उच्च स्तर पर रची गयी थी जेएनयू पर हमले की साजिश!

नई दिल्ली। अभी तक सामने आए तथ्यों, तस्वीरों और हालातों के आधार पर यह बात साबित हो गयी है कि जेएनयू पर यह हमला न केवल पूर्व नियोजित था बल्कि पूरी सोची समझी रणनीति के साथ किया गया है। हमला करने वाले ज्यादातर बाहर के थे और उन्होंने नकाब पहन रखा था। और इन सभी गुंडों के हाथ में लाठी, लोहे के रॉड और खतरनाक हथियार थे। उसके साथ ही यह बात भी उतनी ही सही है कि सब कुछ पुलिस के संरक्षण में हुआ है।

क्योंकि तकरीबन 100 की संख्या में गुंडे जेएनयू कैंपस में घुस जाते हैं और दिल्ली पुलिस के जवान तथा विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मी मूक दर्शक बने रहते हैं। वह कैंपस जहां किसी बाहरी शख्स को भीतर घुसने के लिए कितनी चेकिंग से गुजरना पड़ता है वहां इतनी संख्या में लोगों का क्या बगैर सुरक्षाकर्मियों की मदद से घुसना संभव है? ऊपर से घटना से पूर्व पूरे इलाके की स्ट्रीट लाइट को बंद कर दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था जिससे हमलावरों के चेहरे सीसीटीवी में कैद न हो सकें। इसके साथ ही हमले को अंजाम देने के बाद गुंडों के इस गिरोह को अपने संरक्षण में दिल्ली पुलिस जिस तरह से बाहर करते देखी गयी उसके बाद कहने और सुनने के लिए कुछ नहीं बचता है।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद सामने आया आरएसएस से जुड़ा ह्वाट्सएप ग्रुप का चैट इस पर अपनी मुहर लगा देता है। इसमें न केवल पूरी योजना को अंजाम देने के सबूत हैं, बल्कि उसके दूसरे चैटों में घटना के दौर की अपडेट भी स्पष्ट रूप से पढ़ी जा सकती है। दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े विद्यार्थी परिषद के नेताओं और दूसरे लोगों की जेएनयू में मौजूदगी इस तस्वीर को और साफ कर देती है। पूरे मामले में अभी तक प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की चुप्पी इसको और पुख्ता कर देती है। और अगर कहा जाए कि दिल्ली के पुलिसकर्मियों को चुप रहने और हमलावरों को संरक्षण देने के निर्देश भी ऊपर से ही आए थे तो कोई अतिश्योक्ति बात नहीं होगी।

घटना को कवर करने गए आज तक के पत्रकार आशुतोष मिश्रा और उनके कैमरा मैन पर नक्सली कहते हुए किया गया हमला उनकी असलियत को जगजाहिर कर देता है। इस दौरान उनकी टिप्पणियां इस गिरोह के मंसूबों का पर्दाफाश कर देती हैं। जिसमें उन्हें साफ-साफ गाली देते हुए यह कहते सुना जा सकता है कि इसे आज ही सबक सिखा दो।

हालांकि घटना की सूचना आते ही तमाम विपक्षी नेता सक्रिय हो गए। स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव सीधे जेएनयू पहुंचे। लेकिन उस समय मौजूद गुंडों ने न केवल उनके साथ बदतमीजी की बल्कि उनसे हाथापाई करने की कोशिश भी की। हालांकि उन्होंने ट्वीट कर बताया है कि उन्हें ज्यादा चोटें नहीं आयी हैं। एम्स के ट्रौमा सेंटर में भर्ती जेएनयूएसयू की अध्यक्ष आइषी घोष समेत तमाम छात्रों और अध्यापकों से मिलने और उनका हाल चाल जानने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सीधे ट्रौमा सेंटर पहुंचीं। प्रियंका गांधी ने कहा कि यह किसी सरकार के बारे में बेहद ही शर्मनाक है कि उसने अपने ही बच्चों पर हिंसा होने दी।

उसी समय सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा कारात ने भी एम्स का दौरा किया और उन्होंने घायलों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि यह सब कुछ दिल्ली पुलिस के संरक्षण में आरएसएस और विद्यार्थी परिषद के लोगों द्वारा अंजाम दिया गया है।

घटना की सूचना आने के बाद आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर के सामने लोगों का प्रदर्शन शुरू हो गया। सभी एक सुर में दिल्ली पुलिस के रवैये की निंदा कर रहे थे। तमाम लोगों ने पूरे हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। और इसे फासीवाद का आहट करार दिया है।

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