कानपुर: मां-बेटी की जलकर मौत, एसडीएम के कहने पर लेखपाल ने झोपड़ी में लगायी आग

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात से एक सनसनीखेज एवं ह्रदयविदारक घटना सामने आयी है। जहां तथाकथित अतिक्रमण हटाने के नाम पर जिला प्रशासन और पुलिस ने दो जिंदगियों को आग के हवाले कर दिया। घटना के बाद पूरा प्रदेश सन्न है।

मामला कानपुर देहात जिले के तहसील मैथा, थाना रूरा, ग्राम मडौली का है। शिवम दीक्षित व कृष्ण गोपाल दीक्षित ने तहरीर दिया है कि उपजिलाधिकारी मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, मैथा कानूनगो, लेखपाल मडौली अशोक सिंह, व अन्य तीन लेखपाल तथा एसएचओ रूरा दिनेश कुमार गौतम और 12-15 महिला व पुरुष पुलिस बल ने मिलकर उनकी मां व बहन को जलाकर डाला।

शिवम दीक्षित, जिन्होंने अपनी मां और बहन को खोया है।

दरअसल, सरसरी तौर पर पूरा मामला आपसी रंजिश और जमीनी झगड़े का लगता है। जिसमें कानपुर पुलिस-प्रशासन ने दूसरे पक्ष से मोटा घूस लेकर ग़रीब परिवार की झोपड़ी तोड़ने के लिए बुलडोजर लेकर पहुंच गया और झोपड़ी को आग के हवाले कर दिया, जिसमें मां-बेटी जलकर मर गईं।

वहां उपस्थित कुछ लोगों ने दबी जुबान से स्वीकार किया कि भारी पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में एसडीएम के आदेश पर लेखपाल ने मां-बेटी को झोपड़ी में आग लगाकर जलाकर मार डाला। घटना के बाद पुलिस-प्रशासन के लोग मौके पर ही गाड़ी छोड़कर भाग निकले।उत्तर प्रदेश में योगीराज का बुलडोजर भ्रष्ट प्रशासन के लिये मोटी कमाई वाला ब्रह्मास्त्र बन गया है।

मां और बहन को गंवा चुके शिवम दीक्षित बताते हैं कि उनके पुरखे का पिछले 100 साल पहले से इस ज़मीन पर बगीचा शा। और 20 साल पहले उनके माता-पिता ने उक्त जगह पर पक्का निवास बनाकर रहते आ रहे हैं। 13 जनवरी को मैथा तहसील के एसडीएम व तहसीलदार, कानूनगो व लेखपाल अशोक सिंह थाना रूरा के थानाध्यक्ष दिनेश कुमार गौतम अपने 12-15 सिपाहियों के साथ जेसीबी लेकर बगैर सूचना व पूर्व नोटिस के दोपहर लगभग 2 बजे उनका मकान तोड़ने आ धमके।

शिवम आगे बताते हैं कि जब उन्होंने एसडीएम से उनका मकान गिराने संबंधी जानकारी मांगी तो एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद ने बताया कि तुम्हारे ग्रामसभा के अशोक दीक्षित ने तुम्हारे ख़िलाफ़ ग्राम सभा की ज़मीन पर अवैध पक्का निर्माण कराने संबंधी प्रार्थनापत्र दिया है। बिना पूर्व नोटिस भेजे और क़ानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना उनका मकान जबरदस्ती जमींदोज़ कर दिया गया। केवल फूस का छप्पर जिसमें शिवम का परिवार गोवंश और बकरियां बांधता आ रहा है उसे भी 5-10 दिन में खाली करने को कहकर छोड़ दिया गया।

शिवम बताते हैं कि वो पूरे परिवार के साथ उसी दिन जिलाधिकारी कार्यालय गये उस वक्त शाम के 7 बज रहे थे लेकिन डीएम व एडीएम केशवनाथ गुप्ता ने उनकी एक न सुनी, उलटा शिवम के माता-पिता, भाई बहन व पत्नी के ख़िलाफ़ थाना अक़बरपुर में बलवा का मुक़दमा दर्ज़ करवा दिया गया और जेल भेजने की धमकी देकर वहां से भगा दिया गया।

शिवम कल की खौफनाक घटना के बारे में बताते हैं कल 13 फरवरी दोपहर 3 बजे के बीच एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, कानूनगो मैथा, ग्राम मडौली के लेखपाल अशोक सिंह, थाना रूरा के एसएचओ दिनेश कुमार गौतम और 12-15 पुरुष व महिला सिपाहियों के साथ पहुंचे। उस वक्त शिवम व उनका परिवार झोपड़ी में आराम कर रहा था। झोपड़ी में 22 बकरियां भी थी। गांव के ही शिवम के विपक्षी लोग अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित व उनके पुत्र सिपाही लाल, निर्मल दीक्षित पुत्र सनेस प्रसाद, विशाल पुत्र गेंदेलाल व उनके 10-12 सहयोगी भी मौके पर आ पहुंचे।

जेसीबी ड्राईवर दीपक ने सुनियोजित तरीके से उनकी घास फूस की झोपड़ी को गिरा दिया। उस समय पीड़ित परिवार झोपड़ी के भीतर ही था। शिवम दीक्षित बताते हैं कि झोपड़ी गिरते ही एसडीएम मैथा ने कहा कि आग लगा दो और लेखपाल अशोक सिंह ने बिना वक्त लगाये झोपड़ी में आग लगा दिया। किसी तरह शिवम झोपड़ी से बाहर निकले तो एसएचओ रूरा दिनेश कुमार गौतम और उनके सिपाहियों ने मिलकर उन्हें मारा पीटा और वापस आग में फेंकने की कोशिश की। शिवम के पिता भी आधा झुलस गये। जबकि शिवम की मां प्रमिला दीक्षित व बहन नेहा दीक्षित की आग में जलकर मौत हो गई।

पुलिस व प्रशासन सामूहिक जनसंहार में खुद को बचाने में लगा

अब पुलिस प्रशासन खुद को बचाने में लग गई है। कानपुर देहात पुलिस द्वारा लिखे गये एफआईआर में लेखपाल, एसडीएम, क़ानूनगो व आगजनी में लिप्त पुलिसवालों को शामिल नहीं किया गया है। केवल गांव के प्रतिपक्षी अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित पुत्र सिपाहीलाल, तथा सनेश प्रसाद, विशाल दीक्षित पुत्र गेदेलाल के खिलाफ़ मामला दर्ज़ किया गया। साथ उनकी जाति ब्राह्मण का उल्लेख अलग से किया गया है।
इस बीच ख़बर है कि जेसीबी ड्राईवर को गिरफ्तार कर लिया गया। लेखपाल को निलंबित कर दिया गया है। थाना प्रभारी को छुट्टी पर भेजा गया है।

विपक्षी दलों के हमले के बाद भाजपा जागी

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने घटना की निंदा करते हुये कहा है कि- सत्ता के अहंकार की अग्नि ने एक परिवार को भस्म कर दिया। कानपुर देहात ही नहीं पूरा उत्तर प्रदेश भाजपा सरकार के अन्याय का शिकार हो रहा है।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मामले में ट्वीट करके कहा है कि भाजपा सरकार के बुलडोजर पर लगा अमानवीयता का चश्मा इंसानियत के लिये ख़तरा बन चुका है।

आरएलडी प्रमुख चौधरी जयंत सिंह ने घटना पर कहा है कि ख़ूनी बुलडोजर के तांडव ने प्रगतिशील समाज की आत्मा को झकझोर दिया।

आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने घटना की निंदा करते हुये कहा है कि जातीय विद्वेष से ग्रस्त योगी सरकार का बुलडोजर मौत का बुलडोजर बन गया है। साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार के लिये सरकारी नौकरी व 1 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है।

मामले पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया और भाजपा की ब्राह्मणविरोधी छवि बनाये जाने के बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कहा है कि मामले की जांच करायी जायेगी और जो दोषी होंगे उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी।

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने पीड़ित परिवार शिवम दीक्षित के साथ वीडियोकॉल पर बात करते हुये एक वीडियो ट्वीटर पर साझा किया है और पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया है कि आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे, उनकी सारी मांगे मानने का आश्वासन दिया है और उन्हें अपने परिवार का मेंबर बताया है।

उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का पीड़ित परिवार के साथ वीडियो को एडिटेड बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट किया- दिखावटी भाजपाई संवेदना का शर्मनाक वीडियो! भाजपाइयों ने अपना हिस्सा तो दिखा दिया लेकिन पीड़ित की मांग का हिस्सा काट दिया। ये भाजपाई असंवेदनशीलता का निकृष्टतम रूप है।

(सुशील मानव जनचौक के विशेष संवाददाता है।)

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