रिटायर्ड जस्टिस मदन लोकुर और एपी शाह की अगुआई में ‘सिटीजन कमेटी’ करेगी दिल्ली दंगों की जांच

नई दिल्ली। बीते फरवरी में दिल्ली के उत्तर-पूर्व में हुए दंगों की जाँच के लिए कांस्टीट्यूशनल कन्डक्ट ग्रुप ने एक स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन किया है। जिसे ‘दिल्ली दंगों पर सिटीजन कमेटी’ के नाम से बुलाया जाएगा। इस जाँच कमेटी में उच्चतम न्यायालय के चार पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस एपी शाह, जस्टिस आर एस सोढ़ी जस्टिस अंजना प्रकाश के साथ-साथ सेवामुक्त हो चुके आईएएस अधिकारी जेके पिल्लई और आईपीएस मीरा चड्ढा बोरवांकर शामिल हैं। 

कांस्टीट्यूशनल कन्डक्ट ग्रुप द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि दिल्ली दंगों के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा इसकी जांच पर उठते सवाल और पक्षपात के आरोपों के कारण इस निष्पक्ष जाँच कमेटी की जरूरत महसूस की गयी है। ताकि नौकरशाही, ऊपरी अदालतों और पुलिस में विश्वसनीयता को बनायी रखी जा सके। 

यह कमेटी दंगों से पहले, दंगों के दौरान और उसके बाद के तमाम पहलुओं की जांच करेगी। बीते फरवरी में उत्तर-पूर्व दिल्ली के दंगों में हुए भारी जान-माल के नुकसान के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा इसकी जाँच पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। गौरतलब है कि तमाम साक्ष्य, वीडियो और गवाह उपलब्ध होने के बाद भी दिल्ली पुलिस पर मनमाने ढंग से बेकसूरों को आरोपित करने और उनके खिलाफ़ केस दर्ज़ करने का आरोप लगा है। इन दंगों के लिए दिल्ली पुलिस ने कई बुद्धिजीवियों और छात्र नेताओं सहित अन्य सामाजिक और नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वालों पर मुकदमा किया है। 

दिल्ली दंगों के जाँच के नाम पर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से पूछताछ के बाद पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को गिरफ्तार किया था फिर मामले में दिल्ली पुलिस ने सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयति घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं एक्टिविस्ट अपूर्वानंद और डॉक्युमेंट्री फिल्ममेकर राहुल रॉय के नाम सह-षड्यंत्रकर्ताओं के रूप में दर्ज किए।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)   

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