पीएम मोदी मुख्य नहीं प्रतीकात्मक यजमान, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने किया खुलासा

नई दिल्ली। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए मंगलवार से अनुष्ठान प्रारम्भ हो चुका है, यह अनुष्ठान 22 जनवरी को पूर्ण होगा। सनातन परंपरा में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के लिए एक यजमान और आचार्य की जरूरत होती है। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए तो मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और 54 अर्चकों का दल काशी से अयोध्या पहुंच गए हैं। लेकिन मुख्य यजमान के नाम पर अभी तक संशय के बादल मंडरा रहे हैं। पहले घोषित किया गया था कि प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मुख्य यजमान पीएम नरेंद्र मोदी होंगे। लेकिन गोवर्धनमठ पुरीपीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती के विरोध के बाद अब पीएम मोदी की बजाय श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र मुख्य यजमान की भूमिका निभाएंगे, उनके साथ उनकी पत्नी ऊषा मिश्र भी अनुष्ठान में शामिल रहेंगी।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और संघ-भाजपा, मोदी-योगी सरकार पीएम मोदी के मुख्य यजमान से पीछे हटने पर चुप्पी साधे हैं। मुख्य अर्चक लक्ष्मीकांत दीक्षित ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आयोजन के मुख्य यजमान पीएम मोदी ही होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि बाकी दिनों के अनुष्ठान में पीएम मोदी क्यों नहीं रहेंगे? उनके स्थान पर संघ के पूर्व प्रचारक और वर्तमान में होम्योपैथिक डॉक्टर अनिल मिश्र को यजमान बनाने के पीछे की क्या मजबूरी है?

बात यहीं नहीं समाप्त होती है। खबरों के मुताबिक अब एक नहीं कुल 11 यजमान होंगे। मकर संक्रांति से ही राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े अनुष्ठान, यम, नियम और संयम की भी शुरुआत हो गई। आठ दिन तक सभी 11 यजमान 45 नियमों का पालन करते हुए कठिन तपस्या से गुजरेंगे। इसमें प्रायश्चित, गोदान, दशविध स्नान, प्रायश्चित क्षौर और पंचगव्यप्राशन भी किया जाएगा। इन नियमों का पालन करते हुए यजमान दंपती इस अनूठे धार्मिक अनुष्ठान को संपन्न कराने योग्य बनेंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से सभी यजमानों को 45 विधि-विधान और नियमावली उपलब्ध कराई गई है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही यजमानों का संकल्प और अनुष्ठान भी पूर्ण होगा। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में 11 दंपती बतौर यजमान शामिल होंगे।

शंकराचार्य की नाराजगी मोदी पर पड़ी भारी या जाति-वर्ण की चुका रहे कीमत

अतीत में देश के कई मंदिरों में राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रियों और बड़े-बड़े पदों पर आसीन लोगों को दर्शन करने के लिए गर्भगृह में जाने से मना कर दिया गया। इस सूची में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, द्रौपदी मुर्मू और तमाम नाम शामिल हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शंकराचार्य के विरोध के चलते सनातन धर्म के पंडितों-पुरोहितों ने पीएम मोदी को मुख्य यजमान बनाने का अंदरखाने विरोध किया?

दरअसल, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मोदी के मूर्ति को छूने पर आपत्ति जताई थी, तो ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मंदिर का निर्माण पूरा होने के पहले ही उसका अभिषेक करना धार्मिक मान्यताओं का उल्लंघन बताया। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अपूर्ण मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा को धर्म-विरूद्ध बताने पर संघ-भाजपा खेमे में खलबली मच गयी। अब चारों शंकराचार्यों ने राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में जाने से मना कर दिया।

राम मंदिर उद्घाटन समारोह की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। कार्यक्रम ड्रामा में तब्दील होता जा रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस, सीपीएम का विरोध और भाजपा का समर्थन राजनीतिक है। लेकिन चारों पीठ के शंकराचार्यों का विरोध धार्मिक है। जहां पुरी के शंकराचार्य ने पीएम मोदी को इस अनुष्ठान को करने के अयोग्य माना, क्योंकि अनुष्ठान में सपत्नीक शामिल होना है, वहीं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य ने इसके मुहूर्त और अधूरे निर्माण को आधार बनाया।

संघ-भाजपा का कहना है कि शुभ मुहूर्त की वजह से ऐसा किया जा रहा है। लेकिन काशी के विद्वान पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने 22 जनवरी को 84 सेकंड का अभिजीत मुहूर्त बताया है। अब सवाल यह है कि प्राण प्रतिष्ठा पूजन लगभग 40 मिनट का होगा और शुभ मुहूर्त डेढ़ मिनट से भी कम का है। ऐसे में कौन अनुष्ठान पूरा होगा ?

पीएम मोदी नहीं हैं मुख्य यजमान

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर यह साबित हो चुका है कि पीएम मोदी अब मुख्य यजमान नहीं होंगे। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए मंगलवार को हुए प्रायश्चित पूजन में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने हिस्सा लिया। अब वे सात दिनों तक यजमान की ही भूमिका में रहेंगे।

प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले कर्मकांडी ब्राह्मणों और मुहूर्तकारों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास, संघ प्रमुख मोहन भागवत और अनिल मिश्र अपनी पत्नी के साथ मुख्य आयोजन के समय 22 जनवरी को गर्भगृह में उपस्थित रहेंगे। पीएम मोदी गर्भगृह में अपने हाथ से कुशा और श्लाका खींचेंगे। उसके बाद रामलला के प्राण प्रतिष्ठित हो जाएंगे। उस दिन वह भोग अर्पित करेंगे और आरती भी करेंगे। इससे भी साबित होता है कि पीएम मोदी अब मुख्य यजमान नहीं हैं। शंकराचार्यों का विरोध उनपर भारी पड़ गया।

सरकारी हलकों और संघ-भाजपा के लोगों द्वारा अब कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के पास एक सप्ताह तक चलने वाले अनुष्ठानों के लिए समय नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि यह सब अचानक नहीं हुआ है, पीएम मोदी के पास काशी और अयोध्या के संतों के साथ ही वैदिक विद्वानों की पूरी टोली है, ऐसे में यह कहना गलत है कि प्राण प्रतिष्ठा में लगने वाले समय का अंदाजा उन्हें नहीं था।

पीएम मोदी मुख्य नहीं प्रतीकात्मक यजमान

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास आठ दिनों तक चलने वाले धार्मिक अनुष्ठान में लगातार समय निकाल पाना संभव नहीं था। इसलिए ट्रस्ट की तरफ से यह निर्णय लिया गया था कि इस अनुष्ठान में सहयोगी के तौर पर किसी व्यक्ति को अनुष्ठान में यजमान के तौर पर हिस्सा लेने की अनुमति दी जाएगी। इसी विचार के तहत अनिल मिश्रा का नाम अनुष्ठान के लिए यजमान के तौर पर सामने आया। हालांकि प्राण प्रतिष्ठा का जो मुहूर्त 22 जनवरी 12:20 पर है, उस समय के मुख्य यजमान पीएम मोदी ही होंगे।

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

प्रदीप सिंह
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