कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से पूछा- कोरोना नियमों को तोड़ने पर क्यों नहीं दर्ज हुआ अमित शाह के खिलाफ एफआईआर?

कोरोना महामारी के दौर में अब विभिन्न उच्च न्यायालय सीधे मोदी सरकार और गृहमंत्री अमित शाह को घेरने लगे हैं। वास्तव में मोदी सरकार का इक़बाल खत्म होता दिख रहा है। अब मोदी सरकार के नीतिगत निर्णयों पर भी हाईकोर्ट सवाल उठा रहे हैं। यह तो किसी ने कल्पना भी नहीं किया होगा कि हाईकोर्ट केंद्र सरकार से कहे या सवाल करे कि आपने रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से जो सरप्लस धनराशि प्राप्त की है उससे वैक्सीन खरीद के गरीबों को मुफ्त में क्यों नहीं देते? लेकिन ऐसा केरल हाईकोर्ट ने किया। अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को बेलगावी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में 17 जनवरी की रैली के दौरान मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के लिए बेलगावी के पुलिस आयुक्त की खिंचाई की है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने बेलागावी पुलिस कमिश्नर को फटकार लगाते हुए पूछा कि कोरोना नियमों को तोड़ने पर अमित शाह पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की?

कोर्ट ने इससे पहले 12 मार्च को प्रथम दृष्ट्या कहा था कि रैली में मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन किया गया है। अदालत ने तब पुलिस आयुक्त को उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। मुख्य न्यायाधीश एएस ओका और न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज की खंडपीठ ने मंगलवार को पुलिस आयुक्त द्वारा दायर हलफनामे पर चिंता जाहिर की। पीठ ने कहा कि हलफनामे को देखने से पता चलता है कि आयुक्त ने कर्नाटक महामारी रोग अधिनियम, 2020 के तहत निर्धारित नियमों की अनदेखी की है।

खंडपीठ ने कहा कि शायद आयुक्त कर्नाटक महामारी रोग अधिनियम, 2020 के तहत बनाए गए विनियमन के प्रावधानों से अनजान हैं। आयुक्त के हलफनामे से पता चलता है कि उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।आयुक्त ने मामले को बहुत लापरवाही से पेश किया। बेलगावी रैली में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उठाई गई थीं, लेकिन आयुक्त इस मामले से जुर्माने की वसूली से संतुष्ट दिखते हैं।

खंडपीठ ने आयुक्त को यह बताने का निर्देश दिया कि कर्नाटक महामारी रोग अधिनियम, 2020 और उसके तहत बनाए गए नियमों के उल्लंघन के लिए एक भी प्रथम सूचना रिपोर्ट क्यों दर्ज नहीं की गई। खंडपीठ ने आदेश में कहा कि हम कमिश्नर को 3 जून तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।” कोर्ट ने राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पूर्व में पारित आदेशों की अनुपालन रिपोर्ट अगली तारीख तक दाखिल करने का समय भी दिया।

खंडपीठ ने पुलिस कमिश्नर को इतनी ढील देने के लिए लताड़ लगाई। पुलिस कमिश्नर की तरफ से दिए गए जवाब को लापरवाही बताते हुए कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की। जज ने कहा कि शायद कमिश्नर को कर्नाटक महामारी एक्ट 2020 के बारे में जानकारी नहीं है। शायद 15 अप्रैल को राज्य सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेशों के बारे में पुलिस कमिश्नर नहीं जानते हैं। खंडपीठ ने कहा कि तस्वीरों में दिखाई देता है कि 17 जनवरी को बिना मास्क और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे।

खंडपीठ ने कहा कि कमिश्नर के जवाब में पता चलता है कि एक भी एफआईआर फाइल नहीं की गई है। पूरी एफिडेविट पढ़ने के बाद पता चलता है कि इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। लगता है कि कमिश्नर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर ही खुश हैं। कमिश्नर स्पष्ट करें कि गंभीर परिस्थिति में नियमों का उल्लंघन होने के बावजूद केस क्यों नहीं दर्ज किया गया?हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी लेट्जकिट फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें राज्य में कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करवाने की मांग की गई थी।

गत15 अप्रैल को खंडपीठ ने आदेश दिया था कि अगर इस तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित किया जाता है तो न केवल आयोजक बल्कि शामिल होने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई की जाए। खंडपीठ ने यह भी कहा कि चीफ मिनिस्टर के बेटे बीवाई येदुरप्पा कोलार के मंदिर में बर्थडे मनाने कैसे पहुंच गए। इस मामले में खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 4 जून को होनी है।

दरअसल 17 जनवरी को बेलगावी के डिस्ट्रिक्ट स्टेडियम में गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में रैली का आयोजन किया गया था। खंडपीठ ने फटकार लगाते हुए कहा कि इस जनसभा में हजारों लोग शामिल हुए थे और कोरोना के नियमों का पालन नहीं करवाया गया। 

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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