महाराष्ट्रः बीजेपी में सिर्फ ‘शपथ’ सत्य है!

महाराष्ट्र के बारे में एक फेसबुक यूजर ने लिखा है, ‘सत्ता में सिर्फ शपथ सत्य है, बाकी सब मिथ्या है।’ महाराष्ट्र में एक नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली है। उन्हें इस मामले में शरद पवार के भतीजे अजित पवार का साथ मिला है। देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली है।

सरकार बनाने में एनसीपी की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। अहम यह भी है कि भाजपा को सरकार बनाने की इतनी जल्दी थी कि राज्यपाल ने सुबह-सुबह ही शपथ दिला दी। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बीजेपी को सत्ता चाहिए, किसी भी कीमत पर।

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था और यहां भाजपा, शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल चुनाव नतीजे आने के बाद से ही चल रहा था। एक दिन पहले ही शुक्रवार को शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं की बैठक हुई थी।

बैठक के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा था कि सीएम पद के लिए उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बन गई है। बाक़ी मुद्दों पर शनिवार को चर्चा होनी थी, मगर सुबह-सुबह शरद के भतीजे अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। शरद पवार ने कहा है कि यह पार्टी का फैसला नहीं है। शिव सेना का बयान आया है कि बीजेपी ने अंधेरे में पाप किया है।

इस पूरे घटनाक्रम में राजभवन भी सवालों के घेरे में आ गया है। शिव सेना ने राजभवन पर सवाल उठाए हैं। शिव सेना नेता संजय राउत ने कहा है, ‘’मैं मानता था कि राज्यपाल ऐसे व्यक्ति हैं, जो आरएसएस से आए हैं और संस्कारी हैं, मगर अंधेरे में पाप, डकैती और चोरी होती है। सरकार को जिस तरह से जल्दबाज़ी और अंधेरे में शपथ दिलाई गई, वह छत्रपति शिवाजी के महाराष्ट्र को शोभा नहीं देता।’ उन्होंने कहा कि यह इस देश के लोकतंत्र को शोभा नहीं देता। सत्ता और पैसे का ग़ैर क़ानूनी ढंग से इस्तेमाल किया गया है।

सुबह जब शपथ की खबर आई तो सियासी गलियारों में चर्चा रही कि यह सब शरद पवार के इशारे पर हुआ है। इस मामले को भजीते अजित पवार के उस बयान ने और पुख्ता कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने चाचा शरद पवार को सारी जानकारी दे दी थी। बाद में शरद पवार ने साफ कर दिया कि यह पार्टी का फैसला नहीं है। उसके बाद शरद पवार की बेटी के वाट्सऐप स्टेटस ने सारी तस्वीर साफ कर दी। उसमें उन्होंने लिखा है कि परिवार और पार्टी टूट गए हैं।

इस बीच एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा है कि जिस पत्र के आधार पर शपथ दिलाई गई है वो विधायकों के पत्र का दुरुपयोग किया गया है। एक बैठक में हाज़िरी के लिए हमने दस्तख़त लिए थे, उसे लेकर राज्यपाल को दिया गया है, जिसके आधार पर शपथ-ग्रहण हुआ है।

बता दें कि महाराष्ट्र चुनाव के बाद किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। साथ मिलकर चुनाव लड़ी भाजपा और शिव सेना मुख्यमंत्री के मुद्दे पर बाद में अलग हो गईं। इसके बाद किसी के भी सरकार न बना पाने की स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। तब से ही राज्य में शह और मात का खेल चल रहा था।

सियासी जानकार बताते हैं कि शरद पवार 41 साल पहले भतीजे अजित पवार की तरह का ही सत्ता पाने का खेल रच चुके हैं। शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर जनता पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी। वह उस वक्त राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। बाद में उनके गुरु यशवंत राव पाटिल भी कांग्रेस छोड़कर उनके साथ हो लिए थे।

महाराष्ट्र में एक बार फिर इतिहास सामने आ खड़ा हुआ है। गेंद शरद पवार के पाले में है। वह गेंद के साथ भतीजे अजीत पवार के साथ खेल में शामिल हो जाते हैं या उसे किक करेंगे यानी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे।

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