शाह के ‘गुपकार गैंग’ टिप्पणी पर महबूबा-उमर की तीखी प्रतिक्रिया, कहा-चुनाव लड़ना भी अब राष्ट्रविरोधी

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के नेताओं के खिलाफ गृहमंत्री अमित शाह द्वारा की गयी टिप्पणी पर विपक्षी दलों और खासकर घाटी के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। अमित शाह के ‘गुपकार गैंग’ संबंधी बयान पर पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अपने सत्ता की भूख के लिए बीजेपी चाहे जितना गठबंधन करती रहे लेकिन इस तरह का कोई गठबंधन करके हम लोग राष्ट्रीय हितों को दरकिनार कर रहे हैं। कांग्रेस ने भी शाह के कमेंट पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है।

गौरतलब है कि आज ट्वीट की एक श्रृंखला के जरिये शाह ने कश्मीर के नेताओं पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने गठबंधन को गुपकार गैंग करार देते हुए उसे घाटी में आतंक और उथल-पुथल के दौर को फिर से वापस लाने वाला बताया था। उन्होंने लिखा था कि “वे दलितों, महिलाओं और आदिवासियों के अधिकारों को छीनना चाहते हैं जिसको हम लोगों ने अनुच्छेद 370 हटाने के जरिये सुनिश्चित किया था। यही वजह है कि वो लोग हर जगह पर नकारे जा रहे हैं।”

इसके जवाब में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि “गठबंधन करके चुनाव लड़ना भी अब राष्ट्र विरोधी हो गया है। अपने सत्ता की भूख को पूरा करने के लिए बीजेपी बहुत सारे गठबंधन कर सकती है लेकिन एक एकताबद्ध मोर्चा को आगे करके हम लोग किसी भी रूप में राष्ट्रीय हितों की अनदेखी कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि बीजेपी के टुकड़े-टुकड़े गैंग के नैरेटिव के बाद शाह का प्रयास गुपकार गठबंधन को राष्ट्रविरोधी साबित करना है। पीडीपी नेता ने कहा कि “पुरानी आदतें बहुत मुश्किल से जाती हैं। पहले बीजेपी का नैरेटिव था कि टुकड़े-टुकड़े गैंग भारत की संप्रभुता के लिए खतरा है और अब वो गुपकार गैंग (जुमले) को हमें राष्ट्रविरोधी साबित करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।”

उन्होंने बीजेपी के इस रुख को पूर्व संभावित करार देते हुए कहा कि बीजेपी खुद को रक्षक के तौर पर पेश करती है और राजनीतिक विरोधियों को आंतरिक और काल्पनिक शत्रु के तौर पर पेश करती है। उन्होंने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी और मंदी को राजनीतिक बहस के केंद्र में लाने की जगह लव जिहाद, टुकड़े-टुकड़े गैंग और अब गुपकार गैंग को पेश किया जा रहा है।

उमर अब्दुल्ला ने भी अमित शाह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “माननीय अमित शाह के हमले के पीछे की निराशा को हम समझ सकते हैं। उन्हें बताया गया था कि पीपुल्स एलायंस चुनावों का बहिष्कार करने जा रहा है। यह बीजेपी और हाल में बनी राजा की पार्टी के लिए जम्मू-कश्मीर में चरने की पूरी छूट दे देता। लेकिन हम लोगों ने उसको पूरा नहीं होने दिया”।

उन्होंने आगे कहा कि केवल जम्मू-कश्मीर में ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए नेताओं को हिरासत में लिया जा सकता है और उन्हें राष्ट्रविरोधी करार दिया जा सकता है। सच्चाई यह है कि जो भी बीजेपी की विचारधारा का विरोध करता है उस पर भ्रष्ट और राष्ट्रविरोधी होने का ठप्पा लगा दिया जाता है।  

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि आए दिन झूठ बोलना, कपट फैलाना व नए भ्रमजाल गढ़ना मोदी सरकार का चाल, चेहरा और चरित्र बन गया है। शर्म की बात तो यह है कि देश के गृहमंत्री अमित शाह राष्ट्रीय सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी को दरकिनार कर जम्मू, कश्मीर व लद्दाख पर सरासर झूठी, भ्रामक व शरारतपूर्ण बयानबाजी कर रहे हैं। 

भारत की सरजमीं से चीन को वापस खदेड़ने तथा पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की जिम्मेदारी निभाने की बजाय अनर्गल बयानबाजी ही अमित शाह व मोदी सरकार के मंत्रियों का प्रतिदिन का व्यवहार बन गया है। 

उन्होंने कहा कि पार्टी कड़े शब्दों में अमित शाह व मोदी सरकार के मंत्रियों के आचरण की निंदा करती है तथा याद दिलाती है कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को लेकर उनका आचरण ऐसा ही है, जैसा कि ‘नौ सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’। 

उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार व उसके मंत्रियों की खोयी हुई याददाश्त को दुरुस्त करने की आवश्यकता है, ताकि सही तथ्य जान लें:-

1)    कांग्रेस पार्टी ‘गुपकार अलायंस’ या ‘पीपुल्स एसोसिएशन फॉर गुपकार डिक्लरेशन’ (PAGD) का हिस्सा नहीं है।

2)    देश के लिए कुर्बानी और बलिदानी की परिपाटी कांग्रेस के नेतृत्व ने अपने लहू से लिखी है। महात्मा गांधी,  इंदिरा गांधी, राजीव गांधी सरीखे नेताओं की देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की परंपरा सबको याद है। आजादी के बाद भी उग्रवाद और आतंकवाद से लड़ते हुए हजारों कांग्रेसजनों ने जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश में कुर्बानियां दीं। सरदार बेअंत सिंह,  नंद कुमार पटेल,  विद्याचरण शुक्ल,  महेंद्र कर्मा व हजारों कांग्रेसजन देश के लिए कुर्बान हो गए, जिन पर हमें नाज़ है। 

3)    अंग्रेज के गुलाम और पिट्ठू दलों के लोग शायद न तो देश और न ही तिरंगे के लिए कुर्बानी का जज़्बा समझ सकते हैं। कांग्रेस पार्टी यह कभी स्वीकार नहीं करेगी कि राष्ट्र की अस्मिता, अखंडता या तिरंगे को कोई आँच पहुंचाए। न ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर सहित भारत के आंतरिक मामलों में कोई विदेशी दखलंदाजी स्वीकार की है और न ही करेगी। 70 वर्षों तक भारत का गौरवशाली इतिहास कांग्रेस के इस संकल्प का गवाह है। 

शायद अमित शाह और मोदी सरकार को राष्ट्रभक्ति का नया पाठ पढ़ने की आवश्यकता है, क्योंकि उनके पितृ संगठन, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तो देश का तिरंगा ही आजादी के 52 साल तक आरएसएस मुख्यालय पर नहीं लहराया था।  

4)    अमित शाह यह भी बताएं कि जिस पीडीपी की वो आलोचना कर रहे हैं, उसके साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने सरकार का गठन क्यों किया था?

5)  अमित शाह यह भी बताएं कि भाजपा सरकार जम्मू-कश्मीर की जेल से कुख्यात आतंकवादी, मौलान मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद ज़रगर व अहमद उमर सईद शेख को अफगानिस्तान और पाकिस्तान रिहा करके क्यों आई थी और क्या यही उग्रवादी 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के जिम्मेदार नहीं?

6)   अमित शाह यह भी बताएं कि उन्होंने पाकिस्तान की उग्रवादियों की पोषक, आईएसआई को पठानकोट एयरबेस हमले की जाँच के लिए न्यौता देकर भारत क्यों बुलाया था और श्री अमित शाह ने आईएसआई में विश्वास क्यों जताया था?

7)  अमित शाह यह भी बताएं कि साल 2016 में कुख्यात आतंकवादी दाउद इब्राहिम की बीवी खुलेआम मुंबई जाकर वापस पाकिस्तान कैसे लौट गई और इसकी इजाजत किसने दी?

8)    अमित शाह यह भी बताएं कि भाजपा के महाराष्ट्र के एक मंत्री के तथाकथित टेलीफोन पर दाउद इब्राहिम से वार्ता के बाद उसे पद से क्यों हटाया था? यदि यह सही था, तो मुकदमा दर्ज कर जाँच क्यों नहीं की गई? पूरे मामले को रफा-दफा क्यों किया गया? 

9) अमित शाह यह भी बताएं कि पीडीपी-भाजपा सरकार के समय उस सरकार के चहेते मसरत आलम को अप्रैल, 2015 में कश्मीर में पाकिस्तान का झंडा लहराने और भारत विरोधी नारे लगाने की इजाजत कैसे दी थी? अमित शाह यह भी बताएं कि पीडीपी-भाजपा सरकार में आसिया अंद्राबी को सरकार का बेटी बचाओ का चेहरा कैसे बनाया, जिसने फिर पाकिस्तान जाकर मसूद अजहर उग्रवादी के साथ भारत विरोधी प्रदर्शन किया? 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में प्रजातांत्रिक चुनाव की पक्षधर है तथा इसी उद्देश्य से कांग्रेस पार्टी डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल का चुनाव लड़ रही है ताकि भाजपा का जनविरोधी चेहरा प्रजातांत्रिक तरीके से बेनकाब हो सके।

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