ग्राउंड रिपोर्ट: दिल्ली में भारी जल-जमाव, रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पानी में चलकर जाते हैं लोग

दिल्ली। मॉनसून ने देश के उत्तरी भाग में बहुत ज्यादा तबाही मचायी है। इस बात के प्रमाण सोशल मीडिया पर भी देखने को मिले हैं। लेकिन इस बारिश और दिल्ली में आई बाढ़ ने उन तबके के लोगों को सबसे ज्यादा कष्ट दिया है जो दिहाड़ी मजदूर हैं और झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं और रोज की मजदूरी से कमाते खाते हैं। दिल्ली में अभी भी कुछ इलाकों में यमुना का पानी सड़कों पर जमा हुआ है और उन इलाकों में फैला हुआ है जहां पर गरीब मेहनतकश जनता अपनी झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहती है।

लाल किला के करीब एक जगह है, जिसका नाम यमुना बाजार है। इस इलाके में पिछले 4 दिनों से पानी भरा हुआ है। ये इलाका यमुना घाट से नजदीक है इसलिए इस जगह पर पानी का जमाव बहुत ही ज्यादा है। स्थानीय लोगों की मानें तो इस स्थान पर एक वक्त जल का स्तर छाती से ऊपर था। पानी में चलकर अपने घर जाते संजय शर्मा बताते हैं कि एनडीआरएफ की जो टीम इस जगह पर तैनात की गई है वो अपना काम करने में नाकामयाब साबित हो रही है।

पानी में डूबा हुआ दिल्ली का यमुना बाजार

एनडीआरएफ टीम की नाव लोगों की सहायता करने के लिए बनी है लेकिन 4 लोग ऐसे भी हैं जो नाव में बैठकर पानी में तफरी कर रहे हैं। कुछ इलाकों से अभी भी लोगों को निकाला जाना है लेकिन ये लोग वो फुर्ती नहीं दिखा रहे हैं जिसकी इनसे उम्मीद की जा रही है। इस जलभराव से सबसे बड़ी दिक्कत जो यहां के लोगों को हो रही है वो है ‘पेयजल का ना होना’। आगे जनचौक की टीम से बात करते हुए संजय शर्मा बताते हैं कि उन्होंने एनडीआरएफ की टीम से कहा की जहां पर लोग शरण लिए हुए हैं वहां पर कम से कम पेयजल की व्यवस्था कर दी जाये लेकिन वो भी मुमकिन नहीं हो सका है। 

नाव पर तफरी करते लोग

यमुना बाजार में पानी इस कदर जमा हुआ है कि लोग अपने खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए पानी में भीगकर दूसरे छोर तक पहुंच रहे हैं और फिर वहां आगे बढ़कर बाजार से सामान लेकर आते हैं। और फिर उसी तरह से पानी में भीग कर सामान लेकर अपने घर तक पहुंचते हैं।

सिस्टम को लेकर चिंतित असलम बताते हैं कि ‘इस पानी की वजह से कारोबार ठप पड़ा है। चार दिन से जमा हुए पानी को निकालने के लिए कोई व्यवस्था भी नहीं की जा रही है। एक मजदूरी करने वाले इंसान के लिए इससे बड़ी दिक्कत और क्या होगी कि वो कमा नहीं पा रहा है और ऐसे मुश्किल वक्त में अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहा है। ‘5 लोगों के परिवार में मैं अकेला कमाने वाला हूं।’ 

जनचौक के संवाददाता से बात करते हुए असलम

यमुना बाजार की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए जीवन मुश्किल से भरा हुआ है। यमुना के जल स्तर के बढ़ने से इन्हें रोजी-रोटी के लिए भी मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसी भयावह बाढ़ की स्थिति में जिसे जहां जगह मिल रही है वो वहां पर शरण ले रहा है। कुछ लोग मंदिर में रुके हुए हैं, कुछ लोग उसी पानी में भीगकर किसी दूसरे स्थान पर जाने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ लोग उसी पानी में रुकने के लिए मजबूर हैं।

इन्ही में से एक हैं राकेश कुमार जो मंदिर में रुके हुए पुजारियों के लिए रोजाना पेयजल लेकर जाते हैं। जनचौक से बात करते हुए वे बताते हैं कि ‘मैं त्रिनगर से पानी लेकर आ रहा हूं और मंदिर लेकर जा रहा हूं। मंदिर में बाबा रुके हुए हैं और उनमें से एक बाबा अपाहिज हैं उन्हीं के लिए पानी और खाना लेकर जा रहा हूं। इस भयावह स्थिति में इस तरह की निस्वार्थ सेवा ही मानव धर्म है और किसी न किसी को तो इसकी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।’ 

जनचौक से बात करते हुए राकेश

यमुना बाजार में रहने वाले युवा रौशन बताते हैं कि, ‘9 लोगों के परिवार में 4 लोग कमाने वाले हैं लेकिन जब से इस इलाके में पानी भरा है कोई काम पर नहीं जा पा रहा है। बस इस उम्मीद में हैं कि पानी कम हो तो काम पर निकला जाए। कहीं से किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिल रही है।’ सरकार की तरफ से दो नावें जनसुविधा के लिए लगाई गई हैं फिर भी आप पानी में भीग पैदल क्यों जा रहे हैं के सवाल का जबाव देते हुए रौशन बताते हैं कि ‘कोई लेकर जाने के लिए तैयार नहीं है, नाव पर बैठाने के लिए 600 रुपये मांगते हैं। इससे अच्छा तो तैर कर चले जाएंगे।’

हालांकि, यमुना बाजार जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया है और जब से इस इलाके में पानी भरा है वहां पर चलने वाले व्यवसाय भी पूरी तरह से बंद हैं। जिस वक्त यमुना में जल स्तर बढ़ा और पानी यमुना बाजार तक पहुंचा, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को इतना वक्त भी नहीं मिला कि वो अपने सामान को बचा सकें।

गोदाम से सामान निकालकर बाहर रखते लोग

कुछ लोगों का टेम्पू, ई-रिक्शा और रिक्शा भी चार दिन से पानी में डुबा हुआ है। जिनकी रोजी-रोटी इन गाड़ियों से चलती थी वो अपनी गाड़ी को पानी में छोड़े रखने के लिए बेबस हैं। इस वक्त वो पानी के कम होने का इंतजार कर रहे हैं कि “पानी कम हो तो अपने गाड़ी को निकालें और कमाकर परिवार का पेट भर सकें।”

यमुना बाजार निवासी निहाल चंद भारद्वाज बताते हैं कि, ‘मैं राम मंदिर में रहता हूं और वहां पर भी 10 फुट से ज्यादा पानी भरा हुआ है। अभी वहां पर 4-5 परिवार हैं जिन्होंने मंदिर में शरण लिया है। पहले वहां पर काफी लोग थे लेकिन पानी भरने की वजह से लोगों को वहां से निकलना पड़ा है। वहां से निकलकर लोग मोरी गेट या फिर अपने रिश्तेदारों के पास चले गये हैं। सरकार पानी निकालने के लिए कोई व्यवस्था करे, पंप लगाये वरना इसी तरह से निचले इलाकों में पानी भरा रहेगा।

(दिल्ली के यमुना बाजार से राहुल कुमार और आजाद शेखर की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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