वर्ष 2012 में भी ओरेकल पर लग चुका है 2 मिलियन डॉलर का जुर्माना

यह दूसरी बार है जब ओरेकल पर उसकी भारतीय सब्सिडियरी कंपनी द्वारा गलत कामों के लिए इस्तेमाल किए गए पैसों के कारण जुर्माना लगाया गया है। इस बार कंपनी पर एक भारतीय कंपनी को घूस देने का आरोप लगा है। इसकी वजह से ओरेकल पर 1.8 अरब रुपये का जुर्माना ठुका है। 2012 में, ओरेकल ने 2005 से 2007 तक ओरेकल  इंडिया द्वारा अनधिकृत साइड फंड के लाखों डॉलर के निर्माण से संबंधित एसईसी शुल्कों को निपटाने के लिए 2 मिलियन डॉलर (लगभग 16 करोड़ रुपये) का जुर्माना देने पर सहमति व्यक्त की थी।

एसईसी ने दूसरी बार ओरेकल इंडिया पर जुर्माना लगया है। 2012 में, ओरेकल ने एसईसी के आरोपों को निपटाने के लिए 2 मिलियन डालर का जुर्माना देने पर सहमति व्यक्त की थी । आरोप था कि ओरेकल ने 2005 से 2007 तक ऑरेकल इंडिया को वितरकों पर अनधिकृत साइड फंड रखने से रोकने में विफल होकर एफसीपीए के पुस्तकों और अभिलेखों और आंतरिक लेखा नियंत्रण प्रावधानों का उल्लंघन किया। एसईसी के शिकायत आदेश में तब कहा गया था कि ओरेकल इंडिया ने मई 2006 में आईटी और संचार मंत्रालय के साथ 3.9 मिलियन डॉलर का सौदा हासिल किया था। ओरेकल इंडिया के तत्कालीन बिक्री निदेशक के निर्देशानुसार, लेनदेन पर राजस्व के रूप में ओरेकल को केवल 2.1 मिलियन डॉलर भेजे गए थे, और वितरक ने प्रदान की गई सेवाओं के लिए 151,000 डॉलर रखे थे।

क्लाउड सर्विस के लिए मशहूर दिग्गज अमेरिकी टेक कंपनी ओरेकल पर 23 मिलियन डॉलर यानी लगभग 1.8 अरब का जुर्माना लगा है। ओरेकल ने अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के साथ आरोपों को निपटाने के लिए 1.8 अरब रुपये देने की हामी भरी है। ओरेकल पर आरोप है कि भारत, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात में इसकी सब्सिडियरी कंपनियों ने 2016 और 2019 के बीच बिजनेस के लिए गलत ढंग से पैसों का इस्तेमाल किया है। इन सब्सिडियरी कंपनियों ने भारत की एक कंपनी सहित तीनों देशों के अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए स्लश फंड बनाया था।

अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के मुताबिक ओरेकल के स्वामित्व वाली कंपनियों ने बिजनेस हासिल करने के लिए विदेशी अधिकारियों को स्लश फंड बनाया और इस्तेमाल किया है। स्लश फंड उसे कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल गलत कामों के लिए किया जाता है और उसका पूरा लेखाजोखा रहता है। आरोप है कि ओरेकल ने फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट का उल्लंघन किया है।

ओरेकल का यह दूसरा मामला है, जब उसकी भारतीय सब्सिडियरी कंपनी के गलत आचरण के कारण उस पर जुर्माना लगाया है। एसईसी के मुताबिक 2019 में ओरेकल इंडिया के एक सेल्स कर्मचारी ने एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के साथ लेनदेन के संबंध में अत्यधिक डिस्काउंट स्कीम का इस्तेमाल किया। इस ट्रांसपोर्ट कंपनी का अधिकांश स्वामित्व भारतीय रेल मंत्रालय के पास था।

जनवरी 2019 में इस डील पर काम कर रहे कर्मचारी ने दावा किया कि सॉफ्टेवयर कंपोनेंट पर 70 फीसदी डिस्काउंट के बिना डील नहीं होगी। इसके लिए उसने ओईएम के बीच तगड़े कंपटीशन का हवाला दिया।इस डिस्काउंट डील को पूरा करने के लिए ओरेकल को फ्रांस में मौजूद एक कर्मचारी की जरूरत थी। एसईसी के अनुसार जरूरी दस्तावेजों के बिना कंपनी ने डील पर काम कर रहे कर्माचारी को डील पूरी करने की अनुमति दे दी।

एसईसी ने इस मामले पर कहा कि सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय कंपनी की सार्वजनिक रूप से उपलब्ध प्रोक्योरमेंट (खरीद) वेबसाइट पर दिखा कि ओरेकल इंडिया को किसी भी कंपटीशन का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि उसने प्रोजेक्ट के लिए ओरेकल के प्रोडक्ट्स को अनिवार्य कर दिया था। एसईसी ने आरोप लगाया कि एक कर्मचारी की स्प्रेडशीट में 67,000 डॉलर (लगभग 54,80,100 रुपये) ‘बफर’ था, जो संभावित रूप से ‘एक खास भारतीय सरकारी स्वामित्व इकाई के अधिकारी’ को भुगतान करने के लिए उपलब्ध था ।

एसईसी ने कहा कि इन इकाइयों के कर्मचारियों ने कथित तौर पर इन बाजारों में ऑफ-द-बुक स्लश फंड बनाने के लिए अत्यधिक छूट और नकली मार्केटिंग प्रतिपूर्ति भुगतान का इस्तेमाल किया, जिसका उपयोग ओरेकल की आंतरिक नीतियों द्वारा निषिद्ध उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। यूएस फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट अमेरिकी व्यक्तियों और संस्थाओं को व्यापार जीतने या बनाए रखने के लिए विदेशी सरकारी अधिकारियों को कुछ भी देने या न देने से रोकता है।

एसईसी जांच में पाया गया कि ओरेकल की तुर्की इकाइयों के कुछ कर्मचारियों ने कथित तौर पर इन सरकारी अधिकारियों के परिवारों के लिए सम्मेलनों की यात्रा करने या कैलिफ़ोर्निया की यात्रा करने के लिए इन फंडों का इस्तेमाल किया।ओरेकल के प्रवक्ता माइकल एगबर्ट ने एक ईमेल में कहा कि एसईसी समझौते में आचरण कंपनी के मूल्यों और नीतियों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और अगर इस तरह के व्यवहार की पहचान की जाती है तो यह कार्रवाई करेगा।

ऑस्टिन, टेक्सास स्थित ओरेकल ने 2012 में एफसीपीए शुल्क के पिछले सेट को निपटाने के लिए एसईसी को लगभग 2 मिलियन डॉलर का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की थी । उस समय एसईसी ने आरोप लगाया था कि कंपनी की भारत की सहायक कंपनी ने विदेशी सरकारों के साथ लेनदेन को इस तरह से संरचित किया जिससे उन्हें धन के अंदर आय का लगभग 2.2 मिलियन डॉलर रखने में सक्षम बनाया गया जिसका उपयोग अनधिकृत उद्देश्यों के लिए किया जा सकता था।

ओरेकल एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंप्यूटर प्रौद्योगिकी निगम है जिसका मुख्यालय ऑस्टिन, टेक्सास में है। कंपनी का मुख्यालय पूर्व में रेडवुड शोर्स, कैलिफ़ोर्निया में दिसंबर 2020 तक था जब उसने अपना मुख्यालय टेक्सास में स्थानांतरित कर दिया। कंपनी डेटाबेस सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी, क्लाउड इंजीनियर सिस्टम, और उद्यम सॉफ्टवेयर उत्पाद बेचती है- विशेषकर डेटाबेस प्रबंधन प्रणालियों के अपने ब्रांड । 2020 में, ओरेकल  राजस्व और बाजार पूंजीकरण के हिसाब से दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी थी। कंपनी के लिए टूल्स का विकास और निर्माण भी करती है, जिसमें डेटाबेस विकास और मध्य स्तरीय सॉफ्टवेयर, उद्यम संसाधन योजना (ईआरपी) सॉफ्टवेयर, मानव पूंजी प्रबंधन (एचसीएम) सॉफ्टवेयर, ग्राहक संबंध प्रबंधन (सीआरएम) सॉफ्टवेयर (एकेए ग्राहक अनुभव ), उद्यम प्रदर्शन प्रबंधन (ईपीएम) सॉफ्टवेयर, और आपूर्ति श्रृंखला के सिस्टम प्रबंधन (एससीएम) सॉफ्टवेयर शामिल है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
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