कोरोना काल में जब सोशल डिस्टेंसिंग को कोविड-19 संक्रमण से सबसे बड़े बचाव के रूप में दुनिया भर में अनुसरित किया जा रहा है ठीक उसी कोरोना काल में उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर के स्वरूप नगर स्थित 100 लड़कियों की क्षमता वाले राजकीय बालिका गृह में 171 संवासनियां रह रही थीं। ऐसे में इनके कोविड-19 संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ जाता है। मिली जानकारी के मुताबिक संवासिनी गृह के एक हिस्से में बाल गृह और दूसरे हिस्से में महिला शरणालय है।
प्रोबेशन अधिकारी अजित कुमार के मुताबिक वर्तमान में बालिका गृह में 171 बालिकायें और 59 महिलायें संवासिनी गृह में रह रही थीं जिसमें 57 लड़कियों के कोविड-19 संक्रमित पाए जाने के बाद सील कर दिया गया है। इन संवासनियों में से 7 गर्भवती, एक एड्स संक्रमित और एक हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त है।
मेडिकल कॉलेज की लापरवाही या संक्रमित महिला कर्मचारी के चलते कोविड-19 संक्रमण शेल्टर होम तक पहुंचा
ख़बरों के मुताबिक 10-12 जून तक जच्चा-बच्चा अस्पताल में गर्भवती संवासिनी को भर्ती करवाया गया था। उस संवासिनी की देख-रेख के लिए जिस महिला कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई थी वो महिला कर्मचारी आज की तारीख में कोविड-19 की मरीज है। 12 जून को जब गर्भवती संवासिनी अस्पताल से डिस्चार्ज की गई तो मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा उसका कोविड-19 टेस्ट नहीं करवाया गया और उसे वापस राजकीय बालिका गृह में दाखिल कर दिया गया। संभवतः राजकीय बालिका गृह में कोविड-19 संक्रमण जच्चा-बच्चा अस्पताल में भर्ती उक्त गर्भवती संवासिनी के साथ ही प्रवेश किया हो।
यूपी राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर का कहना है कि राजकीय आश्रय गृह कर्मचारियों के साथ दो लड़कियां कानपुर के एक अस्पताल में इलाज के लिए गई थीं संभवतः अस्पताल में ही किसी कोविड-19 मरीज के संपर्क में आने से वे संक्रमित हुईं और उनके जरिए पूरे बालिका गृह में संक्रमण फैला।
वहीं दूसरी ओर शेल्टर होम की चतुर्थ क्लास की एक महिला कर्मचारी भी कोविड-19 संक्रमित पाई गई है। मुमकिन है कि शेल्टर होम में कोविड-19 संक्रमण इसी संक्रमित महिला के जरिए पहुंचा हो।
171 में जो 57 लड़कियां कोविड-19 संक्रमित पाई गई हैं वो सबकी सब 15-17 वर्ष आयु की हैं। इसके अलावा सभी 57 संक्रमित लड़कियों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जबकि 114 लड़कियों (जो संक्रमित नहीं है) और 37 कर्मचारियों को अलग इमारत में क्वारंटीन किया गया है।
संवासिनी का बालिका गृह में गर्भवती पाया जाना गैरकानूनी नहीं
चाइल्ड प्रोविजन ऑफिसर अनूप कुमार का कहना है, “ नाबालिग लड़कियों के भाग जाने पर हमेशा लड़की के घर वाले जब मुकदमा दर्ज़ कराते हैं तो मुकदमा धारा 363 आईपीसी में दर्ज़ होने के साथ ही पॉक्सो एक्ट की धाराओं में दर्ज़ होता है। जब लड़की बरामद होती है तो पुलिस के द्वारा मेडिकल कराए जाने के बाद उसमें 376 की बढ़ोत्तरी की जाती है। चूँकि जिस लड़के के साथ भाग कर नाबालिग लड़की शादी करती है। उस लड़की के पति के जेल जाने पर जब वह लड़की अपने माता-पिता के साथ जाने को तैयार नहीं होती है तब संवासिनी गृह में उसका प्रवेश होता है। क्योंकि यह लड़कियाँ अपने पति के संपर्क में आने पर प्रेग्नेंट हो जाती हैं तो स्वाभाविक है जब वह संवासिनी गृह में आएंगी तब वह प्रेग्नेंट होकर ही आएंगी। हालांकि इनकी जांच करवाने के बाद ही इन्हें संवासिनी गृह में लाया जाता है। जिन संवासिनियों की प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, पहले ही उनकी प्रेगनेंसी की जांच हो चुकी है।”
कानपुर नगर के जिलाधिकारी ब्रह्मदेव तिवारी ने मीडिया के एक वर्ग द्वारा कानपुर गर्ल्स शेल्टर होम मामले को सनसनीखेज बनाकर पेश करने और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर भ्रामक तरीके से दुष्प्रचार करने पर पर नाराजग़ी जाहिर करते हुए कहा है, “ कानपुर के राजकीय बाल संरक्षण गृह (बालिका) के भीतर किसी भी किशोरी के गर्भवती होने की खबर पूर्णत: निराधार व सत्य से परे है। किसी भी ज़िम्मेदार व्यक्ति को ऐसे संवेदनशील मामले में पाक्सो एक्ट के प्रावधानों की जानकारी व तथ्यों के आधार पर ही कुछ कहना चाहिए।”
कानपुर सरकार बालिका गृह पर तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए जिलाधिकारी ने मंडलायुक्त डॉ सुधीर एम बोबडे के निर्देश पर 2 मिनट का वीडियो संदेश जारी किया है।
वीडियो में जिलाधिकारी बताते हैं- “पांच लड़कियाँ बालिका संरक्षण गृह के संवासिनियों के विगत सप्ताह कराए गए कोविड-19 टेस्ट के परिणाम आ गए हैं इनमें 57 लड़कियां कोविड-19 पोजिटिव पाई गई हैं। इनमें से सभी को कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती करा दिया गया है। 5 बालिकाएं गर्भवती हैं। ये पांच बालिकाएं पॉक्सो एक्ट के तहत सीडब्ल्यूसी के आदेश पर संवासिनी गृह में संदर्भित की गई थीं।
ये पांचों लड़कियां क्रमशः आगरा, कन्नौज, फिरोजाबाद, एटा और कानपुर नगर के बाल कल्याण समितियों और सीडब्ल्यूसी द्वारा संदर्भित मामलों से जुड़ी रही हैं। इसके अलावा कानपुर नगर और एटा सीडब्ल्यूसी द्वारा संदर्भित दो अन्य लड़कियां जो पहले से गर्भवती हैं वो कोविड-19 नेगेटिव पाई गई हैं। कोविड-19 पोजिटिव दो गर्भवती लड़कियों को मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में, और तीन निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इन सबको कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत इलाज दिया जा रहा है।”
जिला प्रशासन का भ्रामक ख़बर फैलाने वालों के खिलाफ़ कार्रवाई करने का निर्देश
कानपुर सरकारी बालिका गृह में गर्भवती लड़कियों के संबंध में फैलाई जा रही भ्रामक ख़बरों पर कार्रवाई करने का मन बनाया है। इस संदर्भ में एक ट्वीट करते हुए जिलाधिकारी ने बताया है, “कुछ लोगों द्वारा कानपुर संवासिनी गृह को लेकर ग़लत उद्देश्य से पूर्णतया असत्य सूचना फैलाई गई है। आपद काल में ऐसा कृत्य संवेदनहीनता का उदाहरण है। कृपया किसी भी भ्रामक सूचना को जाँचें बिना पोस्ट ना करें। ज़िला प्रशासन इस संबंध में आव़श्यक कार्रवाई हेतु लगातार तथ्य एकत्र कर रहा है।”
उत्तर प्रदेश महिला कल्याण विभाग ने भी इस संदर्भ में एक ट्वीट लिखते हुए भ्रामक खबरों को फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि “विभाग के अंतर्गत जे जे व पॉक्सो एक्ट के अनुसार अनाथ, खोई, उपेक्षित व यौन हिंसा पीड़ित बालिकाओं हेतु राजकीय गृह संचालित हैं। बालिका गृह-कानपुर में गर्भवती पाई गयी बालिकाएं इन श्रेणियों में शामिल हैं, भ्रामक खबर फ़ैलाने वालों पर विभाग द्वारा कड़ी कार्यवाही की जाएगी।”
उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता कहते हैं, “उत्तर प्रदेश के बाल आयोग ने 17 जून को जांच में पाया कि जो दो संवासिनी प्रेग्नेंट पाई गई हैं, वे पॉक्सो एक्ट के तहत ही संवासित की गई हैं जिनको बाल कल्याण समिति ने बालिका गृह में उनकी केयर और प्रोटेक्शन के लिए रखा है। उनके सुरक्षित प्रसव का उत्तरदायित्व बालिका गृह प्रशासन का है।”
वहीं उत्तर प्रदेश राज्य महिला कमीशन की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह कहती हैं, “राजकीय संप्रेक्षण गृह किशोरी में किसी भी नई संवासिनी का प्रवेश मजिस्ट्रेट अथवा बाल कल्याण समिति के आदेशों से ही किया जाता है तथा प्रवेश के समय तत्काल ही मेडिकल कराया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही बालिकाओं को रखा जाता है।”
राज्य महिला आयोग उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष ने मांगी जानकारियां
उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने कानपुर जिले के राजकीय बालिका गृह में गर्भावस्था और कोविड-19 संक्रमण के मामलों के बारे में कानपुर के जिलाधिकारी को लेटर जारी करके 6 बिंदुओं पर 24 घंटे के भीतर जानकारी देने का निर्देश दिया है। जो इस प्रकार हैं-
डीपीओ कानपुर ने सातों गर्भवती लड़कियों का डिटेल जारी किया
वहीं कल डीपीओ कानपुर अजीत कुमार ने गर्भवती सातों लड़कियों की डिटेल जारी किया है।
पहले भी राजकीय महिला संरक्षण गृह में अपराध को अंजाम दिया गया है
जनवरी 2018 में एक 24 वर्षीय संवासिनी से रेप और हत्या का मामला प्रकाश में आया था। तब तत्कालीन प्रोबेशन अधिकारी नीलम वर्मा, प्रभारी अधिकारी शिव मनोक, नाइट अफसर मीना देवी और वीरू श्रीवास्तव को सस्पेंड कर दिया गया था जबकि मंडलीय उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी श्रुति शुक्ला को विभागीय कार्रवाई करते हुए चार्जशीट किया गया था।
जबकि एक दूसरी घटना में एक संवासिनी महिला ने 13 अप्रैल 2018 को जहर (फिनाइल) पी लिया था जिसे समय रहते उपचार मिलने के चलते बचा लिया गया था।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)