सिंघु बॉर्डर हत्याकांड की जांच के लिए पंजाब सरकार ने बनाई एसआईटी

पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा के निर्देश पर पुलिस महानिदेशक इकबाल प्रीत सिंह सहोता ने बुधवार को सिंघु बॉर्डर हत्याकांड की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। एसआईटी का गठन दिल्ली-हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के पास कथित तौर पर निहंगों द्वारा मार दिए गए लखबीर सिंह की बहन के आरोपों की जांच के लिए किया गया है। लखबीर सिंह की निहंग सिखों ने सिंघु बॉर्डर पर हत्या की थी। दूसरी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ आई निहंग संप्रदाय के प्रमुख बाबा अमन सिंह की एक तस्वीर ने विवाद खड़ा कर दिया है। बाबा अमन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने सिंघु में किसानों के प्रदर्शन स्थल से निहंगों के हटने के लिए 10 लाख रुपये की पेशकश की थी।

एसआईटी का गठन एडीजीपी और ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के डायरेक्टर वरिंदर कुमार की अध्यक्षता में किया गया है। डीआईजी फिरोजपुर रेंज इंदरबीर सिंह और तरनतारन जिले के एसएसपी हरविंदर सिंह विर्क इसके सदस्य बनाए गए हैं।

दरअसल तरनतारन जिले के चीमा कलां में रहने वाली कसेल निवासी राज कौर ने आरोप लगाया था कि उसके भाई लखबीर सिंह को कुछ लोगों ने बहकाया और सिंघु बॉर्डर ले गए, जहां 15 अक्टूबर को गुरुग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी के आरोपों में कुछ निहंग सिखों ने उसकी हत्या कर दी। मृतक लखबीर सिंह की बहन के आरोपों पर कार्रवाई करते हुए एसआईटी गठन के आदेश में पंजाब सरकार ने कहा है कि वरिंदर कुमार जरूरत के हिसाब से राज्य में तैनात किसी भी अन्य पुलिस अधिकारी को जांच के लिए सहयोजित कर सकते हैं। एसआईटी को आरोपों की त्वरित जांच का आदेश दिया गया है।

दरअसल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ आई निहंग संप्रदाय के प्रमुख बाबा अमन सिंह की एक तस्वीर ने विवाद खड़ा कर दिया है। बाबा अमन सिंह ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने सिंघु में किसानों के प्रदर्शन स्थल से निहंगों के हटने के लिए रुपये की पेशकश की थी। यह विवाद ऐसे समय पर हुआ है जब सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के पास ही एक दलित सिख की हत्या कर दी गई है और उस हत्या की ज़िम्मेदारी निहंगों ने ली है। अमन सिंह ने घटना के बाद अपने बयान में हत्या को जायज ठहराया था।

इसी बीच सोमवार को मीडिया में एक तस्वीर सामने आई। उस तस्वीर में अन्य लोगों के साथ निहंग संप्रदाय के प्रमुख बाबा अमन सिंह और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दिख रहे थे। दावा किया गया कि वह जुलाई-अगस्त महीने के दौरान एक मुलाक़ात की तस्वीर है। उसमें पंजाब के पूर्व पुलिस अधिकारी गुरमीत सिंह पिंकी शामिल थे जिन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था और एक हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। इनके अलावा बीजेपी नेता हरविंदर गरेवाल भी शामिल थे। यह वह समय था जब तोमर किसानों के आंदोलन को ख़त्म कराने के प्रयास में लगे थे और गतिरोध को दूर करने के लिए किसान नेताओं के साथ बैठकें कर रहे थे।

इस तस्वीर के सामने आने के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज़ हो गई। लोगों ने तरह-तरह की आशंकाएँ जताईं। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक बयान में कहा कि निहंग नेताओं में से एक के कृषि मंत्री तोमर के संपर्क में होने के बारे में हालिया खुलासे के मद्देनज़र लिंचिंग की घटना ने अब पूरी तरह से अलग मोड़ ले लिया है।उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर भी कहा कि तरनतारन के मज़दूर का मारा जाना किसानों के संघर्ष को बदनाम करने की साज़िश है।

इस बीच पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने भी इस तस्वीर को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट किया है किकिसान आंदोलन के मुद्दे को हल करने के लिए कुछ ‘भयावह योजना’ तैयार करने के बजाय एक आसान तरीक़ा है। भारत सरकार को मेरी सलाह, अगर मैं दे सकूं तो काले कृषि कानूनों को वापस ले लें।

इसी बीच बाबा अमन सिंह का बयान आया है। उन्होंने मंगलवार को आरोप लगाया है कि किसानों के विरोध स्थल को छोड़ने के लिए मुझे 10 लाख रुपये की पेशकश की गई थी,साथ ही मेरे संगठन को भी एक लाख रुपये की पेशकश की गई थी। लेकिन हमें खरीदा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि निहंग संगठन 27 अक्टूबर को फ़ैसला करेंगे कि सिंघु में रहना है या नहीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय ने इस मामले पर सवालों का जवाब नहीं दिया।

रिपोर्ट के अनुसार, बाबा अमन सिंह और कृषि मंत्री के साथ मुलाक़ात वाली तसवीर में दिखने वाले पंजाब के पूर्व पुलिस अधिकारी गुरमीत सिंह पिंकी ने संपर्क किए जाने पर कहा कि यह सच है कि मैं बाबा अमन को जानता हूँ, और हम अगस्त में मंत्री के घर गए थे। लेकिन यात्रा का उद्देश्य अलग था। मैं किसी निजी काम से गया था। निहंग संप्रदाय के मुखिया कृषि क़ानूनों की बात कर रहे थे। लेकिन मेरे सामने उन्हें पैसे का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था। मुझे नहीं पता कि उनके और तोमर के बीच क्या हुआ था।

अमन सिंह ने कहा है कि निहंग सिखों के संगठनों की ओर से 27 अक्टूबर को बड़ी बैठक बुलाई गई है, इसमें इस बात का फ़ैसला किया जाएगा कि निहंग सिख सिंघु बॉर्डर पर रहेंगे या नहीं। निहंग सिखों को स्वभाव से ही आक्रामक माना जाता है। सिंघु बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन शुरू होने के बाद से ही निहंग सिखों ने यहां डेरा डाल लिया था। निहंग सिख अपनी अलग जीवन शैली की वजह से लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। निहंग सिखों ने पिछले 11 महीने से किसानों के साथ ही खूंटा गाड़ा हुआ है और वे किसान आंदोलन में पंजाब के किसानों के समर्थन में पूरी ताक़त के साथ खड़े हैं।

तरन तारन के रहने वाले दलित युवक लखबीर सिंह की हत्या के मामले के बाद जिस तरह के सवाल निहंग सिखों को लेकर उठे हैं और संयुक्त किसान मोर्चा ने भी उनसे किनारा किया है, उसके बाद भी क्या वे किसान आंदोलन के साथ बने रहेंगे, इस सवाल का जवाब 27 अक्टूबर को मिल जाएगा।

लखबीर सिंह की हत्या के मामले को लेकर दलित समाज के संगठन ख़ासे आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि लखबीर की हत्या जघन्य अपराध तो है ही, उसे दलित होने की भी सजा निहंगों ने दी है। लखबीर को इंसाफ़ दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चल रहा है और इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की जा रही है। निहंग सिखों ने लखबीर सिंह पर यह आरोप लगाया है कि उसने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी की थी। लेकिन लखबीर सिंह के परिजनों और गांव वालों ने कहा है कि लखबीर ऐसा नहीं कर सकता।


(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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