“मैंने उनसे कहा; हमें मारिये मत, गोली से उड़ा दीजिए”

नई दिल्ली। कश्मीर से कुछ दिल दहला देने वाली रिपोर्ट आ रही हैं। युवा नेता शहला राशिद ने जिस बात को अपने ट्वीट के जरिये सामने लाया था और जिस पर पूरे देश और मीडिया में हंगामा मचा था, वह खबर सच होती दिख रही है। बीबीसी की एक रिपोर्ट आयी है जिसमें सुरक्षा बलों की कुछ बेहद क्रूर और दमनात्मक कार्रवाइयों के प्रमाण मिले हैं।

बीबीसी की इस रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह के खौफनाक जुल्म गांवों के बाशिंदों पर ढाए गए हैं। उन्हें न केवल लाठियों से बेरहमी से पीटा गया है बल्कि इलेक्ट्रिक शॉक भी दिए गए हैं। जिसके बाद से पूरी घाटी में दहशत का माहौल है।

बीबीसी की रिपोर्टर ने बताया है कि बहुत सारे गांवों के लोगों ने उसे अपने घाव दिखाए। हालांकि अधिकारियों से वह उनकी पुष्टि नहीं कर सकी। भारतीय सेना उसे पूरी तरह से निराधार और तथ्यहीन बता रही है।

गौरतलब है कि घाटी के लॉकडाउन हुए अब चौथा हफ्ता होने जा रहा है। सरकार ने जो कुछ ढीलें भी दी थीं उनका कोई असर नहीं पड़ा है।

बीबीसी के रिपोर्टर के हवाले से पेश है पूरी रिपोर्ट:

मैंने पिछले कुछ सालों में आतंक के हब के तौर पर उभरे घाटी के दक्षिणी जिलों में स्थिति तकरीबन आधा दर्जन गांवों का दौरा किया। मैं सभी गांवों में तकरीबन एक ही तरह की शिकायतें सुनीं जिसमें रात को छापे, पिटाई और उत्पीड़न की घटनाएं शामिल थीं।

इस मामले में डाक्टरों समेत सरकारी महकमे से जुड़ा कोई भी शख्स पत्रकारों से बात नहीं करना चाहता है लेकिन गांवों के लोगों ने मुझे अपनी चोटों को दिखाया जिसे उन्हें सुरक्षा बलों ने पहुंचाया है।

एक गांव में वहां के रहने वालों ने कहा कि भारत के विवादित फैसले की घोषण के कुछ घंटों बाद ही सेना के जवानों ने घर-घर छापा मारना शुरू कर दिया।

दो भाइयों ने आरोप लगाया कि उन्हें जगाया गया और रात में ही बाहर खुली जगह में ले जाया गया जहां गांव के ही तकरीबन एक दर्जन लोग पहले से इकट्ठा थे। दूसरे जिन लोगों से हम लोग मिले वो सभी डरे हुए थे । वो इतने डरे हुए थे कि उन्होंने अपनी पहचान और नाम भी बताना मुनासिब नहीं समझा।

उनमें से एक ने कहा कि “उन लोगों ने हम लोगों की पिटाई की। हम उनसे पूछ रहे थे: ‘हमने क्या किया है? आप गांवों से पूछ सकते हैं अगर आपको लगता है कि हम झूठ बोल रहे हैं, अगर हमने कुछ गलत किया है?’ लेकिन वो कुछ भी सुनना नहीं चाहते थे। वो कुछ नहीं बोल रहे थे, वो केवल हमें पीटते जा रहे थे। ”

उन्होंने मेरे शऱीर के हर हिस्से को चोट पहुंचाया। उन्होंने हमें लातों से मारा, लाठियों से पीटा, इलेक्ट्रिक शॉक दिए और फिर केबल से पीट-पीट कर बेहाल कर दिया। उन लोगों ने मेरे पैरों के पिछले हिस्से को निशाना बनाकर पिटाई की। जब हम बेहोश हो जाते तो हमें इलेक्ट्रिक शॉक देकर होश में लाया जाता। जब वो हमें लाठियों से पीटते और उसके बाद हम चिल्लाते तो वो हमारे मुंह को कीचड़ से बंद कर देते।

“हमने उन्हें बताया कि हम निर्दोष हैं। हमने पूछा कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? लेकिन उन लोगों ने हमारी एक भी नहीं सुनी। मैंने उनसे कहा कि हमें मारिये मत बल्कि गोली से उड़ा दीजिए। मैं अल्लाह से उठा ले जाने की दुआ कर रहा था क्योंकि टार्चर बिल्कुल असह्य हो गया था।”

गांव के रहने वाले एक दूसरे जवान ने बताया कि सुरक्षा बलों के जवान उससे लगातार यह पूछते रहे कि पत्थरबाजों के नाम बताओ। और इस कड़ी में ढेर सारे लड़कों के नाम लेते रहे जो पिछले दिनों घाटी में विरोध प्रदर्शन के दौरान चेहरे के तौर पर सामने आए थे।

उसने कहा कि उसने सैनिकों को बताया कि वह किसी को नहीं जानता है। इस तरह से उन लोगों ने उसके चश्मे, कपड़ों और जूतों को निकाल देने का आदेश दिया।

“एक बार मैंने कपड़े उतार दिए उसके बाद उन्होंने रॉड और लाठी से मेरी पिटाई शुरू कर दी। और यह सिलसिला तकरीबन दो घंटे तक चलता रहा। जब मैं बेहोश होकर गिर गया तो उन लोगों ने फिर से होश में लाने के लिए शॉक दिया”।

उसने बताया कि “अगर वे मेरे साथ ऐसा फिर करते हैं तो मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाऊंगा, मैं बंदूक उठा लूंगा। मैं यह रोजाना बर्दाश्त नहीं कर सकता।”

उस युवक ने आगे बताया कि सैनिकों ने उसे उसके गांव के हर शख्स को यह चेतावनी दे देने के लिए कहा कि अगर कोई भी सुरक्षा बलों के खिलाफ पत्थरबाजी में हिस्सा लेता है तो उन्हें भी इसी तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा।

मैंने इस दौरान गांव के जिन सभी लोगों से मुलाकात की उन्होंने यही बताया कि इसके जरिये वो गांव के लोगों को किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने से दूर रहने के लिए डराने की कोशिश कर रहे थे।

बीबीसी को दिए अपने एक बयान में सेना ने कहा है कि उसने किसी भी नागरिक के साथ कोई भी दुर्व्यवहार नहीं किया है।

सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि “हमारी नोटिस में इस तरह का कोई विशेष आरोप नहीं आय़ा है। ऐसा लगता है कि इस तरह के आरोप गलत मंशा से प्रेरित तत्वों ने लगाया है।”

एक गांव में मेरी एक युवक से मुलाकात हुई जो अभी 20 साल के करीब होगा। उसने बताया कि अगर वह उग्रवादियों की मुखबिरी करने केलिए तैयार नहीं हआ तो सेना उसे गलत मामले में फंसा देगी। जब उसने इंकार किया तो उसका कहना है कि उसकी जमकर पिटायी की गयी। उसकी इतनी बेहरमी से पिटाई की गयी थी कि दो हफ्ते बाद भी वह अपनी पीठ के बल नहीं लेट सकता है।

“अगर यह जारी रहा तो मेरे पास अपने घर को छोड़ने के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा। वो इस तरह से पीटते हैं जैसे कि हम जानवर हों। वो हमें इंसान मानते ही नहीं”।

एक दूसरा शख्स जिसने मुझे अपनी चोट दिखाते हुए कहा कि उसे ग्रुप में धकेल दिया गया और फिर उसकी 15-16 सैनिकों द्वारा केबल, गन, लाठी और आयरन राड से पिटाई की गयी।

उसने बताया कि “अर्ध मूर्छित हो गया। उन्होंने मेरी दाढ़ी इतनी जोर से खींची ऐसा लगा जैसे मेरे सभी दांत गिर जाएंगे।”

बाद में उसे एक बच्चे जो उस घटना का प्रत्यक्षदर्शी था, ने बताया कि एक सैनिक ने उसकी दाढ़ी जलाने की कोशिश की लेकिन दूसरे जवान ने उसे रोक दिया।

एक दूसरे गांव में मेरी एक युवक से मुलाकात हुई जिसने बताया कि उसका भाई हिजबुल्ला मुजाहिदीन में शामिल हो गया है। एक समूह जो पिछले दो सालों से पूरी ताकत से कश्मीर में भारतीय शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।

उसने बताया कि अभी हाल में उससे आर्मी कैंप में पूछताछ की गयी थी। जहां उसका कहना है कि उसे टार्चर किया गया था। जिससे उसका पैर फ्रैक्चर हो गया।

उसने बताया कि “उन लोगों ने मेरा पैर और हाथ बांध कर मुझे उल्टा लटका दिया। वे तकरीबन दो घंटे लगातार मुझे बेरहमी से पीटते रहे।”

लेकिन सेना इस आरोप से इंकार करती है।

बीबीसी को दिए बयान में आर्मी ने कहा कि वह एक प्रोफेशनल संगठन है जो मानवाधिकार में विश्वास करता है। साथ ही सभी आरोपों की तेजी से जांच होती है।

(बीबीसी के लिए समीर हाशमी की रिपोर्ट। जनचौक ने साभार लिया है।)

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