आजादी की लड़ाई को बदनाम करके संघी अपने गद्दारी के कलंक को चाहते हैं मिटाना

आप क्रोनोलॉजी समझिए-

गिरोह के सरगना ने गांधी को फूल चढ़ाए, गिरोह के टुटपुंजियों ने गांधी के फोटोशॉप बनाए।

सरगना ने गांधी के आगे शीश नवाए, टुटपुंजियों ने गांधी हत्या का नाट्य रूपांतरण किया।

सरगना ने गांधी को युग की जरूरत बताया, टुटपुंजियों ने गांधी के पुतले पर गोली चलाया।

सरगना ने खुलकर तारीफ की, टुटपुंजियों ने चरित्रहनन अभियान चलाए।

सरगना ने चरखा चलाया, टुटपुंजियों ने चरखे का मजाक बनाया।

सरगना ने खादी पहनी, टुटपुंजियों ने निर्वस्त्र गांधी और निर्वस्त्र भारत का मजाक उड़ाया।

सरगना ने अहिंसा पर भाषण दिया, टुटपुंजियों ने लिंचिंग अभियान चलाया।

सरगना ने नेहरू और भगत सिंह का नाम लिया, टुटपुंजियों ने सबके बारे में अफवाह फैलाई।

सरगना ने देश को गांधी का देश बताया, टुटपुंजियों ने बापू के हत्यारे को महान बताया।

टुटपुंजियों ने हत्यारे को देशभक्त बताया, सरगना ने उन्हें संसद पहुंचाया।

टुटपुंजियों ने व्हाट्सएप पर झूठ फैलाया, सरगना ने अपनी कुर्सी पर कालिख पोतकर भगत सिंह और नेहरू के बारे में झूठ फैलाया।

सरगना ने सुरक्षा मुहैया कराई, टुटपुंजियों ने नफरत फैलाई।

सरगना ने उन्हें पुरस्कृत किया, टुटपुंजियों ने आज़ादी को भीख बताया।

पिछले सात साल में वह मौका कब आया जब इस गिरोह का कोई भी व्यक्ति कड़क लहजे में यह बोला हो कि देश की आज़ादी और नायकों के बारे में बकवास न करें?

वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि इनके गुरु घंटालों ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि संघी आज़ादी आंदोलन से दूर रहेंगे। इनके माथे पर आज क्रांतिकारियों के साथ की गई गद्दारी, अंग्रेजों के लिए की गई जासूसी, भीख मांगकर ली गई पेंशन, गिड़गिड़ा कर मांगी गई जेल से आज़ादी की शर्म चिपकी हुई है। जब देश के कांग्रेसी, सोशलिस्ट, वामपंथी, दक्षिणपंथी सारे नेता जेल गए, तब इनका ग्रेट फिलॉसफर अंग्रेज अधिकारियों को आंदोलन कुचलने के आइडिया दे रहा था। ले देकर एक पौवा भर क्रांतिकारी बचा था, वह भी गांधी हत्या की कालिख में डूब गया और कोर्ट से बरी होकर भी जनता की अदालत में बरी नहीं हो पाया।

उस विचार का हर वाहक आज अपनी ऐतिहासिक दगाबाजी के चलते मुंह काला किये घूम रहा है। अब इनको लगता है कि अगर पूरे आज़ादी आंदोलन को बदनाम कर दिया जाए तो हिंदू राष्ट्र का वह सपना पूरा हो जाएगा, जिसे सरदार पटेल पागलपन बता रहे थे।

यह वही सनक और पागलपन है जिसके तहत यह कुनबा इस देश की सबसे पवित्र चीज- लाखों लोगों के बलिदान का उपहास उड़ा रहा है।

अगर ऐसा नहीं होता तो पूरे गिरोह से किसी ने तो निंदा जरूर की होती। पर्यावरण जागरूकता फैलाने वाली लड़की पर देशद्रोह ठोकने और बयानबाजी करने वाले वीरों को सांप सूंघ गया है। वे नहीं बोल रहे हैं क्योंकि वे ऐसे हर विक्षिप्त को संरक्षण दे रहे हैं।

यह जन जन को बताने का समय है कि यह सिर्फ एक प्रचार-पिपासु विक्षिप्त महिला का बयान नहीं है। यह उस गिरोह की अभिव्यक्ति है जिसने आज़ादी आंदोलन को नकारा, जिसने भारत के पवित्र तिरंगे झंडे को नकारा, जिसने इस देश के संविधान को नकारा, जो लोकतंत्र और सेकुलरिज्म जैसी विश्व स्थापित चीजों का मजाक उड़ाते हैं। जो सिर्फ हिंदू-मुसलमान करने और नफरत फैलाने में विशेषज्ञता रखते हैं।

यह सब उस संगठित अभियान का हिस्सा है जिसके तहत देश की स्मृति से हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत की गरिमा को धूमिल करने और उसकी स्मृतियां मिटाने का राष्ट्रीय प्रोजेक्ट चल रहा है।

आपके पास दो विकल्प हैं। इस अभियान में शामिल हो जाइए, या फिर अपने पूर्वजों की विरासत के सम्मान के लिए इनके मुंह पर थूक दीजिए।

मेरा विश्वास ये है कि मेरे देश की जनता इनके इस घिनौने अभियान में इनका साथ नहीं देगी।

जय हिंद!

(कृष्णकांत पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं यह टिप्पणी उनके फेसबुक से साभार ली गयी है।)

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