पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बन गयी है केंद्र के लूट का नया हथियार

आज रात 12 बजे के बाद से आपको पेट्रोल पर लगभग 2.50 रुपये और डीजल की कीमत पर लगभग 2.30 रुपये प्रति लीटर ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। दरअसल वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी के मामले में 2014 वाली कहानी ही दोहरा रही हैं।

केंद्र में मोदी सरकार के आने से पहले मनमोहन सरकार के दौरान 1 अप्रैल 2014 को सेन्ट्रल एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर प्रति लीटर मात्र 9.48 रूपए और डीजल पर मात्र 3.56 रूपए थी। लेकिन मोदी सरकार ने आते ही इसमें ताबड़तोड़ बढ़ोतरी करनी शुरू कर दी। दो साल के भीतर ही मार्च 2016 तक पेट्रोल पर एक्साइज 126 प्रतिशत यानी 9.48 रूपए से बढ़कर 21.48 रूपए प्रति लीटर तक पहुंच गयी। डीजल में एक्साइज ड्यूटी तो और भी जबरदस्त तरीके से बढी़। दो साल के भीतर मार्च 2016 तक, डीजल पर एक्साइज 386 प्रतिशत, यानी करीब चार गुना बढ़कर, 17.33 रूपए प्रति लीटर तक पहुंच गयी।

पीपीएसी के आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2017 के बीच में तेल पर टैक्स से राज्यों की आमदनी जहां मात्र 21 प्रतिशत बढ़ी। वहीं इसी दौरान मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर तेल से अपनी कमाई 144 प्रतिशत बढ़ा ली। नवम्बर 2014 से लेकर जनवरी 2016 के बीच पेट्रोल-डीजल पर नौ बार एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी की गयी।
पेट्रोल, डीजल पर लगाए गए टैक्स से सरकार को हुई आमदनी के आंकड़े देखकर आप हैरान रह जाएंगे

2014-15: 3,32,619 करोड़
2015-16 : 4,13,824 करोड़
2016-17: 5,24,304 करोड़
2017-18: 5,53,013 करोड़
यानी मात्र 4 सालो में इससे कुल कमाई 18 लाख 23 हजार 760 करोड़ रुपये हुई है।

इस बार भी आते ही पेट्रोल, डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और सेस लगाकर जनता की कमाई को अपनी जेब में डालने का प्लान अमल में लाया गया है। लेकिन जनता इनके वास्तविक चरित्र को समझ ही नहीं पा रही है और मीडिया है कि ये सारे आंकड़े कभी बताता ही नहीं है।

(गिरीश मालवीय स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और आजकल इंदौर में रहते हैं।)

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