वित्तमंत्री जी! पर्यटन से जुड़े लोगों को लोन नहीं, आर्थिक मदद चाहिए

कोविड-19 और लंबी मियाद तक चले लॉकडाउन के चलते देश का टूरिज्म उद्योग बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने आज 28 जून सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोविड महामारी से प्रभावित टूरिज्म सेक्टर को उबारने के लिये मोदी सरकार की रणनीतियों का खुलासा किया। मोदी सरकार ने इससे रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाइड और ट्रेवल टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स को राहत मिलने की उम्मीद जतायी है। 

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कान्फ्रेंस में एलान किया है कि उनकी सरकार लाइसेंसधारी टूरिस्ट गाइड को एक लाख रुपये और टूरिस्ट एजेंसी को 10 लाख रुपये का लोन देगी। इस लोन को 100 फीसदी गारंटी दी जाएगी। साथ ही, किसी भी तरह का प्रोसेसिंग चार्ज नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा 31 मार्च 2022 तक या भारत आने वाले पहले पांच लाख पर्यटकों को वीजा शुल्क भी नहीं देना होगा। लोन देने की घोषणा करते हुये वित्तमंत्री ने रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाइड और ट्रेवल टूरिज्म स्टेकहोल्डर्स को राहत मिलने की उम्मीद जतायी है।

 लोन नहीं मदद चाहिये

“हमें लोन नहीं आर्थिक मदद चाहिये।”- ये कहना है नई दिल्ली स्टेशन के अजमेरी गेट साइड पर टूरिस्ट एजेंसी चलाने वाले अवधेश मिश्रा का। अवधेश मिश्रा बताते हैं कि वह डेढ़ साल से घर बैठे हैं। दो बच्चे पढ़ रहे हैं। दिल्ली में रहने, खाने, रेंट का खर्च है सो अलग। मोदी सरकार ने आपको लोन देने की घोषणा की है आपको तो खुश होना चाहिये। इस पर प्रतक्रिया देते हुये अवधेश मिश्रा कहते हैं कि हमें रोटी चाहिये, आर्थिक मदद चाहिये लोन नहीं। लोन लेकर हम क्या करेंगे। जब कमाई ही नहीं होगी तो वापस कैसे करेंगे। लोन की ईएमआई कैसे चुकायेंगे। वैसे भी लोन लेना एक लंबी प्रक्रिया है। इतनी आसानी से लोन भी नहीं मिलने वाला है। सरकार के एलान करने में क्या जाता है।

अवधेश मिश्रा आगे बताते हैं कि सरकार की लोन पेशकश सिर्फ़ रजिस्टर्ड टूरिस्ट एजेंसी और रजिस्टर्ड गाइड के लिये है। जबकि इस उद्योग में रजिस्टर्ड से ज़्यादा गैर रजिस्टर्ड लोग काम करते हैं। पर्यटन उद्योग चौपट होने का ख़ामियाजा सिर्फ़ टूरिस्ट गाइड व एजेंसी ही नहीं बल्कि हैंडीक्राफ्ट का काम करने वाले, टूरिस्ट वाहन चलाने वाले ड्राईवर, होटल में काम करने वाले लोग, किराये पर कमरे देने वाले स्थानीय लोग सब प्रभावित हुये हैं। सरकार का ये कथित लोन मदद दरअसल जले पर नमक छिड़कना है और कुछ नहीं। सरकार को मदद ही करना था तो टूरिस्ट उद्योग से जुड़े लोगों के बैंक खातों में कुछ राशि हर महीने भेजने की उपाय करती। टूरिज्म से जुड़े लोगों की ईएमआई व लोन माफ कर देती, उन्हें राशन किट जारी करती, उनके बच्चों की स्कूल फीस और इलाज के बाबत कुछ करती।   

आर्थिक प्रभाव

 पर्यटन उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी व्यापक प्रभाव पड़ता है और ये उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वर्ष 2019 में भारत के पर्यटन उद्योग ने देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में तकरीबन 9.3 प्रतिशत का योगदान दिया था और कुल निवेश में इसका 5.9 प्रतिशत हिस्सा था।

पर्यटन उद्योग पर महामारी के प्रभाव के कारण गरीबी (SDG 1) और असमानता (SDG 10) में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, इसके अलावा वैश्विक स्तर पर प्रकृति और सांस्कृतिक संरक्षण से संबंधित प्रयासों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कोरोना महामारी ने सतत विकास लक्ष्यों  (SDGs) की प्राप्ति की गति को भी काफी धीमा कर दिया है।

पर्यटन उद्योग पर महामारी के प्रभाव के कारण सांस्कृतिक क्षेत्र में विरासत संरक्षण के प्रयासों और समुदायों, विशेष रूप से स्वदेशी लोगों और जातीय समूहों के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने पर काफी दबाव पड़ता है। उदाहरण के लिये, हस्तशिल्प उत्पादों और कढ़ाई-बुनाई से संबंधित उत्पादों के बाज़ार बंद होने के कारण ग्रामीण लोगों खास तौर पर स्वदेशी महिलाओं के राजस्व पर काफी प्रभाव पड़ा है। 

आजीविका का संकट 

पर्यटन उद्योग महिलाओं, ग्रामीण समुदायों और अन्य वंचित समूहों के लिये सदैव से ही आय का एक प्रमुख स्रोत रहा है, ऐसे में इस उद्योग पर महामारी के प्रभाव के कारण इन लोगों के समक्ष भी आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है। 

आँकड़ों के अनुसार, भारत के पर्यटन उद्योग ने कुल 42 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान किया है, जो कि भारत में कुल रोज़गार के अवसरों का लगभग 8.1 प्रतिशत है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह क्षेत्र लाखों लोगों को गुणवत्तापूर्ण रोज़गार प्रदान करने में सक्षम है, जो कि भारत जैसे देश के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, जहाँ 72 प्रतिशत जनसंख्या 32 वर्ष से कम उम्र की है और औसत आयु 29 वर्ष है।

गौरतलब है कि भारत में पर्यटन क्षेत्र के संबंध में अद्भुत विविधता दिखाई पड़ती है। भारत में कुल 38 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद हैं, जो कि भारत को पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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