इंडिया गठबंधन की बैठक टली, 18 दिसंबर को होने की संभावना

नई दिल्ली। इंडिया गठबंधन की बैठक टल गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 6 दिसंबर को गठबंधन के नेताओं को बुलाया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बयान जारी कर बैठक में उपस्थित होने में असमर्थता जताई थी। लिहाजा बैठक को स्थगित कर दिया गया। मिली सूचना के मुताबिक 18 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक संभावित है।

इंडिया गठबंधन के तीनों प्रमुख नेताओं ने बैठक में शामिल नहीं होने के अपने कारण बताए हैं। ममता बनर्जी पहले से राज्य में तय कार्यक्रमों, नीतीश कुमार तबीयत ठीक न होने और एमके स्टालिन राज्य में आए चक्रवाती तूफान मिचौंग (Cyclone Michaung)  की वजह से बैठक में शामिल होने में असमर्थता जताई। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी बैठक में नहीं शामिल होने का संकेत दिया। लिहाजा बैठक को कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया।

यह बात सही है कि इंडिया गठबंधन के तीन प्रमुख नेताओं ने बैठक में शामिल नहीं होने के पीछे की वजहों को सार्वजनिक तौर पर सामने रखा। लेकिन बैठक से दूर रहने के यही कारण नहीं है। ये तात्कालिक कारण हो सकते हैं। बैठक से दूर रहने का असली कारण पांच विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस द्वारा सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा न करना है। कांग्रेस यह सोचकर चल रही थी कि वह अकेले राज्य में बहुमत हासिल कर लेगा, और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद वह क्षेत्रीय दलों के साथ अपनी शर्तों पर समझौता करेगा। लेकिन चार राज्यों में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद अब उसके मंसूबे पर पानी पड़ गया है। अब गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दल ही कांग्रेस को दबाव में लेने की रणनीति पर चल रहे हैं। यही कारण है कि कई दलों ने सीधे तौर पर बैठक में शामिल होने से मन कर दिया।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में से चार राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा। पार्टी समर्थकों की तो बात ही छोड़िए विरोधियों को भी कांग्रेस के इस हार का अंदाजा नहीं था। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो हर कोई मान रहा था कि कांग्रेस की ही जीत होगी। लेकिन दोनों राज्यों में भूपेश बघेल और कमल नाथ के अति आत्मविश्वास और अहंकार ने पार्टी की नैया डुबो दी।

पांच राज्यों के चुनावों में लोगों को उम्मीद थी कि कांग्रेस के राजनीतिक प्रदर्शन में सुधार होगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन मजबूत होगा, जो 2024 के आम चुनाव में संघ-भाजपा के समक्ष कड़ी चुनौती पेश करेगा। लेकिन तीन हिंदी भाषी राज्यों और पूर्वोत्तर के मिजोरम में कांग्रेस की हार ने इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के भी आत्मविश्वास को डिगा दिया है। कुछ दल तो मुखर रूप से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति और सहयोगी दलों को महत्व न देने पर सवाल उठा रहे हैं। 

तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने तो 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की दिल्ली में बुलाई गयी बैठक में शामिल होने से इंकार किया है। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दोनों ने सोमवार को कांग्रेस को दिए कड़े संदेश में बैठक में शामिल होने से मना किया है। बनर्जी ने 6 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई गठबंधन के नेताओं की बैठक में शामिल होने में असमर्थता व्यक्त की।  

दरअसल, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश में समझौता नहीं हो सका था। सपा लगभग तीन सीटों पर सहमत थी। लेकिन कमल नाथ सपा को एक भी सीट नहीं दिया। अब वाराणसी में एक कार्यक्रम में, अखिलेश ने कांग्रेस का जिक्र किए बिना कहा, “अब परिणाम आ गया है तो अहंकार भी ख़त्म हो गया है। आने वाले समय में फिर रास्ता निकलेगा।”

सपा अध्यक्ष ने कहा कि जहां संविधान और लोकतंत्र को बचाना जरूरी है, वहीं यह समझना भी जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादियों का संघर्ष कितना महत्वपूर्ण है। “यूपी में सपा की लड़ाई बड़ी है और पार्टी सपा को कुछ बड़े फैसले लेने होंगे। बातचीत वहीं से शुरू होगी जहां से शुरू हुई थी। जहां भी कोई पार्टी मजबूत है, वहां दूसरों को उसका समर्थन करना चाहिए।”

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस ने तीनों राज्यों को वोटों के विभाजन के कारण खो दिया, जिसे सीट-बंटवारे की व्यवस्था करके रोका जा सकता था। कांग्रेस ने तेलंगाना जीत लिया है। वे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी जीत लेते। इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां भी कुछ वोट काटती हैं और यही सच्चाई है। हमने सीट-बंटवारे की व्यवस्था का सुझाव दिया था। वे वोटों के विभाजन के कारण हार गए।” 

ममता बनर्जी ने राजस्थान में कांग्रेस, भाजपा और अन्य दलों के मत प्रतिशत का उल्लेख करते हुए कहा कि “मैं नतीजों पर गौर कर रही थी। अंतर…39 प्रतिशत (कांग्रेस), 42 प्रतिशत (भाजपा), और 12 प्रतिशत इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य सहयोगियों के पास गया।”  

ममता ने कहा कि सच्चाई यह है कि “यह वास्तविकता और तथ्य है कि हम इसे रोक नहीं पा रहे हैं। यह कांग्रेस की हार है, जनता की नहीं। जनता ने बीजेपी के खिलाफ अपना फैसला सुनाया है।”

ममता बनर्जी 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हो रही हैं। क्योंकि वह 6 दिसंबर से 11 दिसंबर तक उत्तर बंगाल के दौरे में व्यस्त रहेंगी। साथ ही ममता बनर्जी ने यह कहकर चौंका दिया कि मुझे 6 दिसंबर की बैठक की तारीख के बारे में जानकारी नहीं थी। अगर मुझे बैठक की तारीख के बारे में पहले से पता होता तो मैं राज्य दौरे को अलग दिन रखती।”  

ममता बनर्जी ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के बीच जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा कर देना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, “मेरा दृढ़ विश्वास है कि अगर सीटों का बंटवारा हुआ तो 2024 में बीजेपी सरकार वापस नहीं आएगी।” इंडिया गठबंधन मिलकर काम करेगा। हम गलतियां सुधारेंगे। एक गलती कई सबक सिखाती है। सिर्फ आलोचना से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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