बर्बर पुलिसिया लाठीचार्ज से हरियाणा की धरती हुई किसानों के खून से लाल

करनाल। हरियाणा के करनाल में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर आज दोपहर बर्बर लाठीचार्ज किया गया। कई दर्जन किसान घायल हो गए हैं और कुछ को फ़्रैक्चर हुआ है। इस घटना के विरोध में किसान बसताड़ा टोल प्लाज़ा पर जमा होना शुरू हो गए हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने किसानों से ज़्यादा से ज़्यादा तादाद में टोल प्लाज़ा पर पहुँचने की अपील की है। बच्चों और बुजुर्गों से सड़कों पर आने का आह्वान किया गया है।

किसान यहाँ भाजपा की बैठक का विरोध करने के लिए जमा हुए थे। किसानों ने विरोध-प्रदर्शन की घोषणा पहले से कर रखी थी, इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने संघर्ष टालने के लिए बचाव का रास्ता नहीं अपनाया। 

किसान बहुत पहले से ही भाजपा की बैठकों और हरियाणा के मंत्रियों का विरोध कर रहे हैं। इसी का नतीजा था कि हरियाणा के 7 ज़िला मुख्यालयों पर इस बार 15 अगस्त को कोई मंत्री झंडा नहीं फहरा सका। 

करनाल शहर के लोग आज उस वक्त बंधक नज़र आए जब करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आने का कार्यक्रम रखा गया। करनाल की सीमाओं पर ट्रक खड़े करके उन्हें चेन से बांध दिया गया। शहर में ऐसी बैरिकेडिंग कर दी गई कि लोगों का घरों से निकलना मुहाल हो गया। किसानों ने विरोध प्रदर्शन की घोषणा पहले से कर रखी थी। आज दोपहर को जब किसान बसताड़ा टोल प्लाज़ा पर शांतिपूर्ण ढंग से ट्रैफ़िक रोक रहे थे, उस समय पुलिस ने बेरहमी से किसानों को पीटना शुरू कर दिया। चारों तरफ़ खून ही खून नज़र आने लगा। किसानों का आरोप है कि कुछ लोग जो सिविल ड्रेस में थे, उन्होंने भी किसानों पर हमले किये। ये कौन लोग थे, इनके बारे में कोई नहीं जानता।

इस घटना के बाद किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने अपने दूसरे बयान में कहा कि करनाल में प्रशासन द्वारा भयंकर लाठी चार्ज किया गया। सभी किसान साथियों ने अनुरोध है बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी सड़कों पर उतर आएँ अपने नज़दीक लगते टोल प्लाज़ा और सभी रोड़ जाम कर दें…।

रणनीतिक लाठीचार्ज 

हरियाणा में किसान आंदोलन को कुचलने के लिए हरियाणा सरकार बहुत लंबे समय से रास्ता देख रही थी। दरअसल, हरियाणा के गाँवों में मंत्रियों की बंद एंट्री और किसी कार्यक्रम का न हो पाने को मुख्यमंत्री खट्टर की अक्षमता मान लिया गया। दिल्ली की सीमा पर बैठे पंजाब -हरियाणा के किसान दरअसल हरियाणा की सीमा में हैं। उनकी मौजूदगी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की नाक कट रही है। इसलिए खट्टर पर इस आंदोलन को हर हालत में तोड़ने या कुचलने का दबाव है। हरियाणा के मंत्री अनिल विज केंद्रीय भाजपा नेताओं से मिलकर इसे खट्टर की अक्षमताओं में गिनाने लगे थे। पिछले दिनों खट्टर ने चंडीगढ़ बुलाकर कुछ किसान नेताओं का आदर सत्कार किया था लेकिन उससे भी आंदोलन में टूट नहीं पड़ी।

आज का लाठीचार्ज किसानों को सबक़ सिखाने के मक़सद से किया गया लगता है। किसानों की आज टोलप्लाजा पर संख्या कम थी। इसी का फ़ायदा उठाकर इस हरकत को अंजाम दिया गया। खट्टर, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और बाक़ी मंत्री इस बात पर ख़ासे तिलमिलाए हुए हैं कि वे गाँवों में कोई कार्यक्रम नहीं कर पा रहे हैं। दुष्यंत चौटाला को अपने चंडीगढ़ आवास पर अपने ज़िले के किसानों को बुलाकर उनकी समस्याएँ सुननी पड़ रही हैं। खट्टर के ज़्यादातर कार्यक्रम गुड़गाँव और फ़रीदाबाद में हो रहे हैं। बहुत हिम्मत करके आज का दिन करनाल के लिए चुना गया था। उससे पहले सीआईडी ने जब बता दिया कि किसानों की संख्या इस समय सबसे कम है। हरियाणा सरकार को यह अंदाज़ा नहीं था कि आज मुट्ठी भर किसान उनकी कहानी ख़राब कर देंगें।

यह न्यूज़ रिपोर्ट आगे चलकर बदल सकती है, क्योंकि करनाल के बसताड़ा टोल पर किसान भारी तादाद में पहुँच रहे हैं।

और ज़िलों में फैला

बासताड़ा टोल हरियाणा में आज हुए लाठीचार्ज का विरोध पूरे हरियाणा में शुरू हो गया।

यमुनानगर में किसानों ने किया नेशनल हाईवे जाम कर दिया है। जीन्द और हिसार से भी किसानों के जत्थे शहरों की तरफ़ रवाना हो चुके हैं। समझा जाता है कि किसान मुख्य सड़क को जाम करेंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत का बयान…

करनाल में बसताड़ा टोल पर आन्दोलित किसानों पर लाठी चार्ज दुर्भाग्यपूर्ण है। 5 सितंबर मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत से ध्यान भटकाने के लिए सरकार षड्यंत्र रच रही है देशभर के किसान पूर्ण रूप से तैयार रहें। एसकेएम के फैसले का पालन करें।

(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

यूसुफ किरमानी
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यूसुफ किरमानी