किसान आंदोलनः इंटरनेट सस्पेंड करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पत्र याचिका, हिंसा पर नहीं होगी सुनवाई

किसानों के प्रदर्शन के कारण दिल्ली के बॉर्डर इलाके में इंटरनेट सेवा बंद किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पत्र याचिका (लेटर पिटिशन) दाखिल की गई है, जिसमें कहा गया है कि तुरंत इंटरनेट सेवा बहाल की जाए। जैसे ही गाजियाबाद पुलिस या दूसरे शब्दों में कहें यूपी सरकार को इसकी भनक लगी सिंघु, टीकरी और गाजीपुर सीमाओं और इसके आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई। इस बीच किसान आंदोलन और हिंसा पर सुनवाई से उच्चतम न्यायालय ने इनकार कर दिया है और कहा है कि सरकार इस मामले को देख रही है। कानून अपना काम करेगा।

पत्र याचिका में 140 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इंटरनेट को सस्पेंड किया जाना कानून की नजर में गलत है। किसान जहां बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां इंटरनेट सस्पेंड करने का केंद्र सरकार का फैसला अधिकार का दुरुपयोग है। इस तरह से इंटरनेट का सस्पेंशन अनुच्छेद-19 (1) ए का उल्लंघन है। पत्र याचिका में आग्रह किया गया है कि उच्चतम न्यायालय इसका स्वत: संज्ञान ले।

दरअसल किसान जिन बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां छठे दिन इंटरेनट को सस्पेंड रखा गया है। किसानों की आवाज को बंद कर दिया गया है और मीडिया की ओर से सरकार की नेरेटिव फैलाई जा रही है। इस तरह से संवैधानिक मूल्यों और मानवाधिकारों पर हमला किया जा रहा है।

पत्र याचिका में अनुराधा भसीन बनाम केंद्र सरकार के मामले में दिए उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लेख किया गया है। इस फैसले में कहा गया था कि इंटरनेट की पहुंच संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत मिले मौलिक अधिकार में शामिल है। यानी इंटरनेट सेवा अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि जब मैजिस्ट्रेट इंटरनेट सस्पेंड करने का आदेश जारी करें तो वाजिब हो यानी संतुलन को देखना जरूरी है। याचिका में कहा गया है कि लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और अगर हम मूक दर्शक बने रहे ते इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।

याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि उच्चतम न्यायालय सरकार को निर्देश दे कि उसने बॉर्डर पर जो लोहे के कीलें लगाई हैं और सीमेंट के बैरियर लगाए हैं, उन्हें हटाया जाए। सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर इंटरनेट सेवा बहाल की जाए। प्रत्येक बॉर्डर पर लोहे की 2,000 कीलें लगाई गई हैं। लोहे और सीमेंट के बैरिकेड्स लगाए गए हैं। विरोध स्थलों को एक किले में बदल दिया है, जहां ऐसा लगता है जैसे वे अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे हैं। 

किसानों को मूलभूत अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और ये अनुच्छेद-21 के तहत मिले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। कई मीडिया प्रदर्शन करने वाले किसानों को आतंकी कहकर संबोधित कर रहा है। इस तरह से देश के तानेबाने को नुकासन हो रहा है और इस अन्याय को रोकने के लिए निर्देश जारी किया जाए।

किसानों की गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो जाने के बाद, गृह मंत्रालय ने दिल्ली के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं के अस्थायी निलंबन का आदेश दिया। यह आदेश 29 जनवरी को सिंघु बॉर्डर पर हिंसक मुठभेड़ों के बाद बढ़ाया गया था, जिसकी वजह से सिंघु, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। सरकार के अनुसार, ‘सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने और सार्वजनिक आपातकाल को कम करने के हित में’ इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करना आवश्यक है।

पत्र याचिका में वकीलों ने यह आरोप लगाया कि हिंसा स्थानीय हुड़दंगियों द्वारा की गई थी। आरोप लगाया गया है कि स्थानीय निवासियों के होने का दावा करने वाले लगभग 200 लोग क्षेत्र को खाली करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल में घुस गए और पुलिस की भारी सुरक्षा की मौजूदगी के बावजूद प्रदर्शनकारियों पर पथराव किया, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और प्रदर्शनकारियों पर हमला किया।

इस बीच गाजियाबाद पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सिंघु, टीकरी और गाजीपुर सीमाओं और इसके आसपास के इलाकों में ऑनलाइन संपर्क सुविधाएं (इंटरनेट) बहाल कर दी गई हैं, लेकिन इसमें कुछ परेशानियां पेश आ सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट का इनकार
चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में घटना की जांच उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग बनाकर कराए जाने का भी अनुरोध किया गया था। पीठ ने इस मामले में दायर चारों याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार इस मामले को देख रही है। हम नहीं समझते कि हमें इस मामले में दखल देना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है, कानून अपना काम करेगा।

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में 26 जनवरी को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी, लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई। कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया और पुलिस के साथ भी उनकी झड़प हुई। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने वाहनों में तोड़फोड़ की और लाल किले पर धार्मिक ध्वज लगा दिया था।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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