नई दिल्ली/नागपुर। जज लोया मामले में आज उस समय नया मोड़ आ गया जब एक महिला वकील ने नागपुर में हुए प्रदर्शन के दौरान बताया कि जज लोया मुंबई से नागपुर जस्टिस स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में नहीं आए थे। बल्कि वह सरकारी काम से आए थे। और यह बात एडवोकेट छाया देवी यादव को खुद जस्टिस स्वप्ना जोशी ने बतायी थी।
दरअसल एडवोकेट छाया देवी यादव स्वप्ना जोशी की दोस्त हैं। उन्होंने बताया कि स्वप्ना जोशी जब नागपुर में वकालत कर रही थीं उसी समय से उनके साथ उनकी दोस्ती है। बाद में उनके जिला जल और फिर हाईकोर्ट का जज बनने के बाद भी उनकी दोस्ती बरकरार रही। छाया देवी ने बताया कि वह खुद स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में शरीक हुई थीं।
उन्होंने बताया कि जब लोया मामला गरम हुआ तो उन्होंने खुद स्वप्ना जोशी से पूछा था कि क्या लोया मुंबई से चलकर उनकी बेटी की शादी में आए थे? इस पर जस्टिस जोशी ने कहा कि नहीं वो अपने सरकारी काम से आए थे। उनका कहना है कि चूंकि इस बात का उनके पास कोई दस्तावेजी सबूत नहीं था लिहाजा वह अभी तक चुप थीं। अब एडवोकेट सतीश यूके न जब आरटीआई के जरिये यह हासिल कर लिया है कि जज लोया नागपुर सरकारी काम से आए थे। तब उनके लिए भी यह कहना आसान हो गया है।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर दबाव डाला गया है और उससे मनमुताबिक चीजें करवाई गयी हैं। उनका कहना था कि उन लोगों को उसी समय शक हो गया था जब हाईकोर्ट के जज खुद से निकल कर इस मामले में बोलना शुरू कर दिए थे। जो आमतौर पर नहीं होता है। उन्होंने कहा कि भला हाईकोर्ट के जज को क्या पड़ी है कि वह किसी मामले में कोई सार्वजनिक बयान दे।
दिलचस्प बात यह है कि जज लोया से जुड़े दो प्रमुख किरदारों जिसमें जज विनय जोशी जो लोया के साथ ट्रेन में मुंबई से नागपुर आए थे और दूसरी जस्टिस स्वप्ना जोशी जिसकी बेटी की शादी में लोया कथित तौर पर भाग लेने आए थे, दोनों का कभी कोई बयान सामने नहीं आया। न तो महाराष्ट्र सरकार द्वारा संजय बर्वे के नेतृत्व में गठित जांच टीम ने उनसे बयान लेना जरूरी समझा और न ही बाद में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित कोई पूछताछ और पहल की।
छाया देवी ने बताया कि वह एडवोकेट और एक्टिविस्ट श्रीकांत खंडालकर के अंतिम संस्कार में भी शामिल हुई थीं। खंडालकर का घर उनके घर के पास ही है। उन्होंने बताया कि सभी लोगों को उनकी मौत को लेकर संदेह था। और कोई भी उसे खुदकुशी मानने के लिए तैयार नहीं था। उनका परिवार बेहद डरा हुआ था और उनका बेटा उस समय पुणे में एलएलबी की पढ़ाई कर रहा था। उन्होंने बताया कि खंडालकर के परिवार पर दबाव डाला गया था। उन्होंने कहा कि आखिरी वक्त पर शव की जो स्थिति थी उसे देखकर कोई भी कह सकता था कि वह हत्या है और उनका मानना है कि खंडालकर की पहले कहीं हत्या की गयी और उसके बाद उनके शव को अदालत परिसर में डाल दिया गया।