतंत्र की लड़ाई जारी रहेगी।

यह सभा स्टेशन गोलम्बर स्थित बुद्ध स्मृति पार्क के पास हुई। सबसे पहले फ़ादर स्टेन स्वामी के चित्र पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धाजंलि दी गई। इस कार्यक्रम में भाकपा-माले की पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, फ़ादर जोस, पटना विवि इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. डेजी नारायण, निवेदिता झा, ऐपवा की मीना तिवारी, माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, कर्मचारी नेता रामबली प्रसाद, संतोष सहर, अलीम अख्तर, रंजीव, तारकेश्वर ओझा, अनिल अंशुमन, अरुण प्रियदर्शी सहित बड़ी संख्या में आइसा, इनौस, एआईपीएफ और अन्य दूसरे संगठनों के लोग शामिल हुए।

अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. डेज़ी नारायण ने कहा कि यह एक महज श्रद्धाजंलि सभा नहीं, बल्कि संविधान-लोकतंत्र और लोगों के जीने के अधिकार को लेकर लड़ाई को तेज करने का संकल्प लेने का समय है। फादर स्टेन स्वामी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। हम मजबूती से UAPA जैसे कानूनों को खत्म करने की मांग करते हैं, जिसका दुरुपयोग लोगों की आवाज दबाने में किया जा रहा है। भीमा कोरेगांव में फंसाये गए लोग देश के चर्चित बुद्धिजीवी हैं, लेकिन उनके साथ देश की सरकार व न्यायपालिका जो व्यवहार कर रही है, वह हतप्रभ करने वाला है। हम न्याय व लोकतंत्र की लड़ाई जारी रखेंगे।

कविता कृष्णन ने कहा कि फादर स्टेन की जमानत की सुनवाई ने भारतीय न्याय व्यवस्था में गिरावट के नये प्रतिमान दर्ज कर दिये हैं जो आगामी इतिहास में दर्ज रहेगा। न्यायाधीशों ने सुनवाइयों में दो महीनों से अधिक का समय सिर्फ एक सिपर देने की अनुमति देने में काट दिया जिससे फादर स्टेन सम्मानजनक तरीके से पानी पी सकते थे। सब जानते थे कि कोविड के काल में 84 वर्षीय व्यक्ति को जेल में डालना उन्हें मौत के मुंह मे धकेलना था। हमारा देश लोकतांत्रिक है तो अदालत में हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है। हम सारे लोग कह रहे थे कि सरकार गिरफ्तार सभी 16 लोगों की सुनवाई क्यों नही करवा रही है? यदि NIA सबूत पेश नहीं कर रही थी तो उन्हें बेल क्यों नहीं दिया जा रहा था? क्योंकि ये लोग जानते हैं कि यदि अदालत में सुनवाई होगी तो अदालत उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होगी, क्योंकि इनके खिलाफ कोई सबूत ही नहीं है। 

सुधा वर्गीज ने कहा कि स्टेन स्वामी समझौता करने वाले आदमी नहीं थे।15 लोग और हैं, जो उसी तरह के झूठे मुकदमे में फंसा दिए गए हैं। उनके साथ ऐसा न हो और उनको बेल मिले, इसके लिए हम लोगों को लड़ना पड़ेगा। आज UAPA में क्या हो रहा है, हम सब जानते हैं। न्यायपालिका किसी के इशारे पर काम कर रही है। वह नागरिकों के खिलाफ काम कर रही है। 

फ़ादर जोस ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी ने अपने कैरियर को छोड़कर गरीबों की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा दिया, आज उनके साथ यह बर्ताव निंदनीय है।

सभा को रंजीव, आइसा नेता दिव्यम, अशोक प्रियदर्शी, निवेदिता झा, अनिल अंशुमन आदि ने भी संबोधित किया। संचालन एआईपीएफ के कमलेश शर्मा ने किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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