महिला आरक्षण बिल को जल्द लागू करने के लिए लड़ेगा INDIA: सोनिया गांधी

नई दिल्ली। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार 14 अक्टूबर को कहा कि महिला आरक्षण बिल को जल्द लागू करने के लिए INDIA गठबंधन संघर्ष करेगा। कांग्रेस नेता चेन्नई में सत्तारूढ़ द्रमुक के महिला अधिकार सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महिला आरक्षण बिल संसद से तो पारित हो गया लेकिन ये बिल कब लागू किया जाएगा? एक साल में, दो साल में, तीन साल में, हमें कुछ पता नहीं। उन्होंने कहा कि “आपमें से कुछ पुरुष खुश हैं, लेकिन हम महिलाएं खुश नहीं हैं और हम इसके लिए तब तक लड़ते रहेंगे जब तक हमें वह हासिल नहीं हो जाता, चाहे आप पुरुष को पसंद हो या नहीं।“

सबसे पहले यूपीए-2 ने पेश किया था विधेयक

सोनिया गांधी ने कहा कि “सबसे पहले महिला आरक्षण विधेयक यूपीए-2 ने पेश किया था जो राज्यसभा से पारित हो गया। लेकिन आम सहमति की कमी के कारण इसे लोकसभा में पारित होने से रोक दिया गया।“ उन्होंने सभी नेताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब, महिला आरक्षण विधेयक आखिरकार हमारी अथक दृढ़ता के कारण पारित हो गया है।

राजीव गांधी लाए थे ऐतिहासिक महिला आरक्षण

कांग्रेस नेता ने कहा कि राजीव गांधी महिलाओं के लिए ऐतिहासिक 33% आरक्षण ले कर आए। जो लोकसभा में समान एक-तिहाई सीटों पर आरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संसद और संसद के बाहर किया था।

महात्मा गांधी, नेहरू, इंदिया को किया याद

इस दौरान उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरु ने कहा था कि “यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं, यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं।” महिला सशक्त मतलब भारत सशक्त।”

उन्होंने कहा कि “हम इंदिरा की प्रेरणादायक भूमिका को कभी नहीं भूल सकते हैं, जिसमें उन्होंने दिखाया है कि एक महिला किस तरह ताकत, क्षमता और नेतृत्व के साथ गरीबी उन्मूलन के लिए गहरी संवेदनशीलता के साथ नेतृत्व कर सकती है।“

सोनिया गांधी ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि “उनके नेतृत्व में उल्लेखनीय अहिंसक स्वतंत्रता संग्राम ने लैंगिक समानता पर जोर दिया। 1928 में, मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में मसौदा संविधान तैयार किया जा रहा था, और 1931 का कराची प्रस्ताव जवाहरलाल नेहरू द्वारा तैयार किया गया था, इन दोनों दस्तावेजों ने महिलाओं के अधिकारों की वकालत की, समान मतदान अधिकार, राजनीतिक और आर्थिक अधिकार और उचित वेतन की वकालत की। उन्होंने हमारे राष्ट्र के निर्माण में महिलाओं को समान भूमिका निभाने की नींव रखी। उन्होंने सार्वभौमिक मताधिकार, लैंगिक समानता और एक समाजवादी, न्यायसंगत समाज के वादे को मूर्त रूप दिया और यह भावना तब भी जारी रही जब डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व और अध्यक्षता में भारत का संविधान अंततः तैयार किया गया।“

महिलाओं की स्थिति पर तमिलनाडु सरकार की सराहना

उन्होंने तमिलनाडु में महिलाओं की स्थिति पर राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि “राज्य सरकार ने महिलाओं की स्थिति और अवसरों में अविश्वसनीय बदलाव की नींव रखी। आज, तमिलनाडु महिला समानता और महिला विकास के प्रतीक के रूप में खड़ा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में अपने ऐतिहासिक पांच कार्यकालों में, तिरु करुणानिधि ने 1973 में पुलिस में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान किया। आज, इसके पुलिस बल या तमिलनाडु पुलिस बल में एक चौथाई महिलाएं हैं। करुणानिधि जी द्वारा लाई गई एक और बहुत महत्वपूर्ण पहल थी सरकारी पदों पर महिलाओं के लिए आरक्षण। आज सरकारी सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी 30 प्रतिशत से अधिक है।“ उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने महिला आरक्षण को बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है।

केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना

उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर वार करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद करने के इन प्रयासों और कार्यक्रमों में से कई को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबिंबित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में, महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं को कम करने के बजाय, पिछले नौ वर्षों में मोदी सरकार की ओर से हमारी महिलाओं को पूरी तरह से प्रतीकों में बदलने का निरंतर प्रयास देखा गया है, ताकि उन्हें पितृसत्तात्मक ढांचे में केवल उनकी सीमित पारंपरिक भूमिकाओं में ही गिना और सराहा जा सके।

प्रियंका ने की महिला आरक्षण बिल तत्काल लागू करने की मांग

वहीं सम्मेलन में मौजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि “हम, भारत की महिलाओं के पास अब बर्बाद करने के लिए समय नहीं है। राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होना हमारा अधिकार है। मैं मांग करती हूं कि हमारे “स्वत्व” का महत्व समझा जाये और अपने सशक्तिकरण के लिए एक राजनीतिक शक्ति के रूप में हमारे महत्व का सम्मान किया जाये।“

उन्होंने अपने पिता राजीव गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि जब वो अपने पिता का शव लेने तमिलनाडु आई थीं तब नीली साड़ियां पहने हुई कई महिलाओं के झुंड ने उन्हें घेर लिया और उन्हें गले से लगाकर दिलासा दिया। उस घटना ने तमिलनाडु की महिलाओं के साथ एक हमें डोर में बांध दिया।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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