समझ में नहीं आता है कि इतनी भयंकर आपदा के समय भी देश के प्रधान सेवक इतना गैर जिम्मेदाराना और इतना अनर्गल झूठ राष्ट्र के नाम संबोधन में कैसे बोल जाते हैं।
हालांकि गनीमत रही कि आज प्रधानमंत्री जी ने देश के नागरिकों को ताली-थाली बजाने, घण्टी बजाने, दीया-बाती करने या मोमबत्ती जलाने जैसे अवैज्ञानिक और अनर्गल टास्क नहीं दिया लेकिन आज के संबोधन में उन्होंने जिस तरह से झूठ पर झूठ बोला उससे प्रधानमंत्री जैसे अहम पद की गरिमा का कोई मोल नहीं रह जाता है।
सबसे पहले तो प्रधानमंत्री जी ने कहा कि –
“जिस समय देश मे कोई कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण का मरीज नहीं मिला था उससे पहले से ही विदेशों से आने वाले यात्रियों का स्कैनिंग किया जाना शुरू कर दिया था”
प्रधानमंत्री जी का यह बयान न केवल कोरी बकवास है बल्कि बहुत ही ज्यादा हास्यास्पद भी है। पूरा देश जानता है कि
-भारत में पहला कोरोना केस 30 जनवरी 2020 को केरल में मिला,
– अहमदाबाद में नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम 24 फ़रवरी 2020 को हुआ,
– भारत में कोरोना से पहली मौत 9 मार्च 2020 को हुई,
– बीजेपी ने भोपाल से बेंगलुरु अपने विधायकों को 9 मार्च को भेजा,
– कोरोना को लेकर मध्य प्रदेश की विधानसभा 17 मार्च को स्थगित हुई,
– मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार 20 मार्च को धन बल के सामने विश्वास मत हासिल नहीं कर पाई,
– कोरोना से निपटने के लिए मोदी जी ने जनता कर्फ़्यू का ऐलान 22 मार्च को किया,
– शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश में 23 मार्च को नई सरकार का गठन किया
और इन तमाम कार्यक्रमों की समाप्ति के बाद प्रधानमंत्री जी को देश की सुध आई और तब 24 मार्च 2020 से पूरे देश में लॉक डाउन की घोषणा की गई।
इससे पहले भी चीन सहित विश्व के कई देशों में कोरोना की विभीषिका को देखते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी लगातार अपने ट्वीट के जरिए सरकार को कोरोना को लेकर सचेत करते रहे लेकिन संवेदनहीन सम्राट अपनी सियासत को साधने में जुटे रहे। इतना गम्भीर मसले को भी अनसुना कर अहमदाबाद में नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ गलबहियां करते रहे और मध्यप्रदेश में एक चुनी हुई सरकार को गिराने के सफल षड्यन्त्र में जुटे रहे। जब मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार का गठन हो गया तब जाकर नींद खुली। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, मजबूरन सरकार ने आनन-फानन में अनियोजित लॉक डाउन को जबरन देश की जनता पर थोप दिया। जिसका भीषण परिणाम तुरन्त देखने को मिला जब लाखों की संख्या में अप्रवासी मजदूर, गरीब, दिहाड़ी वाले सड़कों पर आ गए, पैदल ही लोग हजारों किलोमीटर दूर स्थित अपने घर की ओर कूच करने लगे।
जब राहुल गांधी सहित कई अन्य विपक्षी नेता सरकार को सचेत कर रहे थे उस समय संसद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन उनका न केवल मजाक उड़ा रहे थे, बल्कि एक गम्भीर आरोप विपक्ष पर मढ़ते हुए उन्होंने कहा था कि, “राहुल गाँधी देश का माहौल ख़राब कर रहे हैं, देश मे पैनिक सिचुएशन बना रहे हैं।”
कई केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता तो यह कह कर बेसुरा दम भर रहे थे कि -“भारत में 33 करोड़ देवी-देवता का निवास हैं, यहाँ कोरोना फटक भी नहीं सकता है।’
कोई कोरोना पछाड़ बजरंबली का हवाला दे रहा था, तो कोई गोमूत्र के सेवन से कोरोना को दूर कर रहा था तो कोई गोबर के लेप से कोरोना वायरस को औकात बता रहा था। कुल मिलाकर चारों तरफ घोर अवैज्ञानिकता और अज्ञानता का ऐसा आनंद लोक देखने को मिला जो वर्षों तक याद रखा जाएगा।
ख़ैर हम प्रधानमंत्री जी के बयान पर लौटते हैं…
चलिए प्रधानमंत्री जी की ही बात को मान लेते हैं कि- जब देश मे एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं था उससे पहले से ही देश मे स्कैनिंग की शुरुआत की जा चुकी थी।
लेकिन क्या वो ये बता सकते हैं कि
● जब स्कैनिंग पहले से हो रही थी तो देश मे कोविड-19 संक्रमित लोग आए कहां से ?
● क्या आप ये कह रहे हैं कि कोरोना वायरस का जन्म भारत में हुआ? और इसके मायने पता हैं आपको ?
● कहीं आप ये तो नहीं कहना चाहते कि कोविड-19 वायरस पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा फैलाया गया है?
माननीय मोदी जी,
अपनी अयोग्यता और अक्षमता को छुपाने के लिए झूठ का इतना विशाल महल खड़ा कर प्रधानमंत्री पद की गरिमा को गिराने की क्या जरूरत है ? माननीय यह देश बहुत सहिष्णु और उदार है, बेहतर होता कि अपनी गलती, अपनी अक्षमता और अयोग्यता को स्वीकार कर देश की जनता से माफी मांग लेते… यह देश आपको जरूर माफ कर देता।
(दयानंद स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं।)