बीजेपी के पास 2 साल में कहां से आए 5200 करोड़ रुपये? कांग्रेस ने इलेक्टोरल बांड पर उठाए सवाल

नई दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी की तुलना जेम्स बांड से करते हुए बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिलने वाले चंदे को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पिछले दो सत्रों में बीजेपी को इसके जरिये 5200 करोड़ रुपये हासिल हुए हैं। आखिर ये पैसा किसका है और कहां से आया है? उन्होंने कहा कि जेम्स बॉन्ड का कोड 007 था, लेकिन हमारे देश में मौजूद एजेंट का कोड 56 है।

5200 करोड़ रूपये कहां से आये?

खेड़ा ने कहा कि इस एजेंट ने वित्तीय वर्ष 2016-17 और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 52 सौ करोड़ रूपये बीजेपी के खाते में इकट्ठा किए हैं। उन्होंने पीएम पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी को ये पैसा किसने दिया, क्यों दिया, उसकी एवज में उन्होंने देश की कौन सी संपत्ति बेच दी इसका कोई हिसाब नहीं है।

कहां गई पीएम की पारदर्शिता?
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि एजेंट 56 को कोई पारदर्शिता पसंद नहीं है। पारदर्शिता हम सबके लिए है लेकिन बीजेपी के पास 5200 करोड़ रूपये कहां से आए इसका वो सुराग नहीं देना चाहते। खेड़ा ने कहा कि बीजेपी मानती है कि पूरा देश बेईमान है लेकिन उसकी ईमानदारी पर कोई शक ना करे। और यही हमारे इलेक्टोरल बांड एजेंट 56 का मूल मंत्र है।

जेटली ने डाली थी इलेक्टोरल बांड की नींव
उन्होंने कहा कि अरुण जेटली 7 जनवरी, 2017 को इलेक्टोरल बांड लेकर आए थे। वो दिन हमारे लोकतंत्र के इतिहास में एक बहुत गलत दिन था। उस दिन किसी एक ऐसी परंपरा की नींव डाली गयी जिससे इलेक्टोरल फंडिंग बिल्कुल गैर पारदर्शी हो गई। खेड़ा ने कहा कि उस वक्त कांग्रेस ने इसका विरोध किया था क्योंकि मनी बिल की तरह से अनुच्छेद 110 के तहत इसको राज्यसभा में बिना चर्चा के पारित करा लिया गया था। ये संविधान की भावना पर तीखा हमला है और उसके बाद से लगातार लोकतंत्र पर हमला हो रहा है।

मनी बिल से विधायक खरीद रही बीजेपी
खेड़ा ने कहा कि बीजेपी एक अपारदर्शी तरीके से पैसे इकट्ठा कर रही है। मनी बिल से भारतीय जनता पार्टी विधायक खरीदने और सरकारें गिराने के लिए पैसा जुटाने का इंतजाम कर रही है। बाकी तमाम पार्टियों को छोड़ दें तो भारतीय जनता पार्टी को इलेक्टोरल बांड के माध्यम से तीन गुना चंदा अधिक मिला। पहले कोई कंपनी अपने तीन साल के नेट प्रॉफिट का 7.5 प्रतिशत से ज्यादा दान नहीं कर सकती थी। लेकिन भाजपा सरकार ने वो लिमिट हटा दी। अब कंपनी बिना ये बताये कि किसको कितना चंदा दिया, पैसे दे सकती है।

काला धन सफेद किया जा रहा है
उन्होंने बीजेपी पर काला धन सफेद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ये फेयर एंड लवली स्कीम का एक ज्वलंत उदाहरण है। बीजेपी पर ना तो ईडी ना सीबीआई ना इनकम टैक्स के कोई छापे पड़ेंगे, ना ये एजेंसियां बीजेपी का दरवाजा खटखटाएंगी। इन एजेंसियों के माध्यम से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। लेकिन इलेक्टोरल बांड के जरिये पैसा कहां से आ रहा है इसका पता कोई एजेंसी नहीं लगाएगी।

क्रोनिक कैपिटलिज्म को कानूनी रूप दिया

पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया कि इलेक्टोरल बांड के तहत जो कॉरपोरेट दान की सीमा समाप्त कर दी गई है क्या इससे जान बूझ कर क्रोनिक कैपिटलिज्म को कानूनी रूप नहीं दिया गया है। खेड़ा ने कहा कि इलेक्टोरल बांड स्कीम, स्टेट स्पॉन्सर्ड रेंट सीकिंग के अलावा और कुछ नहीं है। ये मामला जनवरी में अदालत में उठाया जाएगा। मोदी सरकार अदालत को क्या जवाब देगी? उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनावी फंडिंग की पारदर्शी व्यवस्था चाहती है। कांग्रेस ने अपने पिछले मैनिफेस्टो में साफ तौर पर कहा था कि इलेक्टोरल फंड योजना को खत्म कर देंगे। कांग्रेस को जब भी मौका मिलेगा बीजेपी के इस क्रोनिक कैपिटलिज्म का पर्दाफाश करेगी।

जेम्स बांड से की पीएम की तुलना
खेड़ा ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जेम्स बांड नामक एक बहुत ही मशहूर जासूसी फिल्म सीरिज है। इसमें जो सुपर एजेंट होता है उसका कोड है 007। वो अपना परिचय देते हुए कहता है माई नेम इज बांड, जेम्स बांड। लेकिन हमारे देश की राजनीति में एक एजेंट है जिसका कोड है 56। नाम बताने की जरूरत नहीं है, आपको मालूम होगा। उनका परिचय है, माई नेम इज बांड, इलेक्टोरल बांड।

(कुमुद प्रसाद जनचौक की सब एडिटर हैं।)

कुमुद प्रसाद
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