सपा-कांग्रेस के बीच सीट समझौते पर मुहर, अखिलेश यादव का बड़ा बयान

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में उत्तरप्रदेश की लोकसभा सीटों को लेकर समझौता हो गया है। आज अखिलेश यादव ने यह बात खुद अपने मुरादाबाद दौरे के दौरान पत्रकारों को दी है। इस बारे में औपचारिक घोषणा शाम 5 बजे तक होने की संभावना है। हालांकि इस बारे में अभी कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सपा द्वारा जिन 17 सीटों को कांग्रेस को देने की बात कही गई है उसमें-अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, महाराजगंज, देवरिया, बांसगांव, सीतापुर, अमरोहा , बुलंदशहर, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बाराबंकी, फतेहपुर सीकरी, सहारनपुर और मथुरा शामिल हैं। 

गोदी मीडिया के इंडिया गठबंधन में बड़ी फूट का क्या होगा?

कल तक मीडिया और भाजपा के नेता एक सुर से उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन के टूटन का मर्सिया पढ़ रहे थे। उनमें से कई तो साफ इस बात की घोषणा कर चुके थे कि यूपी में इंडिया गठबंधन की टूटन के बाद कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया सुनिश्चित है, और इंडिया गठबंधन चुनाव की घोषणा होने से पहले ही कई टुकड़ों में बंट जायेगा। इसके पीछे अखिलेश यादव की ओर से 17 सीटों के प्रस्ताव पर कांग्रेस की ओर से अभी भी वार्ता के जारी रहने की बात को आधार दिया जा रहा था। 

बहरहाल, आज जब खुद सपा नेता, अखिलेश यादव ने आगे आकर सीट समझौते की बात कह दी है, तो गोदी मीडिया के लिए वास्तव में इसे बुरी खबर कहा जा सकता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शुरू-शुरू में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश का सारा प्रबंधन अपने हाथ में रखने का फैसला किया, और राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस को अपने हिसाब से हांकने की कोशिश की। बसपा से दूरी या कहें मायावती की हिचक (इसके पीछे ईडी, सीबीआई की भूमिका को लोग सबसे बड़ी वजह मान रहे हैं), ने उत्तर प्रदेश में विपक्ष की रणनीति को काफी अर्से तक प्रभावित किया। 

इसी धुंध में जब बिहार में नीतीश कुमार ने पलटी मारी और झारखंड में हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा, और दूसरी तरफ स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा मोदी सरकार की ओर से की गई, तो आरएलडी अध्यक्ष, जयंत चौधरी का भी मन हिचकौले खाने लगा, और उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर में हाराकिरी करने का फैसला कर लिया। लेकिन पिछले 9 दिनों से किसान आंदोलन ने एक बार फिर से देश की दिशा में निर्णायक बदलाव लाकर मोदी-शाह के बने-बनाये नैरेटिव का कबाड़ा कर दिया है। ऊपर से सर्वोच्च न्यायालय ने अचानक से चंडीगढ़ मेयर चुनाव में असाधारण साहस और सच को सच कहने का फैसला लेकर, मानो मीडिया की मदद से फैलाए जा रहे 400+ के फलसफे का रायता बिखेर दिया है।

आरएलडी की बढ़ती बैचेनी 

आज जयंत चौधरी ने पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी जसप्रीत सिंह के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा ‘खालिस्तानी’ कहे जाने पर गुस्से पर उनके साथ एकजुटता का इजहार कर, अपनी मनोदशा का इजहार कर दिया है। आज जयंत चौधरी खुद को न तीन में न तेरह में पा रहे हैं, क्योंकि जाट किसानों के आधार पर उनकी पूरी पार्टी टिकी हुई है, जो आज पंजाब के किसानों के साथ शंभू बॉर्डर पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर की ओर मार्च करने का ऐलान कर रहे हैं।  

अब से थोड़ी देर बाद ही स्पष्ट हो जायेगा कि सपा-कांग्रेस अंततः किन-किन सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हो गये हैं। फिलहाल तो यही जानकारी मिल रही है कि मुरादाबाद सीट को लेकर सपा-कांग्रेस के बीच का तकरार, सुलझ गया है। यह सीट अब सपा ही लड़ने जा रही है, जिसने 2019 में यहां से जीत दर्ज की थी, लेकिन नगर पालिका चुनावों में कांग्रेस जीत से चंद ही दूरी पर रह गई थी। इसके बदले में सपा वाराणसी और श्रावस्ती की सीट कांग्रेस को देने जा रही है। इसके अलावा कांग्रेस बलिया सीट पर भी अपनी दावेदारी कर रही है। देखना है अंतिम निष्कर्ष में किन-किन सीटों पर इन दोनों पार्टियों का समझौता होता है। 

(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

रविंद्र पटवाल
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