पठानकोट एयरबेस पर हमले में नया खुलासा, भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों ने की थी मदद

पठानकोट एयरबेस पर 2016 में हुए आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। एक किताब स्पाई स्टोरीज़: इनसाइड द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ़ द आरएडब्ल्यू एंड द आईएसआई” ने दावा किया है कि भ्रष्ट स्थानीय पुलिस अधिकारियों की मदद से आतंकवादी एयरबेस में घुसने में सफल हुए और पूरे देश को झकझोर देने वाली इस घटना को अंजाम दिया। किताब ने दावा किया है कि उनमें से एक ने नो-सर्विलांस स्पॉट की पहचान की। इसी का इस्तेमाल हमलावरों ने गोला-बारूद, ग्रेनेड, मोर्टार और एके-47 एयरबेस के अंदर लेने जाने के लिए किया। यह दावा पत्रकार एड्रियन लेवी और कैथी स्कॉट-क्लार्क ने किया है।

इस खुलासे से पूरे देश की निगाह एक बार फिर आतंकियों की मदद करते गिरफ्तार डीएसपी देविंदर सिंह की ओर चली गयी है जिसके खिलाफ कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में एनआईए ने दावा किया है कि देविंदर सिंह मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के संपर्क में था। जांच से पता चला कि संवेदनशील जानकारी लेने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसे तैयार किया था।

दो विदेशी पत्रकारों लेवी और कैथी ने अपनी किताब में दावा किया है कि स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने ही आतंकवादियों से साठगांठ करके उस जगह का पता लगाया था जहां से सुरक्षा में तैनात सैनिकों से नजर बचाकर वायुसेना के कैंपस में घुसा जा सकता था। उन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों ने जगह की रेकी करके आतंकवादियों को ग्रीन सिग्नल दिया था। गौरतलब है कि पाकिस्तानी हथियारबंद आतंकियों ने 2 जनवरी, 2016 को पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमला किया था।

‘स्पाइ स्टोरीज: इनसाइड द सिक्रेट वर्ल्ड ऑफ द रॉ एंड आईएसआई’ का प्रकाश ‘जगरनॉट’ ने किया है। पत्रकारों ने इसमें दावा किया है कि पठानकोट के पुलिस अधिकारियों ने ही सुनसान रास्ते की पहचान की थी जिसका इस्तेमाल आतंकवादियों ने आयुध, ग्रेनेड, मोर्टार और एके-47 छुपाकर रखने के लिए किया था।

भारतीय सेना की वर्दी पहने बंदूकधारियों का एक दल भारत-पाकिस्तान पंजाब सीमा पर रावी नदी से होते भारत के हिस्से की तरफ आया और यहां कुछ वाहनों पर कब्जा कर पठानकोट वायु सेना की तरफ बढ़ गया। इसके बाद एक दीवार को पार करते हुए वो आवासीय परिसर की तरफ बढ़े और यहीं पहली गोलबारी शुरू हुई। चार हमलावर मारे गए और भारतीय सुरक्षा बल के तीन जवान शहीद हो गए। इसके एक दिन बाद आईईडी विस्फोट में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए। सुरक्षाबलों को यह आश्वस्त होने में तीन दिन का समय लगा कि अब स्थिति उनके नियंत्रण में है।

लेखकों ने दावा किया कि भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान पर इसको लेकर दबाव बनाकर युद्ध की धमकी दी। उन्होंने लिखा, ‘लेकिन संयुक्त खुफिया आंतरिक जांच बड़ी ईमानदारी से की गई। इसमें यह स्वीकार किया गया कि लगातार आगाह किए जाने के बाद भी’ सुरक्षा के कई महत्वपूर्ण कारक नदारद थे। पंजाब की 91 किलोमीटर से ज्यादा की सीमा पर बाड़ नहीं लगाई गई थी। उन्होंने कहा, ‘कम से कम चार रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया था कि नदियां (और सूखे नाले) संवेदनशील स्थल हैं लेकिन वहां कोई जाल नहीं लगाया गया। छह लिखित आग्रह के बाद भी वहां अतिरिक्त गश्त नहीं रखी गई। निगरानी तकनीक और गतिविधियों पर ध्यान रखने वाले उपकरण नहीं लगाए गए।

इसमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक अधिकारी को यह बताते हुए जिक्र किया गया कि सीमा की रक्षा करने वाले सुरक्षा बल की संख्या जमीन पर कम है क्योंकि इसने कश्मीर में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी और अतिरिक्त कर्मियों की उसकी मांग के आग्रह को बार-बार नजरअंदाज किया गया। पठानकोट हमले के बारे में पत्रकारों ने लिखा कि आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने 350 किलोग्राम विस्फोटकों के लिए भुगतान किया था लेकिन इनकी खरीद भारत में हुई और इसे मुहैया कराने वाले भारत में आतंकवादियों की प्रतीक्षा कर रहे थे।

इसमें कहा गया है कि भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों समेत अन्य भारतीय सहयोगियों पर आतंकवादियों के लिए अड्डे की छानबीन करके रखने का संदेह था। इन भ्रष्ट अधिकारियों में से एक ने एक ऐसे क्षेत्र का पता लगाया जहां कई असुरक्षित बिंदु थे-फ्लडलाइट्स यहां नीचे थीं और सीसीटीवी कैमरे की कोई कवरेज नहीं थी। किसी भी तरह का कोई निगरानी उपकरण नहीं लगा था और परिसर की दीवार के बगल में एक बड़ा पेड़ था, जिसकी लिखित रिपोर्ट में सुरक्षा खतरे के रूप में पहचान की गई।’

इस मामले की जांच करने वाले इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने लेखकों को बताया कि भ्रष्ट पुलिस अधिकारी या उनके एक सहायक ने दीवार फांदकर वहां एक रस्सी लगा दी। आतंकवादियों ने इसका इस्तेमाल 50 किलोग्राम गोला-बारूद, 30 किलोग्राम ग्रेनेड, मोर्टार और एके-47 को पहुंचाने में किया।

2 जनवरी, 2016 को भारतीय सेना की वर्दी पहने बंदूकधारियों का एक दल भारत-पाकिस्तान पंजाब सीमा पर रावी नदी को पार किया। भारत पहुंचने पर आतंकवादियों ने वाहनों का अपहरण कर लिया। इसके बाद वे पठानकोट वायु सेना के अड्डे की ओर बढ़ गए। इसके बाद एक दीवार को पार करते हुए सभी एक आवासीय परिसर की ओर भागे, जहां सुरक्षाबलों के साथ उनकी लड़ाई हुई। यहां चार हमलावर मारे गए और भारतीय सुरक्षा बलों के तीन सदस्य भी शहीद हो गए। अगले दिन एक आईईडी विस्फोट में चार और भारतीय सैनिक शहीद हो गए। सुरक्षा बलों को यह सुनिश्चित करने में तीन दिन लग गए कि वे नियंत्रण में वापस आ गए हैं।

दरअसल जम्मू-कश्मीर के कुलगाम से गिरफ्तार किए गए डीएसपी देवेंद्र सिंह के आतंकियों के साथ कनेक्शन की खबर ने हंगामा मचा दिया था। जम्मू-कश्मीर जैसी संवेदनशील जगह पर तैनात पुलिस का इतना बड़ा अधिकारी आतंकियों के साथ मिलकर बड़े हमले को प्लान कर रहा था।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के निलंबित डीएसपी देवेंद्र सिंह जम्मू में एक विशेष अदालत में दायर एनआईए एनआईए की 3,064 पन्नों की चार्जशीट में एजेंसी ने सिंह सहित पांच आरोपियों पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही चार्जशीट में प्रतिबंधित समूह के आतंकवादियों को आश्रय प्रदान करने में पुलिस अधिकारी की भागीदारी की पूरी जानकारी दी गई है।

चार्जशीट में कहा गया है कि हिज्बुल मुजाहिदीन के संपर्क में आने के बाद, सिंह को अपने पाकिस्तानी हैंडलर की तरफ से विदेश मंत्रालय में संपर्क बनाने के लिए कहा गया, ताकि वहां जासूसी गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके। एनआईए के अधिकारियों ने बताया हालांकि, सिंह को पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों के नापाक मंसूबे को पूरा करने में कामयाबी नहीं मिली।

जुलाई के पहले हफ्ते में दायर की गई चार्जशीट में सिंह और अन्य पर पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों और दिल्ली में पाक उच्चायोग के सदस्यों की मदद से भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया गया है। देवेंद्र सिंह के अलावा चार्जशीट में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर सैयद नवीद मुश्ताक उर्फ नवीद बाबू, उसके भाई सैयद इरफान अहमद के साथ ही ग्रुप के ओवरग्राउंड वर्कर इरफान शफी मीर, कथित सहयोगी रफी अहमद राठेर और लाइन ऑफ कंट्रोल टेडर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कारोबारी तनवीर अहमद वानी का नाम भी शामिल है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
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