12 जनवरी से जेल में बंद नवदीप को मिली ज़मानत, पुलिस पर यातना देने का लगाया आरोप

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुवार 26 फरवरी को दलित लेबर एक्टिविस्ट नवदीप  कौर को जमानत दे दी। कौर के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें से एक मामले में उन्हें जमानत दी गई है, दो में पहले ही जमानत मंजूर हो चुकी है। जस्टिस अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने उनकी जमानत याचिका और उनके मामले में दर्ज एक स्वतः संज्ञान पर सुनवाई करते हुए उन्हें जमानत दे दी।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 12 फरवरी को हरियाणा पुलिस द्वारा 23 वर्षीय श्रमिक कार्यकर्ता नवदीप कौर (मजदूर आदिवासी संगठन की एक सदस्य) के कथित अवैध कारावास का संज्ञान लिया था। जस्टिस अरुण कुमार त्यागी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि हरियाणा पुलिस द्वारा दलित लेबर एक्टिविस्ट नवदीप कौर के अवैध कारावास के बारे में 6 फरवरी 2021 और 8 फरवरी 2021 को शिकायतें ई-मेल के माध्यम से प्राप्त हुई हैं। नवदीप  कौर 12 जनवरी से जेल में बंद थीं।

नवदीप ने भी आरोप लगाया है कि उनका मेडिकल परीक्षण नहीं कराया गया, जो क्रिमनल प्रोसीजर एक्ट की धारा 54 का उल्लंघन है। सरकार की ओर से उसके सहयोगी शिवकुमार की मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई है, जिस पर वही आरोप हैं, जो नवदीप कौर पर हैं। नवदीप कौर को 12 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, जब वह दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डर पर कुंडली में श्रमिकों के एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। अधिक पारिश्रमिक की मांग करने के लिए प्रदर्शन उसी समय हो रहा था, जब तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन भी जारी था। महीनों से जारी किसान आदोलन में शिरकत करने वाले बहुत से किसान कुंडली में भी डेरा डाले हुए हैं।

नवदीप कौर की गिरफ्तारी के बाद उन पर बहुत से आरोप लगाए गए, जिनमें हत्या, जबरन वसूली, चोरी, दंगा-फसाद करने, गैरकानूनी जमावड़े में शामिल होने तथा डराने-धमकाने के आरोप शामिल हैं। हरियाणा की करनाल जेल में बंद नवदीप  कौर पंजाब के मुक्तसर की रहने वाली हैं। उन्हें बाद में जबरन वसूली और डराने-धमकाने के आरोप वाले दो मामलों में ज़मानत मिल गई।

नवदीप कौर सोनीपत के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में एक कंपनी में काम करती रही हैं, और उनका दफ्तर दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर है, जहां दो महीने से भी ज़्यादा वक्त से किसान लगातार कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। नवदीप की बहन राजवीर कौर ने आरोप लगाया है कि नवदीप को पुलिस स्टेशन में पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा पीटा गया और यहां तक कि उस पर यौन अपराध भी किए गए। उनेके निजी अंगों में चोटें हैं। कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मज़दूरों और किसानों की एकता से डर गई है।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट में हरियाणा पुलिस ने कहा कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं कि नवदीप कौर को गलत तरीके से फंसाया गया और मनमाने तरीके से उन्हें हिरासत में रखा गया। कोर्ट कौर के कथित अवैध हिरासत मामले की सुनवाई कर रही थी। पहले हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। सोनीपत के पुलिस उपाधीक्षक के माध्यम से दाखिल जवाब में हरियाणा पुलिस ने दावा किया कि पूछताछ के दौरान नवदीप कौर ने कहा कि उसने अपने सहयोगियों शिव कुमार, सुमित, आशीष और साहिल के साथ मजदूर अधिकार संगठन बनाया और फैक्ट्री मालिकों से मजदूरों को वेतन दिलाने में वे अपना कमीशन लेते हैं और मालिकों से धन की उगाही भी करते हैं।

पुलिस ने उनके साथ मारपीट के आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि उन्हें थाने में महिला प्रतीक्षा कक्ष में रखा गया, जहां दो महिला पुलिसकर्मी भी मौजूद थीं। थाने से उसे उसी दिन मेडिकल जांच के लिए सोनीपत सिविल अस्पताल ले जाया गया था। पुलिस ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि उसकी न केवल सामान्य मेडिकल जांच कराई गई बल्कि महिला डॉक्टर द्वारा विशेष मेडिकल जांच भी कराई गई थी।

यह कहते हुए कि उन्हें किसान आंदोलन के पक्ष में बड़े पैमाने पर समर्थन जुटाने में सफल होने के कारण निशाना बनाया गया और झूठे मामले में फंसाया गया है, नवदीप कौर ने जमानत याचिका (पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष दायर) में दावा किया था कि उन्हें पीटा गया है और प्रताड़ित किया गया है। उन्हें कई चोटें लगीं हैं। जमानत याचिका में उन्होंने यह भी दावा किया है कि उन्हें गिरफ्तार करने के बाद, पुलिस अधिकारी उन्हें किसी महिला पुलिस अधिकारी के बिना ही पुलिस स्टेशन ले गए और उन्हें बुरी तरह से पीटा गया। जमानत याचिका में कहा गया था कि उन्हें एक प्राथमिकी, जिसे आईपीसी की 307 (हत्या का प्रयास) सहित विभिन्न धाराओं में दर्ज किया गया था, में झूठे तरीके से आरोपी बनाया गया था।

जमानत याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्हें निशाना बनाया गया है, ताकि श्रमिकों का जुटाया न जा सके, क्योंकि उनका संगठन किसानों के समर्थन में भीड़ जुटाने में सफल रहा और इससे प्रशासन में खलबली मच गई। मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के निर्देशों के बाद भी, उन्हें कई दिनों तक चिकित्सीय परीक्षण के लिए पेश नहीं किया गया। पुलिस अधिकारियों द्वारा लगाए गए तथ्यों के अनुसार धारा 384 के तहत अपराध नहीं किया गया ‌था। पुलिस स्टेशन में हिरासत के दौरान, उन्हें प्रताड़ित किया गया और उन्हें खाली कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रताड़ित किया गया।

नवदीप कौर, मजदूर अधिकार संगठन की सदस्य हैं और सोनीपत पुलिस ने 12 जनवरी को उन्हें हत्या करने के प्रयास, दंगा करने और एक लोक सेवक को ड्यूटी से रोकने के लिए हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया। स्थानीय अदालत ने दो तारीख को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सोनीपत पुलिस ने बयान जारी किया कि एक पुलिस टीम कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में गई थी, जब उन्हें एक औद्योगिक इकाई के प्रबंधन और कर्मचारियों की कथित मारपीट की सूचना मिली थी। पुलिस के अनुसार, नवदीप और उनके सहयोगियों ने पुलिस पर लाठी से हमला किया, जिससे सात कर्मी घायल हो गए। घटना के बाद, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन उनके साथी भागने में सफल रहे।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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