माले जिला पंचायत सदस्य पर प्रशासन बना रहा है बीजेपी के पक्ष में वोट डालने का दबाव

लखनऊ। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने सीतापुर के हरगांव में पार्टी के जिला पंचायत सदस्य अर्जुन लाल पर जिला पंचायत अध्यक्ष के भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रशासन द्वारा दबाव बनाने के लिए आधी रात को फर्जी मुकदमा दर्ज करने की कड़ी निंदा की है।

आज यहां जारी बयान में माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि योगी सरकार पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में लोकतंत्र का खुल्लमखुल्ला अपहरण कर रही है। योगी की पुलिस भाजपा कार्यकर्ता की तरह बर्ताव कर रही है। पूरा प्रशासन लोकतंत्र को ताक पर रखकर साम-दाम-दंड-भेद के जरिये भाजपा प्रत्याशियों को जिताने में जुट गया है। इसके लिए विपक्षी जिला पंचायत सदस्यों को धमकाने, खरीदने, गायब करने और परिवार का उत्पीड़न करने से लेकर गिरफ्तार करने तक की मुस्तैदी दिखाई जा रही है।

माले नेता ने कहा कि अर्जुन लाल आगामी तीन जुलाई को होने वाले सीतापुर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा को हराने की रणनीति के तहत निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति सिंह रावत के प्रस्तावक हैं। पर्चा दाखिला और जांच हो चुकी है। भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में दबाव बनाने के लिए हरगांव पुलिस ने जमीन के वर्षों पुराने एक मामले में बीती आधी रात को मुकदमा दर्ज कर दिया। मुकदमे में उन्हें सीलिंग की जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। कॉमरेड अर्जुन लाल, उनके परिवार के सारे सदस्यों सहित गांव के 30 लोगों को आरोपी बनाया गया है। 

यही नहीं, न मांगने, न चाहने के बावजूद आज तड़के ही पुलिस की एक टीम सुरक्षा का बहाना बना कर अर्जुन लाल के घर पर आकर जम गई है। ऊपर से अर्जुन लाल को संदेश भेजवाया जा रहा है कि यदि भाजपा प्रत्याशी को वोट करने के लिए तैयार हों, तो मुकदमा हटा लिया जाएगा अन्यथा गिरफ्तारी और जेल भी हो सकती है। 

माले नेता ने कहा कि यह बात पता चलने पर क्षेत्र की जनता कामरेड अर्जुन लाल के घर पर पहुंच गई और अपने निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य को खुद के सुरक्षा घेरे में ले लिया। दोपहर बाद तक यह स्थिति जारी थी।

राज्य सचिव ने कहा कि योगी सरकार और भाजपा धनबल व बाहुबल के जरिये पंचायत अध्यक्ष का पद हथियाना चाहती है। जिस पुलिस पर आम आदमी की सुरक्षा का जिम्मा है, उसे योगी ने असुरक्षा फैलाने का काम सौंप दिया है। लोकतंत्र का चीरहरण हो रहा है, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हो रही है। राज्य निर्वाचन आयोग इस गुंडागर्दी के आगे आंख मूदकर फेल है।

उधर दूसरी तरफ यूपी से ही जुड़ी हुई एक खबर बिहार से है। भाकपा-माले के बिहार राज्य सचिव कुणाल ने विगत कुछ दिनों में बिहार में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने की लगातार बढ़ रही घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यूपी चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नियत से भाजपा बिहार सहित पूरे देश का माहौल खराब करने में लग गई है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति घृणा के इस माहौल पर लगाम लगाएं और उनकी सुरक्षा का इंतजाम करें।

उन्होंने कहा कि अररिया जिले के चकाई गांव में शोएब नाम के एक युवक की मॉब लिंचिंग की घटना सामने आई है। गांव में उग्र भीड़ ने उस युवक को रस्सी से बांधकर बेरहमी से पीटा और फिर पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी। इस घटना की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। पुलिस-प्रशासन को सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाली ताकतों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।
दूसरी घटना समस्तीपुर जिले की है। ताजपुर प्रखंड के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के आधारपुर गांव में आपसी विवाद को लेकर उपमुखिया मो. हसनैन ने श्रवण राय की हत्या कर दी।

इसके बाद, असामाजिक तत्वों ने उपमुखिया के घर पर हमला करके उनकी पत्नी सनोवर खातून, भतीजे मो. अनवर, चाचा मो. नुरैन और बेटी नुसरत परवीन को मारते-पीटते एक मकान में बंद कर दिया। मार से सनोवर खातून की तत्काल मौत हो गई। बाद में पुलिस आई और मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिए गए मो. अनवर, मो. नुरैन, नुसरत परवीन को भीड़ से मुक्त कराकर इलाज के लिए ले गई। रास्ते में मो. अनवर की मौत हो गई है। मो. नुरैन का इलाज जारी है। इस जघन्य मामले में अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं होना बेहद चिंताजनक है। भाकपा-माले ने मांग किया है कि भीड़ मानसिकता तैयार करने वाली ताकतों की शिनाख्त कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

उन्होंने कहा कि दरभंगा स्टेशन पर हुए ब्लास्ट मामले में भी अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। इसके पूर्व बांका बम ब्लास्ट कांड को भी भाजपा ने ‘आतंकवाद’ से जोड़कर दुष्प्रचारित किया था, जबकि वहां का प्रशासन बार-बार उस तथ्य से इनकार करता रहा।
भाकपा-माले, मुजफ्फरपुर में इंसाफ मंच से जुड़े इफ्तिाखर खान के मूकबधिर बेटे, जो कानपुर में एक मूकबधिर शिक्षक हैं, से धर्मपरिवर्तन के एक मामले में पूछताछ के लिए यूपी पुलिस मुजफ्फरपुर आई है। उस मूकबधिर शिक्षक का फोन और लैपटॉप जब्त कर लिया है। पूछताछ के लिए लखनऊ ले जाने का दबाव बनाया जा रहा था, लेकिन जब परिजनों ने लीगल नोटिस का सवाल उठाया, तब जाकर यूपी पुलिस पीछे हटी।
उन्होंने कहा कि भाकपा-माले विधायकों की एक टीम जल्द ही इन स्थानों का दौरा करेगी और अपनी एक रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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