नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन के दौरान दो लोगों की मंगलुरू और एक की लखनऊ में मौत

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के दौरान तीन लोगों के मौत की खबर आ रही है। कर्नाटक के मंगलुरू में दो लोगों की मौत हुई है इसमें एक की मौत पुलिस की गोली से बतायी जा रही है। तीसरे शख्स की जान लखनऊ में गयी है। हालांकि अभी तक लखनऊ वाली मौत कैसे हुई इसके बारे में कुछ भी पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है।

रायटर्स के हवाले से आयी खबर में बताया गया है कि मंगलुरू में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर सीधे गोली चलायी जिसमें एक शख्स की मौके पर ही मौत हो गयी। दूसरे शख्स की मौत कैसे हुई है इसके बारे में अभी ठीक-ठीक कुछ पता नहीं चल सका है। आज के आंदोलन के मामले में कर्नाटक सरकार का रवैया बेहद शख्त था। कल बंगलुरू के पुलिस कमिश्नर ने जिस तरह से बयान दिया था उसे ही देखकर ऐसा लग गया था कि कर्नाटक सरकार ने आंदोलनकारियों से बेरहमी से निपटने का मन बना लिया है। यहां कुछ पुलिसकर्मियों के भी घायल होने की बात सामने आ रही है। घटना के बाद शहर के पांच पुलिस स्टेशन इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

कमिश्नर का कहना था कि लोगों के मौलिक अधिकार वहीं खत्म हो जाते हैं जहां से दूसरे लोगों की असुविधा शुरू होती है। पूरे सूबे में धारा-144 लगा दी गयी थी। यानी कहीं भी किसी को एकत्रित होने की इजाजत नहीं थी। कर्नाटक पुलिस का यह क्रूर और तानाशाहीभरा रवैया उस समय भी दिखा जब उसने जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा को गिरफ्तार किया। अभी वह अपने घर से निकले ही थे कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया। गुहा कुछ बता पाते उससे पहले ही एक पुलिसकर्मी ने उनकी बांह पकड़ ली और उन्हें खींचना शुरू कर दिया। हालांकि गुहा के साथ पुलिस के इस रवैये की चारों तरफ भर्त्सन हो रही है।

लेकिन कर्नाटक सरकार की इस कड़ाई के बाद भी आंदोलनकारी रुके नहीं और उन्होंने टाउनहाल पर इकट्ठा होकर जमकर प्रदर्शन किया।

इधर आज लखनऊ में परिवर्तन चौक पर बड़ा जमावड़ा हुआ। जिसमें वामपंथी पार्टियों से लेकर तामाम लोकतांत्रिक संगठनों के लोग शामिल हुए। यहां भी सरकार ने कुछ ऐसा माहौल बनाया था कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। लेकिन उसकी सारी की सारी कोशिशें धरी रह गयीं। और बड़ी तादाद में लोग न केवल परिवर्तन चौक पर जुटे बल्कि वहां उनकी एक सभा भी हुई।

लेकिन लखनऊ के पुराने इलाके को हिंसा से नहीं बचाया जा सका। हालांकि कुछ लोग इसके पीछे एक साजिश भी देख रहे हैं। समाजसेवी और पत्रकार सादाफ जफर ने अपने फेसबुक वाल पर कुछ इसी तरह का एक वीडियो साझा किया है जिसमें सामने गाड़ियां जलाई जा रही हैं लेकिन पुलिस दूर-दूर तक नहीं दिख रही है। यहां तक कि फायर ब्रिगेड भी बताया जा रहा है कि आधे घंटे बाद आयी। इस वीडियो में आगजनी करने वाले बदमाशों को भागते हुए देखा जा सकता है। साथ ही मीडियाकर्मियों को आपस में बात करते सुना जा सकता है कि इन उपद्रवियों का प्रदर्शनकारियों से कोई रिश्ता नहीं है। लखनऊ में जिस शख्स की मौत हुई है अभी उसकी पूरी पहचान सामने नहीं आ पायी है।

उधर परिवर्तन चौक पर हुई सभा को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) की केन्द्रीय कमेटी सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि आज का दिन साझी शहादत का दिन है। अशफाकउल्ला, राम प्रसाद बिस्मिल व रोशन सिंह को अंग्रेजी हुकूमत ने आज फांसी दी थी। हिंदुस्तान की आजादी साझी शहादत की बदौलत मिली है और संविधान हमारी साझी विरासत है।

हमें संविधान में भेदभावपूर्ण बदलाव मंजूर नहीं है। हम एनआरसी तथा नागरिकता संशोधन कानून को नामंजूर करते हैं। सभा को माकपा के राज्य सचिव हीरालाल यादव, प्रेमनाथ राय, ऐडवा की मधु गर्ग, रिहाई मंच के राबिन, लोकतांत्रिक जनता दल के जुबैर खान, इलाहाबाद विवि के पूर्व अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह व अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया।

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