दिल्ली दंगा पीड़ितों के वकील प्राचा के दफ्तर पर पुलिस का छापा, वरिष्ठ वकीलों ने बताया मूल अधिकारों पर हमला

इस साल के आरंभ में पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगों में पुलिस द्वारा आरोपी बनाये गये लोगों के लिए केस लड़ रहे वकील महमूद प्राचा के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस ने कल छापेमारी की है। खबर के मुताबिक पुलिस का कहना है कि कोर्ट की ओर से जारी सर्च वारंट के बाद ही छापेमारी की कार्रवाई की गई है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरोप है कि दिल्ली दंगों के मामले में प्राचा ने फर्जी शपथ पत्र लगाया और दंगे के आरोपी को गलत बयान देने के लिए मजबूर किया। आरोपी ने जमानत के लिए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया।

प्राचा पर आरोप है कि उन्होंने दूसरे वकील का शपथपत्र फॉरवर्ड किया जो कि 3 साल पहले मर चुका था। अब पुलिस ने कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में जांच शुरू की है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में पुलिसकर्मी और वकील महमूद प्राचा के बीच बहस होती दिख रही है। पत्रकार आदित्य मेनन ने इस वीडियो को ट्वीट किया है।

इस घटना को लेकर वकील प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा कि, पहले वे एक्टिविस्ट के खिलाफ आए, फिर वो छात्रों के, फिर वो किसानों के लिए आए, अब वकीलों के लिए आ रहे हैं; इसके बाद, वो आपके लिए आएंगे। क्या आप इसे लोकतंत्र कहेंगे? हम सभी को मिलकर ये लड़ाई लड़नी होगी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने दोपहर 12:30 छापेमारी शुरू की थी। शाम पांच बजे के बाद द प्रिंट की पत्रकार फातिमा खान ने लिखा 12:30 शुरू हुई छापेमारी अब तक जारी है और इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर किसी को प्राचा से मिलने नहीं दे रहे हैं।

शाम को निजामुद्दीन स्थित अपने सेकेंड फ्लोर की बालकनी से प्राचा ने कहा कि “मेरा फोन सीज कर लिया गया है। मुझे धमकी दी जा रही है। मैंने उन्हें बताया कि वो चीजों को हमारे कंप्यूटर, मेरे दफ्तर और यहां तक मेरे घर से भी ले जा सकते हैं। आखिर में संविधान जीतेगा। यह इतना कमजोर नहीं है….हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि हर दंगा पीड़ित को न्याय मिले”।

प्राचा के साथ काम करने वाले वकीलों ने सीएमएम पंकज शर्मा को एक आवेदन देकर जब्त किए गए सभी सामानों को वापस दिलाने का निवेदन किया है। इसके शुक्रवार यानी आज सुने जाने की उम्मीद है।

वरिष्ठ वकील इँदिरा जय सिंह ने छापे को कानूनी तौर पर प्रतिनिधित्व करने के मूल अधिकारों पर सीधा हमला है। और सभी वकीलों को इसकी निंदा करनी चाहिए।

वरिष्ठ वकील चंदर उदय सिंह ने कहा कि इस छापे का बहुत गहरा प्रभाव पड़ने जा रहा है अगर कानूनी मामलों में प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों के रिकार्ड को इस तरह से अचानक जब्त किया गया।

किंतु द हिन्दू के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लोकल कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज करने और कोर्ट से सर्च वारेंट मिलने के बाद यह छापेमारी की है।

मीडिया के हवाले से कहा गया है कि पुलिस ने प्राचा के दफ्तर से उनका कंप्यूटर और लैपटॉप जब्त कर लिया है।

स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बीते अगस्त महीने में एक पीड़ित को दिल्ली दंगों के बारे में झूठी गवाही देने के लिए दबाव डालने और प्रताड़ित करने की शिकायत पर प्राचा के खिलाफ केस दर्ज किया था। वहीं द वायर की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि, उस शिकायत पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने पुलिस आयुक्त से स्पेशल सेल को इस मामले में जांच के निर्देश देने का आदेश दिया था। प्राचा ने आरोपों को मानने से इंकार कर दिया था।

बता दें कि, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 से 27 फरवरी के बीच हुई हिंसा में 53 लोग मारे गए थे। इसकी जांच के लिए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने नौ मार्च को नौ सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इसके बाद मामले में एक के बाद एक कई बड़े नाम सामने आए थे, जिन्होंने हिंसा को बढ़ावा देने का काम किया था। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ एक चार्जशीट दायर किया था। तकनीकी साक्ष्यों को एकत्र करने के साथ ही दिल्ली पुलिस ने मामले में 747 गवाहों से पूछताछ की थी।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के समर्थकों और इसका विरोध कर रहे लोगों के बीच 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में झड़प हो गई थी, जो कि हिंसा में बदल गई। इस दौरान कम से कम 53 लोग मारे गए थे और लगभग 200 लोग घायल हुए थे। मामले में रविवार को उमर खालिद को गिरफ्तार किया गया था।

(पत्रकार नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

नित्यानंद गायेन
Published by
नित्यानंद गायेन