फीस वृद्धि के खिलाफ संसद मार्च के लिए निकले जेएनयू छात्रों को गेट पर रोक कर जवानों ने की बर्बर पिटाई, सैकड़ों छात्र गिरफ्तार

नई दिल्ली। फीस वृद्धि के विरोध में संसद की तरफ मार्च करने के लिए निकले जेएनयू के छात्रों पर सीआरपीएफ के जवानों ने भयंकर लाठीचार्ज किया है। इसके साथ ही सैकड़ों छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आज सुबह जब हजारों की संख्या में छात्र जेएनयू के गेट से बाहर निकलने की कोशिश किए तो तकरीबन 700 की संख्या में तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया। छात्रों को रोकने के लिए जवानों ने बैरिकेड लगा रखे थे। लेकिन बाद में छात्रों ने उसे भी तोड़ दिया। उसके साथ ही सुरक्षा बलों के जवान छात्रों पर टूट पड़े। ताजा अपडेट यह है कि सैकड़ों छात्रों की गिरफ्तारी के बाद भी छात्र सड़कों पर मार्च कर रहे हैं। और एहतियातन संसद के पास स्थित मेट्रो के तीन स्टेशनों को बंद कर दिया गया है।

जिसमें कई छात्रों को गंभीर चोटें आयी हैं। जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष बालाजी को सिर और छाती में चोट लगी है। उन्होंने बताया कि जवान  न केवल उनको लातों और घूसों से मार रहे थे बल्कि सभी छात्रों को गंदी-गंदी गालियां दे रहे थे। बताया जा रहा है कि वर्दी में तैनात सुरक्षा बलों के अलावा भारी तादाद में सादे कपड़ों में भी जवानों को लगाया गया था। जो छात्रों के भीतर घुसकर उन्हें मार रहे थे।

तकरीबन तीन सौ से ज्यादा छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। और उन्हें दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में रखा गया है। एपवा की राष्ट्रीय सचिव और जेएनयू की पूर्व छात्र नेता कविता कृष्णन के मुताबिक बाला जी को पुलिस बदरपुर थाने ले गयी है। जबकि छात्रों से भरी एक बस को बसंत कुंज थाने में ले जाया गया है। उन्होंने बताया कि बदरपुर थाने में बंद एक छात्र को गंभीर चोट आय़ी है लेकिन पुलिस अभी भी उसे अस्पताल नहीं ले जा रही है। जिसको लेकर छात्र बेहद परेशान हैं।

बालाजी ने केंद्र सरकार को जमकर लताड़ लगायी। उन्होंने कहा कि यह कैसा लोकतंत्र है जिसमें छात्रों को संसद के सामने अपनी बात तक नहीं रखने दिया जा रहा है। किसी भी लोकतंत्र के भीतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन नागरिक का बुनियादी अधिकार होता है। लेकिन सरकार अब उस अधिकार को भी छीन लेना चाहती है।

प्रदर्शन से पहले जेएनयू के आस-पास प्रशासन ने धारा-144 लागू कर दिया था। अभी प्रदर्शन शुरू ही हुआ था तभी मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्रों से बात करने के लिए एक पैनल गठित कर दिया। जिसमें यूजीसी के पूर्व चेयरमैन वीएस चौहान, एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल सहस्रबुद्धे और यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन को सदस्य बनाया गया है। मंत्रालय ने इसे हाईपावर कमेटी का नाम दिया है।

जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष बालाजी।

छात्रों के आंदोलन का समर्थन करते हुए सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने एक ट्वीट के जरिये कहा कि जेएनयू पूरी तरह सें बंधक बना लिया गया है। इस तरह की सुरक्षा बलों की तैनाती आपातकाल के दौरान भी नहीं हुई थी। फीस वृद्धि के खिलाफ एक शांतिपूर्ण संसद मार्च को पुलिस द्वारा जबरन रोक दिया गया। विरोध करने के इस बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकार की हम कड़ी निंदा करते हैं।

जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन ने परिसर में पुलिस तैनाती पर चिंता जाहिर की है।      

  

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