सिस्टम पर सवाल उठाने से बौखलाई बिहार सरकार: सलाखों के पीछे पहुंचे पप्पू यादव!

पटना। राजधानी स्थित आवास से राष्ट्रीय जनाधिकार पार्टी के मुखिया राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को गिरफ्तार कर पुलिस गांधी मैदान थाना ले गई। उनकी गिरफ्तारी से एक बार फिर बिहार में राजनीति गरमा गई है। नीतीश सरकार के सहयोगी हम के मुखिया और मुख्यमंत्री जीतन राम माझी तथा मुकेश साहनी ने गिरफ्तारी की आलोचना की है। हालांकि प्रमुख विपक्षी दल के तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पप्पू की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठता है कि कोरोना काल में बिहार सरकार व केंद्र की नाकामियों को उजागर करने की सजा उन्हें मिली है या लॉकडाउन को लेकर निर्धारित प्रोटोकॉल के उल्लंघन करने पर यह कारवाई हुई है। फ़िलहाल चर्चा है कि उंन पर दर्ज पुराने मामलों की भी फाइलें खंगाली जा रही हैं । इस क्रम में मधेपुरा के एक मामले में कोर्ट द्वारा वारंट जारी किए जाने की बात भी सामने आई है।

 कोरोना महामारी काल में जहां सत्ता से लेकर विपक्ष तक के अधिकांश नेता लोगों की मदद के लिए आगे आने के बजाय अपने घरों में कैद हैं, तो वहीं पप्पू यादव पटना के अस्पतालों से लेकर शमशान घाट तक  मदद के लिए कदम बढ़ाते नजर आए। सेवा की उनकी छवि सोशल मीडिया पर चर्चा में रहने के चलते सत्ताधारी दलों यहां तक कि प्रमुख विपक्ष के सिर पर बल आना स्वाभाविक है। तब इस क्रम में पप्पू की गिरफ्तारी से इन्हें राहत  मिली है तो  दूसरी तरफ महामारी से परेशान परिवार व आमजन में गिरफ्तारी को लेकर आक्रोश नजर आ रहा है। 

पप्पू यादव पर कार्रवाई को लेकर कयास तो पहले ही लगाया जाने लगा था  जब पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी के सारण जिले के अमनवर स्थित आवास पर 3 दर्जन एंबुलेंस छुपाकर रखने का मामला वीडियो जारी कर राष्ट्रीय जन अधिकार पार्टी के मुखिया ने उजागर करते हुए करवाई की मांग की थी । एंबुलेंस का सवाल उस समय सामने लाया , जब देश भर  में ऑक्सीजन के साथ एंबुलेंस संकट व चालकों द्वारा मनमाना किराया वसूलने की शिकायतें सामने आ रही हैं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से दो किलोमीटर का किराया 4 हज़ार रुपए लेने पर खूब हंगामा हुआ था। कबीर चौरा निवासी 25 वर्षीय हिमांशु की तबीयत बिगड़ने पर 2 किलोमीटर दूर शुभम हॉस्पिटल जाने के लिए परिजनों से 4 हजार रुपए लेने,  गाजीपुर जिले के नंदगंज निवासी अफरोज खान के पिता के शव को बनारस से गाजीपुर ले जाने का किराया 12 हजार रुपए एंबुलेंस चालक ने ली। उधर यूपी के मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में मन माना किराए वसूली की बात अभी भी आ रही है । दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मन माना किराया एंबुलेंस चालकों द्वारा वसूलने की खबरें मीडिया में लगातार चर्चा में है। ऐसे में ऑक्सीजन के साथ एंबुलेंस भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। ऐसे वक्त पर सारण में तीन दर्जन से अधिक एंबुलेंस मिलने के मामले में भाजपा की सर्वाधिक किरकिरी हुई है। इस पर बौखलाए पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी ने इसका खामियाजा महंगा पड़ने तो दूसरी तरफ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संवित पात्रा ने अंजाम भुगतने की धमकी दी थी। बाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री के लोगों ने मुकदमा भी दर्ज कराया था। ऐसे में सुबह पप्पू यादव की गिरफ्तारी के पीछे बीजेपी- जदयू का खेल बताया जा रहा है।

हालांकि नीतीश सरकार के साझेदार पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गिरफतारी पर नाराजगी जताते हुए कहा, ‘कोई जनप्रतिनिधि यदि दिन-रात जनता की सेवा करे और उसके ऐवज़ में उसे गिरफ़्तार किया जाए ऐसी घटना मानवता के लिए ख़तरनाक है।’ नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश साहनी ने भी इस मामले में जीतनराम मांझी की ही तरह प्रतिक्रिया जताई है। मुकेश ने ट्वीट किया, ‘जनता की सेवा ही धर्म होना चाहिए। पप्‍पू यादव को गिरफ्तार करना असंवेदनशील है।’

इस बीच बताया जा रहा है कि पप्पू यादव के खिलाफ मधेपुरा के कुमारखंड थाना कांड संख्या 9/89 दर्ज था जिसको लेकर कोर्ट ने वारंट जारी किया है। ये समन मार्च 22 को 2021 में न्यायालय द्वारा जारी किया गया है। मधेपुरा पुलिस कुमारखंड थानाध्यक्ष ने इसकी पुष्टि की है कि मधेपुरा पुलिस पटना जा रही है और उनको पटना से मधेपुरा लाया जाएगा।  कोर्ट से वारंट के मामले में गिरफ्तारी की बात भले ही नीतीश सरकार कहे पर कारवाई के पीछे सत्ता का खेल होने की बात चर्चा में सोशल मीडिया पर बना हुआ है।

(पटना से जनचौक संवाददाता जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट।)

जितेंद्र उपाध्याय
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