महुआ मोइत्रा: हम उस सत्ता से सवाल पूछ रहे हैं जो कह रही-तुम अभी चुप रहो रिपब्लिक

नई दिल्ली। (मोदी सरकार के विरोध में विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है। अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के तीसरे दिन तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने मणिपुर हिंसा मामले में मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया। अपने भाषण की शुरुआत करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा कि मैं आज यहां पर मैं अपनी पार्टी आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी की ओर से उस निर्वाचित सरकार के खिलाफ प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में बोलने के लिए खड़ी हुई हूं, जो भारी बहुमत के साथ सत्ता में बैठी है। पेश है उनका पूरा भाषण-संपादक)

अमेरिकी उपन्यासकार गेरत्रुड़ स्टेन की प्रसिद्ध उक्ति है “अगर कोई सवाल नहीं है, तो उसका कोई जवाब नहीं हो सकता है।”

हम यहां पर उस सत्ता से सवाल पूछने के लिए खड़े हैं जिसका जवाब होता है “तुम अभी चुप रहो रिपब्लिक” जहां पर सम्माननीय प्रधानमंत्री राज्यपाल को कहते हैं कि तुम अभी चुप रहो। जहां पर हम संसद के सदस्यों को अक्सर यह कहा जाता है, “चुप रहो।”

यह प्रस्ताव इस चुप्पी को तोड़ने के लिए लाया गया है, मणिपुर पर चुप्पी की संहिता को तोड़ने के लिए, जो आज सबसे ज़रूरी प्रश्न बन गया है, के जवाब में कहा जाता है कि “रहो चुप।” और अब हमें बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा की मास्टर स्ट्रेट्जी के तहत प्रधानमंत्री मोदी जी.. परसों भी संसद नहीं आये थे, वे कल भी नहीं आये और अभी तक भी नहीं पहुंचे हैं।

“वो थोड़ी न बैठकर आपकी सुनेंगे? वो तो लास्ट में आयेंगे और आप सबकी धज्जियां उड़ा के जायेंगे।” कोई बात नहीं, हम इंतजार कर रहे हैं, हमें कोई समस्या नहीं है। मुझे नहीं पता कि इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि हमारे सम्माननीय प्रधानमंत्री इस सदन में आने को इच्छुक नहीं हैं, जिसके वे निर्वाचित सदस्य हैं, और मणिपुर पर जवाब देने के लिए जवाबदेह हैं।

या उन्होंने मणिपुर जाकर सभी प्रभावित लोगों से मिलकर शांति और सुलह का मार्ग प्रशस्त करने के मार्ग को ठुकरा दिया है। कौन सी बात सच है महाशय?

यह प्रस्ताव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं है महाशय, बल्कि यह इंडिया में विश्वास व्यक्त करने वाला प्रस्ताव है। अधिकांश अविश्वास प्रस्ताव नकारात्मक प्रस्ताव होते हैं, जिनमें सरकार को गिराने की थोड़ी-बहुत संभावना होती है। यहां पर हमें बखूबी पता है कि इस अविश्वास प्रस्ताव से मौजूदा सरकार के गिरने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है, क्योंकि हमारे पास आवश्यक संख्या बल नहीं है।

सत्तापक्ष के मेरे कई मित्र और उनके सहयोगी जैसे कि बीजेडी, वाईएसआर हमारा यह कहकर मजाक उड़ा रहे हैं कि, “आप लोगों को पता होना चाहिए कि आप लोग सरकार नहीं गिरा सकते, यह प्रस्ताव विफल होने के लिए अभिशप्त है।”

लेकिन हम इंडिया गठबंधन के रूप में संभवतः पहले ब्लॉक हैं, जिसे किसी को गिराने के लिए नहीं बल्कि किसी चीज को पुनर्जीवित करने के लिए, भारत के समानता एवं धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी उसूलों को पुनर्जीवित करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिसे इस सरकार ने जमीन के 6 फीट नीचे दफन कर दिया है। यह प्रस्ताव लोकतांत्रिक ढांचे के तहत खुद को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता को पुनर्जीवित करने के लिए है।

जिस पर आपने राजद्रोह का ठप्पा लगा दिया है, यह अविश्वास प्रस्ताव उन तमाम गैर-सजातीय विविध लोगों को एक संघ-राज्य के भीतर सह-अस्तित्व के साथ जीने के लिए है, जिन्हें आपकी सरकार हम और उनमें के बीच में विभाजित करने पर तुली हुई है।

देवियों और सज्जनों इस बात की गलती न करें, इस प्रस्ताव का अर्थ इस सदन में सफलता हासिल करने के लिए नहीं बल्कि व्यापक रूप से भारत में विश्वास पैदा करने को लेकर है।

जब भारत के लोगों की बात सुनी जायेगी और इस वजह से मैं आज यहां पर आप के सामने खड़ी हुई हूं, उसकी वजह यह है कि मणिपुर के मुद्दे पर ख़ामोशी की चादर छाई हुई है, और सरकार व्हाट अबाउटरी (क्या बात है?) में लगी हुई है, और इसके समानांतर में झूठ का पुलिंदा खड़ा करने में व्यस्त है। मैं इस बारे में बताने का हर संभव प्रयास करुंगी।

“सत्तापक्ष ने इस बारे में तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा है कि सिर्फ मणिपुर पर ही क्यों बात करना चाहते हैं? राजस्थान, छत्तीसगढ़ और …पश्चिम बंगाल में रेप और हत्या के बारे में क्या हुआ। इसके जवाब में हम यह कहने के लिए बाध्य हैं कि हरियाणा में हिंसा के बारे में क्या कहना है?

मैं इस सदन को बताना चाहती हूं कि मणिपुर कैसे इन सबसे अलग है, और मणिपुर में एक खास समुदाय के खिलाफ घृणा अपराध एक दूसरे समुदाय के …पुलिस कर्मियों तक घुस चुकी है, संभवतः जिस समुदाय से राज्य के मुख्यमंत्री आते हैं। इसमें एक दूसरे समुदाय की महिलाओं को भीड़ के द्वारा …बलात्कार और लूट का माल के रूप में पेश किया जाता है और महिलाओं को न्याय न मिलना सुनिश्चित किया जाता है। मुद्दा यह है कि मणिपुर में आज दो समुदायों को आपस में एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया गया है, उन्हें गृह-युद्ध के वातावरण में भीषण जातीय हिंसा में झोंक दिया गया है, जैसा पिछले कुछ दशकों से भारत के शायद ही किसी राज्य में देखने को मिला हो।

3 महीने में 6,500 प्राथमिकी किस राज्य में ऐसा देखने को मिला है?, 4,000 घरों को पिछले 3 महीनों में जलाया गया है, किस राज्य में ऐसा देखने को मिला है?, 60,000 से अधिक लोग राज्य से विस्थापित हुए हैं, जो राज्य के 2% आबादी के बराबर होते हैं, जैसा युद्ध या प्राकृतिक आपदा के दौरान ही संभव है, ऐसा किस राज्य में देखने को मिला है?, 150 लोग 3 महीने में मार डाले गये, ऐसा किस राज्य में हुआ है? किस राज्य ने 300 पूजा-स्थलों को ध्वस्त होते देखा है?

मणिपुर राज्य पुलिस और असम राइफल्स के बीच हिंसक झड़प का वीडियो, जिसमें से एक का नियंत्रण गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है जबकि दूसरा राज्य पुलिस के नियंत्रण में है, आखिर किस राज्य में ऐसा देखा गया है?

भीड़ द्वारा 5,000 आग्नेयास्त्र और 6,00,000 गोलियों की लूट पुलिस स्टेशनों से की गई है, किस राज्य में ऐसा देखा गया है? जातीय समूह अलग जोन में बंटे हुए हैं, जिसमें हिल के लोग घाटी में नहीं जा सकते, वहीं दूसरी ओर घाटी के लोग हिल में नहीं घुस सकते, आखिर किस राज्य में ऐसा है?

मादक पदार्थों की तस्करी में मुखिया समर्थक एक ग्रुप का समर्थन करता है जबकि दूसरे पर आरोप मढ़ता है, सच्चाई यह है कि पिछले 5 वर्षों के दौरान पोश्ते की खेती में 15,000 एकड़ से अधिक की वृद्धि हुई है। इस मुख्यमंत्री की निगरानी में 250 वर्ग किमी का वन क्षेत्र कम हो गया है।

किस राज्य में यह देखा गया है? सिर्फ मणिपुर, किसी अन्य राज्य में नहीं, सिर्फ मणिपुर। इसलिए, अपनी whataboutery बंद कीजिये। अपनी झूठी समानांतर कहानियां बंद कीजिये, सम्माननीय प्रधानमंत्री जी समस्या का हल ढूंढिए। पुलिस विभाग में एक भी बदलाव के बारे में एक शब्द भी हमने नहीं सुना है।

सरकार के भीतर एक भी बदलाव की बात हमने नहीं सुनी है। किसी एक भी व्यक्ति ने इसकी जिम्मेदारी ली हो, इस बारे में एक भी शब्द हमने नहीं सुना है, जबकि केंद्र में जिसकी सरकार है उसी पार्टी का मणिपुर राज्य में भी शासन है। डबल इंजन सरकार की यह सबसे बड़ी विफलता है।

इसलिए whataboutery कर दूसरे राज्यों की बेइज्जती करना बंद कीजिये, कि राजस्थान में क्या हुआ, हरियाणा में क्या हुआ, छत्तीसगढ़ में क्या हुआ?

मणिपुर को घृणा अपराध की कहानी बताकर गृहयुद्ध की यह कहानी असल में मानवता के खिलाफ अपराध की कड़वी सच्चाई है।सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के पीछे इसने संस्थाओं को ध्वस्त कर दिया है, और यदि मैं इस सच्चाई को उजागर नहीं करती हूं तो इस संसद में अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं करती हूं।

मणिपुर में भाजपा की बहुसंख्यकवादी दुस्साहस एक राज्य को नष्ट कर रही है और इसके लोगों को एक दूसरे से पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर रही है। मैं इस बारे में राजनीति नहीं करना चाहती लेकिन सम्माननीय प्रधानमंत्री यदि आप मेरी बात सुन रहे हैं तो मैं मणिपुर के लोगों की तरफ से आपसे विनती करती हूं कि प्रशासन में बदलाव कीजिये और किसी प्रकार से सच सामने लाने के लिए .. सभी दलों के साथ मिलकर काम करने का प्रयास कीजिये, वरना आपके कार्यकाल के पूरा हो जाने के बाद भी इंडिया एक स्वर में यही सवाल करता रहेंगा कि मणिपुर में ऐसा क्या हुआ कि इतना भयानक दुष्परिणाम इस देश को भुगतना पड़ रहा है।

“जिस पापी को गुण नहीं गोत्र प्यारा है, समझो उसने ही हमें यहां मारा है।” इंडिया ने आप पर विश्वास खो दिया है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के …प्रधानमंत्री का एक नए संसद के चैम्बर में एक बहुसंख्यक समुदाय के धार्मिक गुरुओं के आगे नतमस्तक होना हमें शर्म का अहसास कराता है।

पुलिसकर्मियों का महिला पहलवानों के खिलाफ मामले को हैंडल करना और आरोप लगाना, जो कि एक आरोपी भाजपा सांसद के पक्ष में, हमें शर्मिंदा करता है। भाजपा शासित हरियाणा के 3 जिलों के 50 पंचायतों में पत्र जारी कर मुस्लिम व्यापारियों के प्रवेश पर रोक का फरमान जारी किया जा रहा है, या हमें शर्मसार करता है।

“नफरतों की जंग में अब देखो क्या-क्या हो गया, सब्जियां हिंदू हुईं, बकरियां मुसलमान हो गईं।”

ऐसा आप हर राज्य में बना रहे हैं। हम आपके धमकाने में नहीं आने वाले। एक क्रोनी कैपिटलिस्ट भारत के रेगुलेटर और शेयर बाजार को अपनी उंगलियों पर नचाते हुए हम देख रहे हैं।

लेकिन ममता दी नहीं डर रही हैं, स्टालिन नहीं डरे हैं, अखिलेश नहीं डरे हैं, राहुल गांधी नहीं डरे हैं। एक 37% वोट शेयर वाली पार्टी सिर्फ किसी सूरत में हावी नहीं हो सकती है। यदि हम शेष 63% मिलकर साझाकरण के साथ चलते हैं, और इस बार हम आपको सामने से रोकेंगे, और हम जीतेंगे।

हम इस सदन में भाजपा के सदस्यों को कहना चाहते हैं, मैंने सुना है कि भाजपा के लोग खुद की पीठ थपथपा रहे हैं, और मैं यहां पर गीता का एक उद्धरण देना चाहती हूं, “तुम्हें सिर्फ कर्म की चिंता करनी चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।” यहां पर सभी पूछ रहे हैं कि यदि मोदी जी नहीं, तो फिर कौन?

आदरणीय प्रधानमंत्री की मणिपुर पर यह अकर्मण्यता, जहां पर आपके पास हस्तक्षेप करने के लिए पूर्व शक्तियां मिली हुई थीं, लेकिन आपने कुछ नहीं किया, जिसे देखकर इंडिया कहेगा, कोई भी चलेगा, सिवाय मोदी के।

धन्यवाद सभापति जी

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