Thursday, September 28, 2023

मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी को जी-20 शिखर सम्मेलन पर नागरिकों के We-20 सम्मेलन पर आपत्ति है 

नई दिल्ली। 18-20 अगस्त 2023 तक तीन दिवसीय We-20 सम्मेलन का आयोजन आईटीओ के पास सुरजीत भवन में किया जा रहा है, जिसे दिल्ली पुलिस ने 19 अगस्त को बैरिकेड लगाकर रोकने की कोशिश की, लेकिन सभागार में मौजूद लोगों के कड़े प्रतिवाद को देखते हुए पुलिस प्रशासन को वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था। लेकिन आज खबर आ रही है कि दिल्ली पुलिस ने आयोजनकर्ताओं के नाम एक पत्र जारी कर तीसरे दिन के कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। सुबह से ही कार्यक्रम स्थल के बाहर सड़क पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर कार्यक्रम को रद्द करने पर अड़ी हुई थी। We-20 कार्यक्रम के आयोजकों के अनुसार वे इस नोटिस को पढ़कर स्तब्ध हैं कि उन्हें अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के उपयोग के लिए “इजाजत” लेने की जरूरत है। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस से जी-20 सम्मेलन के लिए सुरक्षा के मुद्दे का हवाला देते हुए इस आयोजन को रद्द किया है। इस प्रकार 3 दिनों तक चलने वाला We-20 सम्मेलन को बीच में ही खत्म करना पड़ा है। 

जैसा कि सभी जानते हैं कि जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता भारत के पास है, और सितंबर में दिल्ली में इसका आयोजन होना है। जी-20 देशों के विभिन्न वार्ताओं को देश के विभिन्न शहरों में पिछले कई महीनों से आयोजित किया जा रहा है। इसी के मद्देनजर दिल्ली में विभिन्न जन-संगठनों, ट्रेड यूनियनों, नागरिक संगठनों एवं नागरिक समाज के द्वारा 18-20 अगस्त को नई दिल्ली में इसके समानांतर We-20: जनता का सम्मेलन आहूत किया जा रहा है। यह आयोजन आईटीओ के समीप सुरजीत भवन में चल रहा है, जिसमें जी-20 से जुड़े मुद्दों, जैसे कृषि एवं खाद्य सुरक्षा, जलवायु संकट, ऊर्जा संक्रमण, बढ़ती असमानता, श्रम एवं रोजगार के अवसर, विकास की वैकल्पिक अवधारणा, लोकतंत्र एवं असहमति के अधिकार जैसे अन्य मुद्दों पर चर्चा एवं पेपर प्रस्तुत किये जाने हैं।

दावोस शिखर सम्मेलन सहित वैश्विक मंच पर किसी भी बड़े शिखर सम्मेलनों के बरक्स आम नागरिकों एवं गैर-सरकारी संगठनों की ओर से ऐसे आयोजनों का चलन आम बात है। जी-20 शिखर सम्मेलन या ऐसे किसी भी सम्मेलन का विचार असल में उन देशों और कॉर्पोरेट के एजेंडे को आगे बढ़ाने का होता है, जिसके बरक्स आम जनता के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए पश्चिमी देशों सहित तीसरी दुनिया के देशों में समानांतर सम्मेलन एक परंपरा रही है। लेकिन खुद को मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी का ख़िताब देने वाले भारत देश में लोकतंत्र की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि एक ऑडिटोरियम के भीतर देश भर के कोने-कोने से जमा हुए 500 लोगों को सभागार के भीतर विचार-विमर्श करने पर भी सरकार को परेशानी हो रही है। 

इस आयोजन में शिरकत करने वालों में तीस्ता सीतलवाड़, मेधा पाटकर, अर्थशास्त्री जयती घोष एवं प्रोफेसर अरुण कुमार, सांसद मनोज झा, जयराम रमेश, हन्नान मौला, अनिल हेगड़े, बृंदा करात, राजीव गौड़ा, अंजली भारद्वाज, निखिल डे, थॉमस फ्रांको, शक्तिमान घोष एवं हर्ष मंदर सहित तमाम सामाजिक कार्यकर्त्ता शिरकत कर रहे हैं। कुल 9 वर्कशॉप में वैश्विक वित्तीय व्यवस्था, बड़े बैंकों की भूमिका और आम लोगों पर इसके प्रभाव, सूचना का अधिकार, डिजिटल डेटा और निगरानी से लेकर शहरों को लेकर नई परिकल्पना क्या हो, पर चर्चा की जानी है। इसके आयोजकों के विचार में मौजूदा सरकार जी-20 की अध्यक्षता को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा है, और इसके विज्ञापनों में ‘मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी’ जैसे टैग नुमाया किये जा रहे हैं, वहीं असलियत में जहां-जहां पर जी-20 की बैठकें आयोजित की जा रही हैं, वहां पर गरीबों को जबरन उनके आवास से बेदखल करने एवं मकान ध्वस्त किये जाने की खबरें आ रही हैं। यही वह दौर है जब लोकतंत्र के लिए स्थान तेजी से सिमट रहा है और असहमतियों को आपराधिक बनाया जा रहा है। आर्थिक एवं सामाजिक मानकों में भारत की रैंकिंग तेजी से गिर रही है। बेरोजागारी और खुदरा महंगाई अपने चरम पर है, जिससे आम इंसान बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ चंद कार्पोरेट घरानों के पक्ष में प्रमुख एवं रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र को निजी क्षेत्र के हाथ में सौंपा जा रहा है।

We-20 का उद्येश्य जी-20 के सामने आम लोगों की आवाज को प्रमुखता से रखने और उनके मुद्दों को उठाने के साथ एक लोकतांत्रिक, न्यायपूर्ण एवं समावेशी वित्तीय प्रणाली एवं राजनीतिक क्रम के पक्ष में सहमति तैयार करने का है। 20 अगस्त को शाम के सत्र में जन नाट्य मंच, वजूद थिएटर ग्रुप और यलगार साथी बैंड की प्रस्तुति के साथ सभा का समापन होना था, जिसमें सबिका की ओर से कविता पाठ और संजय राजौरा एवं अन्य कलाकारों को भी अपनी प्रस्तुति पेश करनी थी।

We-20 के पहले दिन का कार्यक्रम बिना किसी रोकटोक के संपन्न हुआ। लेकिन 19 अगस्त के कार्यक्रम में जिस प्रकार से पुलिस प्रशासन ने सभागार में आकर रोकने की कोशिश की, उसकी विभिन्न हलकों से आलोचना की गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सांसद, जयराम रमेश ने इस कार्रवाई को अभूतपूर्व बताते हुए आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि “दिल्ली पुलिस लोगों को We-20 की बैठक में हिस्सा लेने से रोक रही है।” 

तीसरे दिन ‘वी-20’ के कार्यक्रम को रोकती हुई दिल्ली पुलिस

मजदूर किसान संघर्ष समिति (एमकेएसएस) के निखिल डे हैरानी जताते हुए कहते हैं कि क्या नरेंद्र मोदी जी-20 देशों को यही संदेश देना चाहते हैं कि भारत एक ऐसा देश हैं जो एक सेमिनार तक आयोजित करने की अनुमति नहीं दे सकता है। 

सीपीआई की नेता ऐनी राजा के अनुसार, “यह सिर्फ सेमिनार और भारत के आम लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला है, बल्कि यह उन गरीबों और रेहड़ी-पटरी वालों पर हमला है जिनके घरों को सिर्फ इसलिये ढहाया जा रहा है ताकि दिल्ली को ‘विश्वस्तरीय’ शहर के तौर पर सजाया जा सके।”

कार्यक्रम के आयोजकों के अनुसार,दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर सेमिनार को बंद करने के लिए कहा, जिसका सभी लोगों ने विरोध किया। करीब 11 बजे पुलिस ने सुरजीत भवन के गेट को बैरिकेड कर दिया था और किसी को भी अंदर नहीं आने दे रही थी। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी लोगों का कहना था कि यह सेमिनार में भागीदारी करने वालों के सार्वजनिक विषयों पर बहस और बैठक करने के बुनियादी अधिकारों का सवाल है, जिसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए और पुलिस को सभास्थल से बाहर जाना होगा। कल की सभा में 400 से अधिक लोगों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। दिल्ली पुलिस की तमाम कोशिशें जब नाकाम हो गईं तो उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। 

तीसरे दिन के कार्यक्रम को रद्द करते हुए आयोजकों ने अपने बयान में कहा है कि तमाम अग्रणी कार्यकर्ताओं एवं राजनीतिज्ञों ने इस हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश लगाने का दूसरा उदहारण बताते हुए, इसे देश को पुलिस राज में तब्दील किये जाने का सूचक करार दिया है। इन परिस्थितियों में हम 20 अगस्त के अपने कार्यक्रम को रोककर सेमिनार की घोषणाओं का पाठ कर सम्मेलन की समाप्ति कर रहे हैं।

(रविन्द्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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