राहुल गांधी की बात: एक जीएसटी का दो असर! अमीर हो गए मालामाल, छोटे कारोबारियों की टूटी कमर

(कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था पर अपनी बात की श्रृंखला में आज जीएसटी के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने बताया है कि कैसे एनडीए का जीएसटी यूपीए की जीएसटी से भिन्न है। और कैसे इसकी मार गरीबों पर पड़ रही है। पेश है उनका पूरा वक्तव्य-संपादक) 

असंगठित अर्थव्यवस्था पर दूसरा बड़ा आक्रमण जीएसटी था। जीएसटी यूपीए का आईडिया था। एक टैक्स, कम से कम टैक्स, साधारण और सरल टैक्स।

 एनडीए का जीएसटी बिल्कुल अलग है। चार अलग-अलग टैक्स 28% तक टैक्स और बड़ा कॉन्प्लिकेटेड, समझने को बहुत मुश्किल टैक्स। जो स्मॉल एंड मीडियम बिजनेसेस है वह इस टैक्स को भर ही नहीं सकते।

पर जो बड़ी कंपनियां हैं वो इसको आसानी से भर सकती हैं। 5-10-15 अकाउंटेंट्स लगा सकती हैं।

यह चार अलग-अलग रेट क्यों है? यह चार अलग-अलग रेट इसलिए है क्योंकि सरकार चाहती है कि जिसकी पहुंच हो, जीएसटी को आसानी से बदल पाए और जिसकी पहुंच ना हो वो जीएसटी के बारे में कुछ ना कर पाए।

पहुंच किसकी है हिंदुस्तान के सबसे बड़े 15-20 उद्योगपतियों की पहुंच है। तो जो भी टैक्स का कानून वह बदलना चाहते हैं इस जीएसटी रेजीम में बदल सकते हैं।

और एनडीए के जीएसटी का नतीजा क्या है? आज हिंदुस्तान की सरकार स्टेटस को जीएसटी का पैसा ही नहीं दे पा रही।

प्रदेश एंप्लॉयस को, टीचर्स को पैसा नहीं दे पा रहे। तो जीएसटी बिल्कुल फेल है, मगर यह सिर्फ फेल नहीं है यह एक आक्रमण है गरीबों पर, स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस पर। जीएसटी टैक्स की व्यवस्था नहीं है। जीएसटी हिंदुस्तान के गरीबों पर आक्रमण है।

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