बांग्लादेश: छह महीने जेल में रहेंगे नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस

नई दिल्ली। शांति नोबेल पुरस्कार विजेता और ग्रामीण टेलीकॉम के अध्यक्ष मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। मामला कथित तौर पर श्रम कानून के उल्लंघन का है जिसके लिए सोमवार 1 जनवरी, 2024 को उन्हें सजा सुनाई गई। यूनुस के साथ-साथ उनके तीन सहयोगियों को भी जेल की सजा सुनाई गई है।

वहीं माइक्रो-फाइनेंस अग्रणी के समर्थकों का दावा है कि यह सब प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ उनके कड़वे संबंधों का नतीजा है।

ढाका लेबर कोर्ट की जज शेख मेरिना सुल्ताना ने यूनुस और उनके तीन सहयोगी ग्रामीण टेलीकॉम के निदेशक और पूर्व प्रबंध निदेशक एमडी अशरफुल हसन और निदेशक मंडल के सदस्य नूरजहां बेगम और एमडी शाहजहां के खिलाफ फैसला सुनाया। हालांकि कोर्ट ने यूनुस और उनके तीनों सहयोगियों को 5,000 टका का बांड भरने के बाद एक महीने की जमानत दे दी है।

यूनुस और उनके सहयोगियों के खिलाफ बांग्लादेशी कानून के अनुसार मजदूरों के बीच कंपनी के कुल प्रॉफिट का 5 प्रतिशत वितरित करने में विफलता, 101 स्टाफ सदस्यों को नियमित करने और सार्वजनिक छुट्टियों के लिए कर्मचारियों को मुआवजे देने का आरोप है।

यूनुस के वकील अब्दुल्ला अल मामून ने ‘द टेलीग्राफ’ को फोन पर बताया कि “मेरे मुवक्किल को सजा देने के लिए उसके खिलाफ तीन धाराएं लगाई गईं और उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की गई। यह गलत फैसला है। हम 30 दिनों के भीतर श्रम अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील करेंगे।“

यूनुस के कुछ सहयोगियों जिन्हें माइक्रो-क्रेडिट के जरिये गरीबों खास तौर पर महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए किए गए काम और ग्रामीण बैंक के संस्थापक के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है ने शिकायत की कि हसीना सरकार उनकी छवि बिगाड़ने के लिए उनके पीछे पड़ी थी।

हालांकि, यूनुस और उनके सामाजिक व्यवसाय उद्यमों का विरोध करने वालों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। इस बीच बांग्लादेश में यूनुस की सजा राजनीतिक मुद्दा बनकर टीवी चैनलों पर छाई हुई है।

विपक्षी पार्टियां भी युनूस की सजा को शेख हसीना के खिलाफ इस्तेमाल कर रही हैं। बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रुहुल कबीर रिज़वी ने एक अज्ञात स्थान से वर्चुअल न्यूज कॉन्फ्रेंस में कहा कि, “हम इस फैसले की निंदा करते हैं, जो गणभवन (हसीना का आधिकारिक निवास) के निर्देश के बाद दिया गया है।”

उन्होंने कहा कि “यह अवामी लीग शासन की बदले की राजनीति है। डॉ. यूनुस बांग्लादेश का गौरव हैं, लेकिन यह सरकार उनके जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्ती को परेशान करने पर तुली हुई है।’

हालांकि, अभियोजन पक्ष का कहना है कि यूनुस के खिलाफ एक ठोस मामला था और अदालत ने अपने तर्कों की योग्यता के आधार पर फैसला सुनाया था।

मुख्य अभियोजक खुर्शीद आलम खान ने द टेलिग्राफ को बताया कि “यूनुस ने देश के श्रम कानूनों का उल्लंघन किया है। इससे पहले, कारखानों और प्रतिष्ठानों के निरीक्षण विभाग ने उन्हें अपनी सभी गलतियों को सुधारने के लिए दो अवसर दिए थे। लेकिन मामला अदालत तक पहुंच गया क्योंकि उन्होंने गलतियां नहीं सुधारीं।”

युनूस को जेल की सजा के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह फैसला एक कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ था। उन्होंने कहा, “यह कानून सभी बांग्लादेशियों पर समान रूप से लागू होता है।”

यूनुस पर पहले टैक्स चोरी का आरोप लगाया गया था और उन्होंने जुर्माना देकर मामला सुलझा लिया था। ऐसा माना जाता है कि उनका प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ कोई व्यक्तिगत मुद्दा था। हसीना सरकार ने उन्हें देश के सेवानिवृत्ति आयु नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में 2011 में ग्रामीण बैंक के प्रमुख के पद से हटा दिया था।

हालांकि दुनिया उन्हें बांग्लादेश में गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों के उद्धारकर्ता के रूप में जानती है लेकिन हसीना अक्सर उन पर गरीबों का “खून चूसने” का आरोप लगाती थीं।

वहीं पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून सहित 160 वैश्विक हस्तियों ने यूनुस के “निरंतर न्यायिक उत्पीड़न” की निंदा की है। 100 से अधिक साथी नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने कहा कि उन्हें “उनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता” का डर है।

हसीना प्रशासन के कई सूत्रों का कहना है कि यूनुस ने अपनी छवि को बढ़ावा देने और बांग्लादेश को बदनाम करने के लिए पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका में अपने संबंधों का इस्तेमाल किया था।

वरिष्ठ पत्रकार नईमुल इस्लाम खान ने ‘द टेलिग्राफ’ को बताया कि बांग्लादेश के बाहर यूनुस की छवि और देश में उन्होंने जो किया उसके बीच एक अंतर था।

(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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