यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर गिरफ्तार, परिजनों पर भी कसा ईडी ने शिकंजा

नई दिल्ली। यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर को 15 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। यह कार्रवाई प्रवर्तन निदेशालय ने की है। राणा कपूर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है।

पूछताछ में ईडी ने राणा कपूर से यस बैंक के लेन-देन संबंधी कई सवाल पूछे। जिसमें उनके परिवार की कंपनियों और डीएचएफएल के बीच हुए ट्रांजेक्शन पर भी सवाल शामिल थे।

राणा कपूर की गिरफ्तारी से पहले ईडी ने बल्लार्ड इस्टेट स्थित अपने दफ्तर पर उनसे 15 घंटे तक लंबी पूछताछ की। इससे पहल केंद्रीय जांच एजेंसी ने शुक्रवार को उनके घर पर छापा मारा था। ईडी आज राणा कपूर को 10.30 से 11.30 बजे के बीच एक स्थानीय अदालत के सामने पेश कर सकती है और उनकी कस्टडी ले सकती है।

62 साल के राणा कपूर पर वित्तीय लेन-देन में अनियमितता और यस बैंक के मैनेजमेंट में गड़बड़ी करने का आरोप है। यस बैंक के खातों की कमजोर हालत देखकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यस बैंक को निगरानी में डाल दिया था और इस बैंक के ऑपरेशन को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने पीएमएलए कानून के प्रावधानों के तहत शुक्रवार रात को मुंबई के पॉश इलाके वर्ली में स्थित उनके घर समुद्र महल में पूछताछ की, और उनका बयान दर्ज किया।

शनिवार दोपहर को पूछताछ के लिए उन्हें एक बार फिर से ईडी लाया गया था। शनिवार को जांच एजेंसियों ने अपना दायरा बढ़ा दिया और दिल्ली और मुंबई में स्थित राणा कपूर की तीन बेटियों के घर से दस्तावेज खंगाले।

अधिकारियों के मुताबिक राणा कपूर की पत्नी बिंदू और तीन बेटियों राखी कपूर टंडन, रोशनी कपूर, राधा कपूर कथित रूप से कुछ कंपनियों से जुड़ी हैं, जिन्हें संदिग्ध रूप से कुछ रकम भेजा गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक राणा कपूर के खिलाफ विवादित कंपनी डीएचएफल को लोन देने का आरोप है। यस बैंक द्वारा इस कंपनी को दिया गया लोन अब वसूल नहीं हो पा रहा है और ये कर्ज यस बैंक की बड़ी एनपीए बन गई है।

ईडी राणा कपूर की ओर से कुछ कंपनियों को लोन-देने में उनकी भूमिका की जांच कर रही है। आरोप है कि उन्होंने कुछ कॉरपोरेट कंपनियों को लोन दिया और इसके एवज में उनकी पत्नी के खाते में कथित रूप से पैसे आए। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी अब इन आरोपों की विस्तार से जांच कर रहे हैं।

इसके अलावा बताया जा रहा है कि बैंक ने 2014 के बाद कई प्राइवेट कंपनियों को भारी तादाद में लोन दिया। लौटाने की जगह कंपनियां उसके पैसे को लेकर बैठ गयीं। और अब यही रकम बैंक पर भारी पड़ने लगा। जिससे उसकी वित्तीय स्थिति खराब हो गयी।

(कुछ इनपुट इंडिया टुडे से लिए गए हैं।)

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